बिहार ने PMAY-G के तहत धनराशि का अनुरोध किया | 30 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार के ग्रामीण विकास विभाग (RDD) ने प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) के तहत बेघर परिवारों के लिये 13.5 लाख रुपए की अतिरिक्त आवास इकाइयों को मंज़ूरी देने के लिये ग्रामीण विकास मंत्रालय को एक नया अनुरोध भेजा है।
प्रमुख बिंदु
- RDD ने वर्ष 2016-17 से वर्ष 2023-24 की अवधि के दौरान PMAY-G के तहत स्वीकृत कुल 37 लाख इकाइयों में से 36.64 लाख आवास इकाइयों का निर्माण किया है।
- PMAY-G के तहत प्रत्येक लाभार्थी को ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत दरों के अनुसार श्रम लागत के साथ एक आवास इकाई के लिये 1.30 लाख रुपये मिलते हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G)
- लॉन्च:
- वर्ष 2022 तक “सभी के लिये आवास” के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये, पूर्ववर्ती ग्रामीण आवास योजना इंदिरा आवास योजना (IAY) को 1 अप्रैल, 2016 से केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) में पुनर्गठित किया गया था।
- हालाँकि सरकार इस लक्ष्य से चूक गई और अगस्त 2022 में “सभी के लिये आवास” सुनिश्चित करने की समय सीमा दिसंबर 2024 तक बढ़ा दी।
- संबंधित मंत्रालय:
- ग्रामीण विकास मंत्रालय।
- स्थिति:
- राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने लाभार्थियों के लिये 2.85 करोड़ मकान स्वीकृत किये हैं और मार्च 2023 तक 2.22 करोड़ मकान पूरे हो चुके हैं।
- उद्देश्य:
- मार्च 2022 के अंत तक सभी ग्रामीण परिवारों, जो बेघर हैं या कच्चे या जीर्ण-शीर्ण घरों में रह रहे हैं, को बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्का घर उपलब्ध कराना।
- गरीबी रेखा से नीचे (BPL) ग्रामीण लोगों को आवास इकाइयों के निर्माण और मौजूदा अनुपयोगी कच्चे घरों के उन्नयन में पूर्ण अनुदान के रूप में सहायता करके सहायता करना।
- लाभार्थी:
- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, मुक्त बंधुआ मज़दूर और गैर-अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग, युद्ध में मारे गए रक्षा कर्मियों की विधवाएँ या उनके निकट संबंधी, पूर्व सैनिक और अर्द्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त सदस्य, विकलांग व्यक्ति और अल्पसंख्यक।
- लाभार्थियों का चयन:
- तीन-चरणीय सत्यापन जैसे सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011, ग्राम सभा और जियो-टैगिंग के माध्यम से।
- लागत का बँटवारा:
- मैदानी क्षेत्रों के मामले में केंद्र और राज्य 60:40 के अनुपात में व्यय साझा करते हैं, तथा पूर्वोत्तर राज्यों, दो हिमालयी राज्यों और जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के मामले में 90:10 के अनुपात में व्यय साझा करते हैं।
- केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख सहित अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में केंद्र 100% लागत वहन करता है।
- मैदानी क्षेत्रों के मामले में केंद्र और राज्य 60:40 के अनुपात में व्यय साझा करते हैं, तथा पूर्वोत्तर राज्यों, दो हिमालयी राज्यों और जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के मामले में 90:10 के अनुपात में व्यय साझा करते हैं।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA)
- परिचय:
- मनरेगा ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2005 में शुरू किया गया विश्व का सबसे बड़ा कार्य गारंटी कार्यक्रम है।
- यह प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को वैधानिक न्यूनतम मज़दूरी पर सार्वजनिक कार्य से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिये तैयार रहने पर सौ दिनों के रोज़गार की कानूनी गारंटी प्रदान करता है।
- सक्रिय कर्मचारी: 14.32 करोड़ (2023-24)
- प्रमुख विशेषताएँ:
- मनरेगा के रूपरेखा (डिज़ाइन) की आधारशिला इसकी कानूनी गारंटी है, जो यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी ग्रामीण वयस्क काम का अनुरोध कर सकता है और उसे 15 दिनों के भीतर काम मिल जाना चाहिये।
- यदि यह प्रतिबद्धता पूरी नहीं होती है तो "बेरोज़गारी भत्ता" प्रदान किया जाता है।
- इसमें महिलाओं को इस तरह प्राथमिकतादी जाती है कि लाभार्थियों में से कम-से-कम एक तिहाई महिलाएँ हों जिन्होंने पंजीकरण कराया हो और काम के लिये अनुरोध किया हो।
- मनरेगा की धारा 17 में मनरेगा के तहत निष्पादित सभी कार्यों का सामाजिक लेखा-परीक्षण अनिवार्य किया गया है।
- मनरेगा के रूपरेखा (डिज़ाइन) की आधारशिला इसकी कानूनी गारंटी है, जो यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी ग्रामीण वयस्क काम का अनुरोध कर सकता है और उसे 15 दिनों के भीतर काम मिल जाना चाहिये।
- कार्यान्वयन एजेंसी:
- भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय (MRD) राज्य सरकारों के सहयोग से इस योजना के सम्पूर्ण कार्यान्वयन की निगरानी कर रहा है।