ध्यान दें:



State PCS Current Affairs

उत्तर प्रदेश

BBAU को बायो-प्लास्टिक के उत्पादन के लिय पेटेंट मिला

  • 26 Apr 2025
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) लखनऊ के वैज्ञानिक को बायो-प्लास्टिक बनाने की तकनीक के लिय भारत सरकार द्वारा पेटेंट प्रदान किया गया है।

मुख्य बिंदु

  • यह तकनीक गाय के गोबर और एक विशेष प्रकार के बैक्टीरिया का उपयोग करती है, जिससे बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक तैयार किया जाता है।
  • इस बायो-प्लास्टिक से बोतलें, पॉलीबैग और अन्य उपयोगी वस्तुएँ बनाई जा सकती हैं।
  • यह प्लास्टिक पॉलीहाइड्रॉक्सी ब्यूटिरेट (PHB) पर आधारित है, जो एक प्राकृतिक रूप से अपघटनीय बायो-प्लास्टिक है।
  • इससे पहले PHB का उत्पादन मुख्यतः गन्ना, मक्का, गेहूँ, चावल और केले के छिलकों जैसे बायोमास से किया जाता था, किंतु उच्च लागत और महंगे कच्चे माल के कारण इसका व्यावसायिक प्रयोग सीमित था।
  • किंतु BBAU के वैज्ञानिक ने एक संशोधित गोबर-आधारित माध्यम विकसित किया है, जो PHB उत्पादन की लागत को 200 गुना तक घटाता है
  • पारंपरिक प्लास्टिक को नष्ट होने में हज़ारों वर्ष लगते हैं, जबकि BBAU के वैज्ञानिक द्वारा विकसित बायो-प्लास्टिक केवल 40-50 वर्षों में नष्ट हो जाता है और पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं करता।
  • प्लास्टिक प्रदूषण से होने वाले ग्लोबल वार्मिंग और जैवविविधता पर प्रभाव की पृष्ठभूमि में यह शोध पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में एक नया मार्ग प्रशस्त करता है।

बायो-प्लास्टिक 

  • बायो-प्लास्टिक्स को गन्ना, मक्का जैसे नवीकरणीय कार्बनिक स्रोतों से प्राप्त किया जाता है, जबकि पारंपरिक प्लास्टिक पेट्रोलियम से बने होते हैं। वे हमेशा बायोडिग्रेडेबल या कम्पोस्ट करने योग्य नहीं होते हैं।
  • बायो-प्लास्टिक का उत्पादन मकई और गन्ने जैसे पौधों से चीनी निकालकर और उसे पॉलीलैक्टिक एसिड (PLA) में परिवर्तित करके किया जाता है। वैकल्पिक रूप से, उन्हें सूक्ष्मजीवों से पॉलीहाइड्रॉक्सीएल्कानोएट्स (PHA) से बनाया जा सकता है जिन्हें फिर बायो-प्लास्टिक में पॉलीमराइज़ किया जाता है।
  • बायो-प्लास्टिक का उत्पादन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को अवशोषित करता है और एक तटस्थ या संभावित रूप से नकारात्मक कार्बन संतुलन में योगदान देता है, जिससे जीवाश्म-आधारित प्लास्टिक की तुलना में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद मिलती है।
  • पारंपरिक प्लास्टिक के विपरीत, बायो-प्लास्टिक में फ्थालेट्स (Phthalates) जैसे हानिकारक रसायन नहीं होते हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिये खतरनाक माने जाते हैं।
  • बायो-प्लास्टिक पारंपरिक प्लास्टिक की तरह ही मज़बूत और धारणीय होते हैं, जिससे वे खाद्य पैकेजिंग, कृषि और चिकित्सा आपूर्ति जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों में उपयोग के लिये आदर्श होते हैं।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2