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पीआरएस कैप्सूल्स

विविध

जुलाई 2023

  • 07 Sep 2023
  • 71 min read

PRS के प्रमुख हाइलाइट्स

  • पर्यावरण
    • वन विधेयक, 2023 
  • गृह मामले 
    • जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023
  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
    • नियंत्रित मानव संक्रमण अध्ययन पर नीति वक्तव्य जारी 
  • समन्वय
    • बहु-राज्यीय सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक, 2022
  • शिक्षा 
    • भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2023 
    • UGC ने सीधी भर्ती हेतु न्यूनतम मानदंड में संशोधन किया 
    • विश्वविद्यालय उद्योग लिंकेज प्रणाली 
  • सामाजिक न्याय
    • संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 
    • संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2023 
    • संविधान (जम्मू एवं कश्मीर) अनुसूचित जाति आदेश संशोधन विधेयक, 2023 
  • रक्षा
    • अंतर-सेवा संगठन विधेयक, 2023
  • कृषि
    • तटीय जलकृषि प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2023
    • कृषि मशीनीकरण पर रिपोर्ट
  • वित्त
    • FPI निवेश पर परामर्श पत्र जारी 
    • सेबी द्वारा ESG रेटिंग प्रदाताओं के विनियमन हेतु रूपरेखा 
    • साइबर सुरक्षा और साइबर लचीलेपन ढाँचे पर परामर्श पत्र जारी 
    • डेबिट, क्रेडिट और प्रीपेड कार्ड जारी 
    • RBI द्वारा रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर रिपोर्ट जारी
    • साइबर सुरक्षा पर स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी
  • नागरिक उड्डयन
    • राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति, 2016 
    • हवाई अड्डों के विकास पर रिपोर्ट प्रस्तुत की
  • विदेशी मामले 
    • भारत की पड़ोसी प्रथम नीति पर स्थायी समिति की रिपोर्ट
  • संस्कृति
    • राष्ट्रीय अकादमियों के कामकाज़ पर रिपोर्ट
  • ऊर्जा
    • विद्युत (संशोधन) नियम, 2023 
  • पशु कल्याण
    • पशु क्रूरता रोकने के लिये मसौदा
  • विज्ञान एवं तकनीक
    • राष्ट्रीय डीप टेक स्टार्टअप नीति, 2023 

  पर्यावरण  

वन विधेयक, 2023 

  • वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 लोकसभा में पारित कर दिया गया। वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिये वन भूमि का उपयोग करने हेतु केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है।
  • विधेयक वन भूमि को परिभाषित करता है और भूमि की कुछ श्रेणियों को कानून के दायरे से छूट देता है। 
    • छूट में सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिये 10 हेक्टेयर तक की भूमि शामिल है। 
    • विधेयक जंगलों के अंदर चिड़ियाघर, सफारी और इको-पर्यटन सुविधाएँ संचालित करने की भी अनुमति देता है।  
    • विधेयक पर संयुक्त समिति ने संसद में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की

विधेयक के मुख्य बिंदु और रिपोर्ट के मुख्य सुझाव इस प्रकार हैं:

  • अधिनियम के दायरे में आने वाली भूमि: विधेयक के अनुसार, अधिनियम निम्न प्रकार की भूमि पर लागू होगा:
    • किसी अन्य कानून के तहत वन के रूप में अधिसूचित भूमि
    • सरकारी रिकॉर्ड में 25 अक्तूबर, 1980 को या उसके बाद वन के रूप में अधिसूचित। 
  • समिति ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय (1996) ने माना था कि सरकारी रिकॉर्ड में वन के रूप में दर्ज कोई भी क्षेत्र अधिनियम के दायरे में आएगा। 
  • इसमें 25 अक्तूबर, 1980 से पहले वन के रूप में दर्ज भूमि शामिल होगी।
  • असहमति के एक नोट के अनुसार, 1950-70 के दशक (ज़मींदारी प्रथा के उन्मूलन) के दौरान वन विभाग को हस्तांतरित वन भूमि के बड़े हिस्से को किसी भी कानून के तहत वन के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया था। 
  • ये जैवविविधता के हॉटस्पॉट हैं और वर्तमान में अधिनियम के तहत संरक्षित हैं। इसमें कहा गया है कि इस वन भूमि को बाहर करने से सर्वोच्च न्यायालय का फैसला कमज़ोर हो जाएगा। 
  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा कि विधेयक की प्रयोज्यता की दूसरी शर्त में 25 अक्तूबर, 1980 से पहले वन के रूप में दर्ज ऐसी भूमि भी शामिल है।
  • अधिनियम के दायरे से छूट प्राप्त भूमि: भूमि की छूट वाली श्रेणियों में कूटनीतिक राष्ट्रीय महत्त्व या सुरक्षा की लीनियर परियोजनाओं के लिये अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं, LOC या LAC के साथ 100 किमी. के भीतर की वन भूमि शामिल है। 
  • असहमति के एक नोट में यह भी कहा गया है कि विधेयक हिमालय और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों के जंगलों को अधिनियम के दायरे से छूट देता है जो प्रांतीय जैवविविधता से समृद्ध हैं। 
  • इस तरह की व्यापक छूट के परिणामस्वरूप चरम मौसम की घटनाओं के कारण प्रकृति, जैवविविधता और बुनियादी ढाँचे पर असर पड़ेगा। 

