उत्तराखंड
उत्तराखंड में रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी
- 06 Mar 2025
- 5 min read
चर्चा में क्यों?
5 मार्च, 2025 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने उत्तराखंड में दो रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दी।
मुख्य बिंदु
- रोपवे के बारे में:
- रोपवे सोनप्रयाग को केदारनाथ से तथा गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा से जोड़ेगा।
- ये परियोजनाएँ, जिनकी अनुमानित लागत 7,000 करोड़ रुपए है, राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम, पर्वतमाला परियोजना के अंतर्गत आती हैं ।
- समुद्र तल से 3,500 मीटर से अधिक ऊँचाई पर स्थित रोपवे से तीर्थ स्थलों तक यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा ।
- गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब रोपवे:
- लंबाई: 12.4 किमी.
- लागत: 2,730.13 करोड़ रुपए
- विकास मोड: सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के तहत डिज़ाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (DBFOT)।
- वर्तमान यात्रा: तीर्थयात्री वर्तमान में गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 21 किलोमीटर की चुनौतीपूर्ण चढ़ाई पैदल, टट्टू या पालकी पर करते हैं।
- अपेक्षित लाभ:
- रोपवे से तीर्थयात्रियों की यात्रा आसान हो जाएगी, क्योंकि गुरुद्वारा वर्ष में केवल पाँच महीने (मई से सितंबर) के लिये ही खुला रहता है।
- प्रतिवर्ष 1.5 से 2 लाख तीर्थयात्री हेमकुंड साहिब के दर्शन के लिये आते हैं।
- इससे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, फूलों की घाटी आने वाले पर्यटकों को भी लाभ होगा।
- सोनप्रयाग से केदारनाथ रोपवे:
- लंबाई: 12.9 किमी.
- लागत: 4,081.28 करोड़ रुपए
- प्रौद्योगिकी: हेमकुंड साहिब रोपवे के समान
- समय में कमी:
- रोपवे से यात्रा का समय वर्तमान 8-9 घंटे से घटकर मात्र 36 मिनट रह जाएगा।
- वर्तमान में तीर्थयात्री हेलीकॉप्टर, टट्टू या फिर गौरीकुंड से केदारनाथ तक 16 किलोमीटर का चढ़ाई वाला रास्ता पैदल तय करते हैं।
- केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और चार धाम यात्रा में सबसे अधिक दर्शनीय मंदिर है ।
- आर्थिक एवं पर्यटन प्रभाव:
- रोपवे परियोजनाओं से निर्माण एवं संचालन के दौरान रोज़गार सृजन होगा।
- वे पूरे वर्ष आतिथ्य, यात्रा, खाद्य एवं पेय (F&B) और पर्यटन जैसे संबद्ध उद्योगों को बढ़ावा देंगे।
पर्वतमाला परियोजना
- इसे केंद्रीय बजट 2022-23 में एक कुशल और सुरक्षित वैकल्पिक परिवहन नेटवर्क के रूप में घोषित किया गया था।
- यह योजना PPP (सार्वजनिक निजी भागीदारी) मोड पर आधारित है, जो कठिन पहाड़ी क्षेत्रों में पारंपरिक सड़कों के स्थान पर एक पसंदीदा पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ विकल्प उपलब्ध कराती है।
- इसका उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देने के अलावा यात्रियों के लिये कनेक्टिविटी और सुविधा में सुधार करना है।
- इसमें भीड़भाड़ वाले शहरी क्षेत्र भी शामिल हो सकते हैं, जहाँ पारंपरिक जन परिवहन प्रणालियाँ व्यवहार्य नहीं हैं।
आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA)
- इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं और यह सार्वजनिक क्षेत्र के निवेशों के लिये प्राथमिकताएँ निर्धारित करती है।
- यह एक एकीकृत आर्थिक नीति ढाँचा विकसित करने के लिये आर्थिक प्रवृत्ति की निरंतर समीक्षा करती है तथा विदेशी निवेश सहित आर्थिक क्षेत्र में नीतियों और गतिविधियों की देखरेख करती है, जिसके लिये उच्च स्तरीय निर्णय लेने की आवश्यकता होती है।