वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में औद्योगिक उत्पादन में 2.6% की वृद्धि
कैबिनेट द्वारा राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन शुरू करने की मंजूरी
राजनीति और शासन
आरोपी व्यक्तियों की संपत्तियाँ ध्वस्त करने पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश
सर्वोच्च न्यायालयने निर्णय दिया कि नागरिकों की संपत्तियों को कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किये बिना केवल इस कारण से ध्वस्त करना कि वे किसी अपराध में शामिल हो सकते हैं, विधि के शासन के विपरीत है।
न्यायालय ने निर्देश भी जारी किये हैं जिनका अनुपालन संपत्तियों को ध्वस्त करने से पहले किया जाना चाहिये।
न्यायालय ने कहा कि ध्वस्तीकरण पर निर्णय लेने से पहले संबंधित प्राधिकारी (नगरपालिका निकाय या राज्य द्वारा नामित निकाय) को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिये कि ध्वस्तीकरण ही एकमात्र उपलब्ध विकल्प है।
इसमें यह पहचान करना शामिल है कि कंपाउंडिंग और संपत्ति के आंशिक विध्वंस जैसे विकल्प उपलब्ध नहीं हैं।
प्रभावित पक्ष को कम से कम 15 दिन पहले सूचना दी जानी चाहिये।
नोटिस में अनधिकृत निर्माण की प्रकृति और ध्वस्तीकरण के आधार का उल्लेख होना चाहिये।
हालाँकि, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ये निर्देश सार्वजनिक स्थानों पर अनधिकृत संरचनाओं पर या न्यायालय द्वारा ध्वस्तीकरण के आदेश दिये जाने पर लागू नहीं होंगे।
मध्यस्थों की एकतरफा नियुक्ति पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय
सर्वोच्च न्यायालय की पाँच न्यायाधीशों की पीठ ने निर्णय दिया कि सरकारी संस्थाएँ और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) सार्वजनिक-निजी मध्यस्थता समझौतों में एकतरफा मध्यस्थों की नियुक्ति नहीं कर सकते।
इसने माना कि ऐसे खंड विधि के समक्ष समता और समान संरक्षण (अनुच्छेद 14) का उल्लंघन करते हैं।
न्यायालय ने कहा कि पक्षों के साथ समान व्यवहार का सिद्धांत मध्यस्थ की नियुक्ति सहित मध्यस्थता के सभी चरणों पर लागू होता है।
इसने आगे कहा कि एक पक्ष को एकतरफा मध्यस्थ नियुक्त करने की अनुमति देना मध्यस्थ की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है।
इससे दूसरे पक्ष को विवाद समाधान में समान रूप से भाग लेने में भी बाधा आती है।
सांसदों द्वारा लाभ हेतु पद धारण करने संबंधी विधि को प्रतिस्थापित करने हेतु मसौदा विधेयक
विधि एवं न्याय मंत्रालय ने संसद (निरर्हता निवारण) विधेयक, 2024 का मसौदा जारी किया।
मसौदा विधेयक में विश्वविद्यालय के संकाय या वरिष्ठ सदस्य को उन पदों की सूची में शामिल किया गया है जिन्हें अयोग्यता से छूट दी गई है।
इसमें उन पदों की भी सूची दी गई है जिनके सदस्यों को अयोग्यता से छूट दी गई है।
मसौदा विधेयक उस सूची को हटा देता है जिसमें वे पद शामिल हैं जिन्हें अयोग्यता से छूट नहीं दी गई है, जो वर्तमान अधिनियम में शामिल है।
मसौदा विधेयक केंद्र सरकार को अयोग्यता से छूट प्राप्त पदों की सूची में संशोधन करने का अधिकार देता है।
मसौदा विधेयक में अधिनियम के उस प्रावधान को हटा दिया गया है जो किसी सांसद को अयोग्य ठहराए जाने से रोकता है यदि वे पहले किसी ऐसे पद पर कार्यरत थे जो छूट प्राप्त था, लेकिन बाद में उसे रद्द कर दिया गया, बशर्ते कि वे छह महीने के भीतर इस्तीफा दे दें।
कैबिनेट द्वारा मेधावी छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना को मंजूरी
इस योजना के तहत गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों को ट्यूशन एवं अन्य खर्चों को शामिल करने के लिये जमानत एवं गारंटर मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
7.5 लाख रुपए तक के ऋण के लिये, बकाया राशि का 75% क्रेडिट गारंटी द्वारा कवर किया जाएगा।
इस मिशन का उद्देश्य रसायन मुक्त कृषि, स्थानीय पशुधन पद्धतियों का उपयोग करके कृषि और विविध फसल प्रणालियों जैसे प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना है।
वर्ष 2024-25 और 2025-26 में, यह योजना ग्राम पंचायतों में 15,000 क्लस्टरों में क्रियान्वित की जाएगी।