  गृह मामले   

जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023

  • जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया। 
  • विधेयक जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करता है। 
    • अधिनियम जम्मू एवं कश्मीर राज्य का पुनर्गठन जम्मू एवं कश्मीर (विधानसभा के साथ) और लद्दाख (विधानसभा के बिना) केंद्रशासित प्रदेश के रूप में करता है।  
  • विधानसभा में सीटों की संख्या: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की दूसरी अनुसूची विधानसभाओं में सीटों की संख्या का प्रावधान करती है। 
    • 2019 के अधिनियम ने जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 83 निर्दिष्ट करने के लिये 1950 के अधिनियम की दूसरी अनुसूची में संशोधन किया।
    • 2019 के अधिनियम में अनुसूचित जाति हेतु छह सीटें आरक्षित की गईं लेकिन अनुसूचित जनजाति के लिये कोई सीट आरक्षित नहीं की गई। 
    • विधेयक सीटों की कुल संख्या को बढ़ाकर 90 करता है। इसमें अनुसूचित जाति के लिये सात सीटें और अनुसूचित जनजाति हेतु नौ सीटें भी आरक्षित हैं।   
      • इसके अलावा अधिनियम पाकिस्तानी कब्जे़ वाले जम्मू एवं कश्मीर में निर्वाचन क्षेत्रों के लिये 24 सीटें आवंटित करने का प्रावधान करता है।
  • कश्मीरी प्रवासियों के लिये नामांकन: विधेयक में कहा गया है कि उपराज्यपाल कश्मीरी प्रवासी समुदाय से अधिकतम दो सदस्यों को विधानसभा में नामित कर सकते हैं। नामित सदस्यों में एक महिला होनी चाहिये।
  • प्रवासियों को ऐसे व्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया गया है जो 1 नवंबर, 1989 के बाद कश्मीर घाटी या जम्मू एवं कश्मीर राज्य के किसी अन्य हिस्से से चले गए। 
  • प्रवासियों में वे व्यक्ति भी शामिल हैं जिनका पंजीकरण निम्नलिखित कारणों से नहीं हुआ है: 
    • किसी मूविंग ऑफिस में सरकारी सेवा में होने के कारण
    • काम के लिये चले जाने के कारण
    • जिस स्थान से वे प्रवासित हुए हैं, वहाँ उनके पास अचल संपत्ति है लेकिन वे अशांत परिस्थितियों के कारण वहाँ निवास करने में असमर्थ हैं।

  स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण  

नियंत्रित मानव संक्रमण अध्ययन पर नीति वक्तव्य जारी 

  • भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने 'भारत में नियंत्रित मानव संक्रमण अध्ययन का नैतिक आचरण' पर मसौदा सर्वसम्मति नीति वक्तव्य जारी किया। 
  • इन अध्ययनों में जान-बूझकर स्वस्थ मानव स्वयंसेवकों को नियंत्रित परिस्थितियों में एक विशिष्ट पैथोजन के संपर्क में लाना शामिल है। 
  • इससे रोगजनक की प्रकृति, उसके संपर्क में आने पर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को समझने और टीके एवं उपचार विकसित करने में मदद मिलेगी। 
  • इस तरह के अध्ययनों के वैज्ञानिक लाभों के बावजूद कुछ नैतिक मुद्दे भी हैं जैसे- जान-बूझकर नुकसान पहुँचाना, अनुपातहीन भुगतान और कमज़ोर प्रतिभागियों के साथ शोध। मसौदा नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करते हुए नैतिक चिंताओं का समाधान करना है कि इस तरह के शोध आयोजित किये जा सकते हैं। 

