चंपावत को आदर्श ज़िला बनाने की कार्ययोजना | 17 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में चंपावत ज़िले को आदर्श ज़िला बनाने की कार्ययोजना और चल रहे कार्यों की समीक्षा की।
- उत्तराखंड को आदर्श राज्य बनाने के लिये चंपावत ज़िले को आदर्श ज़िले के रूप में लिया जा रहा है।
मुख्य बिंदु:
- चंपावत में मैदानी, तराई, भाबर और पहाड़ी क्षेत्रों सहित विविध भौगोलिक परिस्थितियाँ हैं।
- मुख्यमंत्री ने विकास और विरासत दोनों को आगे बढ़ाने के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए अधिकारियों से आदर्श जनपद चंपावत के लिये कार्ययोजना को तेज़ी से लागू करने का आग्रह किया।
- उन्होंने अधिकारियों को पारिस्थितिकी और पर्यावरण संबंधी चिंताओं के साथ विकास कार्यों का समन्वय करने का भी निर्देश दिया। साथ ही प्राकृतिक विरासत के संरक्षण को विकास प्रयासों में एकीकृत किये जाने की बात कही।
- चंपावत ज़िला धार्मिक, आध्यात्मिक और साहसिक पर्यटन के लिये कई अवसर प्रदान करता है।
- ज़िले में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये तीन से चार दिवसीय यात्रा सर्किट बनाना महत्त्वपूर्ण है।
- पूर्णागिरी मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, इसलिये उनकी सुविधा सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक व्यवस्था करना महत्त्वपूर्ण है।
- चंपावत ज़िले में पर्यटन, कृषि, बागवानी, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, दूध और इससे जुड़े उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये कार्ययोजना बनाई जा रही है। इसका लक्ष्य चंपावत को आदर्श राज्य बनाना है, जिसके लिये वर्ष 2030 तक की योजनाएँ बनाई जा रही हैं।
- चंपावत ज़िले के प्रत्येक पात्र व्यक्ति को केंद्र और राज्य सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिले, इसके लिये प्रयास किये जा रहे हैं।
- सौर ऊर्जा में संभावनाओं को तलाशने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। साथ ही, टाउन प्लानिंग पर विशेष ध्यान देकर ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर बढ़ते पलायन को रोकने पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
पूर्णागिरी मंदिर
- पूर्णागिरी को पुण्यगिरी के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर शारदा नदी के पास स्थित है। पूर्णागिरी मंदिर अपने चमत्कारों के लिये भी जाना जाता है
- माँ पूर्णागिरी मंदिर उत्तराखंड के चंपावत ज़िले के टनकपुर के पर्वतीय क्षेत्र में अन्नपूर्णा छोटी की चोटी पर लगभग 3000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है
- मंदिर को शक्तिपीठ माना जाता है और यह 108 सिद्धपीठों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर माता सती की नाभि गिरी थी।