नीति की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • ज़िम्मेदार तरीके से अनुसंधान करना: नियंत्रित मानव संक्रमण अध्ययन नैदानिक परीक्षणों में व्यापक अनुभव और सिद्ध अकादमिक/अनुसंधान उत्कृष्टता वाले संस्थानों द्वारा किया जाना चाहिये। मनुष्यों पर स्वास्थ्य अनुसंधान के लिये शोधकर्ताओं को मौजूदा ICMR के नैतिक दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रशिक्षित किया जाना चाहिये। चूँकि अनुसंधान क्षेत्र जटिल है, इसलिये विभिन्न शोधकर्ताओं और संस्थानों के बीच सहयोग को अत्यधिक प्रोत्साहित किया जाता है।
  • नैतिक सुरक्षात्मक उपाय: प्रतिभागियों को अध्ययन की विस्तृत जानकारी प्रदान की जानी चाहिये और कोई भी अध्ययन करने से पहले लिखित सूचित सहमति ली जानी चाहिये। 
  • इसके अलावा प्रतिभागियों को 18-45 वर्ष आयु वर्ग का स्वस्थ वयस्क होना चाहिये जो परोपकारी उद्देश्यों से भाग ले रहे हों। 
  • स्नातकों को प्राथमिकता दी जा सकती है। कमज़ोर सामाजिक, आर्थिक और शारीरिक स्थिति वाले व्यक्तियों को फिलहाल बाहर रखा जाना चाहिये। 
  • चूँकि ऐसे अध्ययनों से एकत्र किया गया डेटा संवेदनशील होता है, इसलिये इसका उपयोग अध्ययन के उद्देश्य तक ही सीमित होना चाहिये। 
  • ICMR राष्ट्रीय नैतिक दिशा-निर्देश, 2017 के तहत गठित आचार समिति द्वारा अनुपालन के लिये इन अध्ययनों की समीक्षा की जानी चाहिये। 
  • प्रतिभागियों को क्षतिपूर्ति: शोधकर्ता चिकित्सीय परेशानी और किसी भी अन्य असुविधा को ध्यान में रखते हुए प्रतिभागियों को प्रतिपूर्ति कर सकते हैं। 
    • अध्ययन से जुड़े अज्ञात जोखिमों/नुकसानों के मामले में पर्याप्त बीमा प्रावधान होने चाहिये।

  समन्वय  

बहु-राज्यीय सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक, 2022

  • लोकसभा द्वारा बहु-राज्य सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया गया। यह बहु-राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2002 में संशोधन करता है।
  • बहु-राज्य सहकारी समितियाँ एक से अधिक राज्यों में संचालित होती हैं।

विधेयक के मुख्य प्रावधानों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • बोर्ड के सदस्यों का निर्वाचन: अधिनियम के तहत बहु-राज्यीय सहकारी समिति के बोर्ड का निर्वाचन उसके मौजूदा बोर्ड द्वारा किया जाता है। विधेयक इसमें संशोधन करता है और निर्दिष्ट करता है कि केंद्र सरकार सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण बनाएगी जो कि निम्नलिखित कार्य करेगा: 
    • निर्वाचन करना।
    • मतदाता सूची को तैयार करने से संबंधित मामलों का निरीक्षण, निर्देशन और उसका नियंत्रण करना। 
    • अन्य निर्दिष्ट काम करना। 
  • प्राधिकरण में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन सदस्य होंगे। केंद्र सरकार चयन समिति के सुझावों के आधार पर इन सदस्यों की नियुक्ति करेगी।
  • शिकायतों का निवारण: विधेयक के अनुसार, केंद्र सरकार प्रादेशिक क्षेत्राधिकार के साथ एक या एक से अधिक सहकारी लोकपाल की नियुक्ति करेगी। 
  • लोकपाल निम्नलिखित के संबंध में सहकारी समितियों के सदस्यों की शिकायतों की जाँच करेगा:
    • उनकी जमा
    • समिति के कामकाज़ के उचित लाभ
    • सदस्यों के व्यक्तिगत अधिकारों को प्रभावित करने वाले मुद्दे 
  • लोकपाल शिकायत प्राप्त होने के तीन महीनों के भीतर जाँच और अधिनिर्णय की प्रक्रिया को पूरी करेगा। लोकपाल के निर्देशों के खिलाफ एक महीने के भीतर केंद्रीय रजिस्ट्रार (जिसकी नियुक्ति केंद्र सरकार करती है) के पास अपील दायर की जा सकती है।
  • सहकारी समितियों का एकीकरण: अधिनियम में बहु-राज्यीय सहकारी समितियों के एकीकरण और विभाजन का प्रावधान है। 
    • यह सामान्य सभा में एक प्रस्ताव पारित करके किया जा सकता है। इसके लिये उपस्थित और मतदान करने वाले कम-से-कम दो-तिहाई सदस्यों की आवश्यकता होती है।
    • विधेयक सहकारी समितियों (राज्य कानूनों के तहत पंजीकृत) को मौजूदा बहु-राज्यीय सहकारी समिति में विलय होने की अनुमति देता है। 
    • इस विलय के लिये आम बैठक में सहकारी समिति के मौजूदा और वोट देने वाले दो-तिहाई सदस्यों को प्रस्ताव पारित करना होगा। 

  शिक्षा  

भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2023 

  • भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2023 भारतीय प्रबंधन संस्थान अधिनियम, 2017 में संशोधन करता है।
    • अधिनियम भारतीय प्रबंधन संस्थानों (IIM) को राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान घोषित करता है और उनके कामकाज़ को नियंत्रित करता है।
    • IIM प्रबंधन और संबद्ध क्षेत्रों में स्नातकोत्तर शिक्षा प्रदान करता है।
  • आगंतुक/विज़िटर: विधेयक भारत के राष्ट्रपति को अधिनियम के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक संस्थान के आगंतुक के रूप में नामित करता है।
    • आगंतुक को निम्नलिखित शक्तियाँ प्रदान की जाती हैं जिनमें शामिल हैं: 
    • IIM के कामकाज़ की जाँच शुरू करना।
    • अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई करना।
    • समन्वय मंच के अध्यक्ष की नियुक्ति करना।
  • IIM के निदेशकों की नियुक्ति और निष्कासन: अधिनियम के तहत IIM के निदेशक की नियुक्ति एक सर्च-कम-सिलेक्शन समिति के सुझावों के आधार पर बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा की जाती है।
  • विधेयक बोर्ड को संस्थान का निदेशक नियुक्त करने से पहले आगंतुक की पूर्व मंज़ूरी लेने का आदेश देता है। निदेशक के चयन की प्रक्रिया केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी।
  • अधिनियम के तहत सर्च समिति में बोर्ड का एक चेयरपर्सन होता है और तीन सदस्य प्रतिष्ठित प्रशासकों, उद्योगपतियों, शिक्षाविदों में से चुने जाते हैं। विधेयक इन सदस्यों की संख्या को घटाकर दो करता है तथा आगंतुक द्वारा नामित एक और सदस्य को जोड़ता है।
  • अधिनियम के तहत बोर्ड निम्नलिखित आधार पर निदेशक को पद से हटा सकता है: 
    • दिवालियापन
    • मानसिक और शारीरिक अक्षमता
    • हितों का टकराव 
  • विधेयक में कहा गया है कि निदेशक को हटाने से पहले बोर्ड को आगंतुक की पूर्व मंज़ूरी की आवश्यकता होगी। विधेयक आगंतुक को निदेशक की सेवाओं को समाप्त करने का अधिकार भी देता है, जैसा कि निर्दिष्ट किया जा सकता है।
  • बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष की नियुक्ति: अधिनियम के तहत प्रत्येक संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष की नियुक्ति बोर्ड द्वारा की जाती है। विधेयक इसमें संशोधन करता है और प्रावधान करता है कि बोर्ड के अध्यक्ष को आगंतुक द्वारा नामित किया जाएगा।
  • NITE, मुंबई: विधेयक राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान (National Institute of Industrial Engineering- NITIE), मुंबई को IIM , मुंबई के रूप में वर्गीकृत करता है। 

UGC ने सीधी भर्ती हेतु न्यूनतम मानदंड में संशोधन किया 

  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) ने उच्च शिक्षा संस्थानों में सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिये न्यूनतम योग्यता के नए नियम जारी किये हैं।
    • ये नियम 2018 के विनियमों का स्थान लेते हैं। 
    • इससे पहले सहायक प्रोफेसर के रूप में भर्ती के पात्र होने के लिये नियुक्त व्यक्तियों को न्यूनतम योग्यता के रूप में पीएचडी डिग्री की आवश्यकता होती थी। 
    • अब अगर उम्मीदवारों के पास पीएचडी की डिग्री नहीं है, तो उन्हें UGC, औद्योगिक और वैज्ञानिक अनुसंधान परिषद (नेट के मामले में) या UGC द्वारा मान्यता प्राप्त निकायों द्वारा आयोजित नेट/सेट/SLET परीक्षा उत्तीर्ण करने पर नियुक्त किया जा सकता है।

विश्वविद्यालय उद्योग लिंकेज प्रणाली 

  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने भारतीय विश्वविद्यालयों के लिये सतत् और जीवंत विश्वविद्यालय-उद्योग लिंकेज प्रणाली पर मसौदा दिशा-निर्देश जारी किये। 
  • ये दिशा-निर्देश राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy- NEP) के उद्देश्यों के मद्देनज़र जारी किये गए हैं।
  • अन्य बातों के अलावा NEP नवाचार को बढ़ावा देने और विद्यार्थियों की क्षमता को बढ़ाने के लिये विश्वविद्यालय-उद्योग लिंकेज प्रणाली की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। 
  • विश्वविद्यालय-उद्योग लिंकेज प्रणाली के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
    • अनुसंधान और विकास (R&D) को बढ़ावा देना।
    • शैक्षणिक और औद्योगिक प्रणालियों में विद्यार्थियों के लिये इंटर्नशिप एवं अप्रेंटिसशिप को बढ़ाना।
  • अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिये दिशा-निर्देश राज्य स्तर पर उद्योगों और विश्वविद्यालयों के अनुसंधान एवं विकास समूहों का प्रस्ताव करते हैं। 
    • ये क्लस्टर क्षेत्र की तकनीकी ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करेंगे। 
  • प्रत्येक उद्योग एक विश्वविद्यालय संबंध सेल स्थापित करेगा और प्रत्येक विश्वविद्यालय एक उद्योग संबंध सेल स्थापित करेगा। 
  • क्षेत्र की तकनीकी आवश्यकताओं का आकलन करने और क्षेत्रीय/स्थानीय प्रासंगिकता पर अनुसंधान करने के लिये दोनों निकायों को एक-दूसरे तथा अन्य हितधारकों के साथ संपर्क करने की आवश्यकता होगी।
  • विद्यार्थियों की इंटर्नशिप और प्रशिक्षुता प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिये दिशा-निर्देश विश्वविद्यालयी शिक्षा में उद्योगों के अधिक एकीकरण का प्रस्ताव करते हैं। यह निम्नलिखित के माध्यम से किया जाएगा:
    • विश्वविद्यालय बोर्डों पर प्रोफेसरों और सदस्यों के रूप में अत्यधिक अनुभवी उद्योग पेशेवरों की नियुक्ति।
    • उद्योगों के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रमों और कार्यशालाओं का आयोजन।
    • उद्योगों और विश्वविद्यालयों के बीच सहयोगात्मक डिग्री कार्यक्रमों और अनुसंधान परियोजनाओं का प्रावधान। 
    • विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के लिये इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप की ज़रूरतों को कार्यान्वित कर सकते हैं, चाहे वे किसी भी क्षेत्र की पढ़ाई कर रहे हों। 
    • विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को अवसरों से जोड़ने के लिये अधिक संस्थागत सहायता भी प्रदान कर सकते हैं।

  सामाजिक न्याय  

संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 

  • संसद ने संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (तीसरा संशोधन) विधेयक, 2022 और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पाँचवाँ संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया।
  • ये विधेयक संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ से संबंधित प्रावधानों में संशोधन करते हैं।
  • तीसरे संशोधन बिल में सिरमौर ज़िले के ट्रांस गिरी के हाटी समुदाय को हिमाचल प्रदेश में अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया गया है। 
  • पाँचवें संशोधन विधेयक में छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजातियों की सूची में धनुहार, धनुवार, किसान, सौंरा, संवरा और बिंझिया समुदायों को शामिल किया गया है। 
  • विधेयक में पंडो समुदाय के नाम के तीन देवनागरी संस्करण भी शामिल हैं। 

संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2023 

  • संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया। 
    • विधेयक संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 में छत्तीसगढ़ से संबंधित प्रावधानों में संशोधन करता है। 
    • विधेयक में छत्तीसगढ़ में मेहरा, महरा और मेहर समुदायों के पर्यायवाची के रूप में महारा और महरा समुदायों को शामिल किया गया है।   

संविधान (जम्मू एवं कश्मीर) अनुसूचित जाति आदेश संशोधन विधेयक, 2023 

  • संविधान (जम्मू एवं कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश संशोधन विधेयक, 2023 और संविधान (जम्मू एवं कश्मीर) अनुसूचित जाति आदेश संशोधन विधेयक, 2023 लोकसभा में पेश किये गए।
  • वे क्रमशः जम्मू एवं कश्मीर अनुसूचित जनजाति आदेश, 1956 और जम्मू-कश्मीर अनुसूचित जाति आदेश, 1956 में संशोधन करते हैं।
  • संविधान (जम्मू एवं कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश संशोधन विधेयक, 2023 जम्मू और कश्मीर में गड्डा ब्राह्मण, कोली, पद्दारी जनजाति तथा पहाड़ी जातीय समूह को अनुसूचित जनजातियों की सूची में जोड़ता है।
  • संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जाति आदेश संशोधन विधेयक, 2023 वाल्मिकी समुदाय को चूड़ा, बाल्मीकि, भंगी तथा मेहतर समुदायों के पर्याय के रूप में जोड़ता है। यह पर्याय केवल केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लागू होगा।  

  रक्षा  

अंतर-सेवा संगठन विधेयक, 2023

  • रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023 पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
  • केंद्र सरकार एक अंतर-सेवा संगठन का गठन कर सकती है, जिसमें तीन सैन्य सेवाओं: थलसेना, नौसेना और वायु सेना में से कम-से-कम दो सेवाओं से संबंधित कर्मचारी होंगे।
  • विधेयक अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को उनकी सेवा के बावजूद उनकी कमान के तहत सेवा कर्मियों पर अनुशासनात्मक या प्रशासनिक नियंत्रण रखने का अधिकार देता है। समिति विधेयक के प्रावधानों से सहमत थी।

  कृषि  

तटीय जलकृषि प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2023

  • कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी स्थायी समिति ने 'तटीय जलकृषि प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2023' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। 
  • विधेयक तटीय जलकृषि प्राधिकरण, 2005 में संशोधन करता है। 
    • अधिनियम तटीय जलीय कृषि को विनियमित करता है और इसके विनियमन के लिये एक प्राधिकरण की स्थापना करता है। 
    • तटीय जलीय कृषि का तात्पर्य नियंत्रित स्थितियों में मछलियों को पालने और उनकी खेती करने से है।
    • समिति के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
  • CRZ क्षेत्रों में कुछ जलीय कृषि गतिविधियों की अनुमति: विधेयक समुद्र के नो-डेवलपमेंट ज़ोन और खाड़ियों/नदियों/बैकवाटर के बफर ज़ोन में हैचरी, न्यूक्लियस प्रजनन केंद्र तथा ब्रूड स्टॉक गुणन केंद्र स्थापित करने की अनुमति देता है। 
  • विभाग ने कहा कि हालाँकि CRZ ने ऐसी गतिविधियों की अनुमति दी थी, लेकिन राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने कानून में स्पष्ट प्रावधान न होने के कारण उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी। 
  • समिति ने कहा कि इन गतिविधियों को वर्ष 1991 और 2011 की तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) अधिसूचनाओं के तहत छूट दी गई थी तथा विधेयक इन छूटों के लिये वैधानिक समर्थन प्रदान करता है। समिति ने प्रस्तावित संशोधन को स्वीकार कर लिया।
  • परिसर में प्रवेश करने का अधिकार: अधिनियम एक अधिकृत व्यक्ति को किसी भी  तटीय जलीय कृषि  भूमि/परिक्षेत्र में प्रवेश करने और उसका निरीक्षण/सर्वेक्षण/उसे ध्वस्त करने का अधिकार देता है, लेकिन इसके लिये उसे न्यूनतम 24 घंटे का नोटिस देना होगा।
    • विधेयक नोटिस की आवश्यकता को समाप्त करता है, बशर्ते कि कारण लिखित रूप में में दर्ज किये जाएँ। 
    • समिति ने पाया कि विधेयक उन कारणों को परिभाषित नहीं करता है जिनके तहत किसी अधिकारी को पूर्व सूचना के बिना प्रवेश करने के लिये अधिकृत किया जाएगा। 
    • विभाग ने उत्तर दिया कि अनुमोदन केवल असाधारण मामलों में दिया जाएगा, जहाँ पूर्व सूचना निरीक्षण के उद्देश्य को विफल कर देगी (जैसे कि अवैध एंटीबायोटिक का उपयोग)। हालाँकि समिति ने प्रस्तावित संशोधन को स्वीकार कर लिया, लेकिन इस बात का उल्लेख किया कि विभाग को इसके दुरुपयोग को रोकने के लिये पर्याप्त सुरक्षा उपाय करने चाहिये।

कृषि मशीनीकरण पर रिपोर्ट

  • कृषि, पशुपालन तथा खाद्य प्रसंस्करण पर स्थायी समिति ने 'देश में छोटे और सीमांत किसानों के लिये कृषि मशीनीकरण में अनुसंधान एवं विकास' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
    • कृषि का मशीनीकरण फसलों की उत्पादकता में सुधार करता है, विवेकपूर्ण इनपुट उपयोग सुनिश्चित करता है और किसानों को निर्वाह खेती के बजाय व्यावसायिक कृषि करने में सक्षम बनाता है।

समिति के निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:

  • कृषि मशीनीकरण की स्थिति: अगस्त 2022 तक भारत में 47% कृषि गतिविधियाँ मशीनीकृत हैं। यह चीन (60%) और ब्राज़ील (75%) जैसे अन्य विकासशील देशों से काफी कम है। 
    • इसके अलावा छोटी और सीमांत कृषि जोत (दो हेक्टेयर से कम) देश में कुल परिचालन (ऑपरेशनल) जोत का 86% हिस्सा हैं। समिति ने यह भी कहा कि जब तक छोटी जोत के लिये उपयुक्त मशीनें उपलब्ध नहीं कराई जातीं या पर्याप्त कृषि भूमि का समेकन नहीं होता, छोटे किसानों के लिए  आवश्यक मशीनें खरीदना मुश्किल होगा। 
    • समिति ने यह भी कहा कि देश को 75-80% मशीनीकरण हासिल करने में लगभग 25 वर्ष और लगेंगे। 
    • उसने कहा कि किसानों को अतिरिक्त फसलों की बुवाई करने में सक्षम बनाने की तत्काल आवश्यकता है, जो कृषि को आकर्षक और लाभदायक बनाएंगी। 
    • कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के मद्देनज़र कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को छोटे खेतों के मशीनीकरण को प्राथमिकता देनी चाहिये। समिति ने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को 25 वर्षों से कम समय में 75% मशीनीकरण हासिल करना चाहिये।

विभिन्न फसलों में मशीनीकरण का स्तर:

फसल

चावल

गेहूँ

दालें

गन्ना

    कुल

स्तर

53%

69%

41%

35%

  47%

  • कृषि उपकरणों की पोर्टेबिलिटी: चूँकि कृषि मशीनरी महँगी है, इसलिये छोटे किसानों के लिये कृषि उपकरण खरीदना मुश्किल होता है। 
    • समिति ने कहा कि सरकार ने कस्टम हायरिंग सेंटर और फार्म मशीनरी बैंक शुरू किये हैं, जहाँ किसान मशीनें साझा कर सकते हैं। अब तक 37,097 कस्टम हायरिंग सेंटर, जिनमें 17,727 फार्म मशीनरी बैंक शामिल हैं, स्थापित किये जा चुके हैं। 
    • एक सुस्थापित केंद्र लगभग 100-200 किसानों को मशीनें प्रदान कर सकता है।
    • समिति ने कहा कि लगभग सभी राज्यों में फार्म मशीनरी बैंक स्थापित किये गए हैं। हालाँकि अभी तक उनका लाभ ज़िला, तालुका, पंचायत और ग्राम सभा स्तर तक पर्याप्त रूप से नहीं पहुँचा है। समिति ने सुझाव दिया कि सरकार ऐसी योजनाओं का व्यापक रूप से प्रचार करे और आस-पास के केंद्रों/बैंकों का पता लगाने तथा उनसे संपर्क करने के लिये एप विकसित करे। 

  वित्त  

FPI निवेश पर परामर्श पत्र जारी 

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने कॉरपोरेट बॉण्ड में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के निवेश पर एक परामर्श पत्र जारी किया है। 
    • सेबी का कहना है कि कॉरपोरेट बॉण्ड में सेकेंडरी मार्केट (मौजूदा प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री के लिये) लेनदेन मुख्य रूप से ऑफलाइन होता है। इसमें द्विपक्षीय आधार पर मूल्यों पर सौदेबाज़ी शामिल होती है।
  • परामर्श पत्र में यह प्रस्ताव है कि FPI के लिये यह अनिवार्य किया जाए कि वह रिक्वेस्ट फॉर कोट (RFQ) प्लेटफॉर्म के माध्यम से कॉरपोरेट बॉण्ड में अपना कम-से-कम 10% सेकेंडरी मार्केट लेनदेन करे।
    • वे एक तिमाही में अपने सेकेंडरी मार्केट लेन-देन का 10% हिस्सा इस प्लेटफॉर्म के ज़रिये पूरा करेंगे। 
  • RFQ प्लेटफॉर्म एक केंद्रीकृत ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है। इससे मूल्य खोज में मदद मिलती है और लेन-देन में पारदर्शिता आती है।

सेबी की ESG रेटिंग प्रदाताओं के विनियमन हेतु रूपरेखा 

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने SEBI (क्रेडिट रेटिंग एजेंसियाँ) (संशोधन) विनियमन, 2023 को अधिसूचित किया। 
  • यह SEBI (क्रेडिट रेटिंग एजेंसियाँ) विनियमन, 1999 में संशोधन करता है।  
  • ये क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के विनियमन का प्रावधान करते हैं। 
  • ऐसी एजेंसियाँ उन प्रतिभूतियों को रेटिंग प्रदान करती हैं जिन्हें स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव है या जो पहले से ही सूचीबद्ध हैं। 
  • 2023 का संशोधन पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) रेटिंग प्रदान करने वाली एजेंसियों के लिये एक रूपरेखा प्रदान करता है।
  • ये रेटिंग्स किसी कंपनी या उसकी प्रतिभूतियों से संबंधित शासन संबंधी जोखिम, सामाजिक जोखिम या जलवायु संबंधी जोखिमों के प्रोफाइल के बारे में राय प्रस्तुत करती हैं।

प्रमुख विशेषताओं में निम्न शामिल हैं:

  • पंजीकरण: ESG रेटिंग प्रदाताओं को सेबी के साथ पंजीकृत होना होगा। SEBI को पंजीकरण प्रमाणपत्र देने के लिये कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। आवेदक को: 
    • कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत एक कंपनी के रूप में निगमित होना चाहिये।
    • उसकी मुख्य गतिविधि के रूप में ESG रेटिंग होनी चाहिये।
    • उसे अपनी व्यवसाय योजना SEBI को जमा करनी होगी।
  • एजेंसियों की ज़िम्मेदारियाँ: ESG रेटिंग प्रदाता को पारदर्शिता सुनिश्चित करने और हितों के टकराव को रोकने के लिये कुछ कदम उठाने होंगे। इनमें निम्नलिखित से संबंधित खुलासे शामिल हैं: 
    • वेबसाइट पर ESG रेटिंग और उनके प्रकार।
    • ESG रेटिंग प्रदान करने की पद्धति।
    • ESG रेटिंग पद्धति में कोई बदलाव।
    • ग्राहकों के साथ मुआवज़े की व्यवस्था की सामान्य प्रकृति। 
  • इसके अलावा उन्हें हितों के संभावित टकरावों की पहचान करनी चाहिये, उनका  खुलासा करना चाहिये और (जहाँ तक संभव हो) उन्हें टालना/कम करना चाहिये।
  • ESG रेटिंग्स की समीक्षा: रेटिंग प्रोवाइडर को प्रत्येक प्रकाशित ESG रेटिंग की सालाना समीक्षा करनी चाहिये। यदि आवश्यक हो तो इसे अधिक बार किया जा सकता है। 
    • ESG रेटिंग को तब तक वापस नहीं लिया जाना चाहिये जब तक कि जारीकर्ता (जिसकी प्रतिभूति रेटेड है) कंपनी बंद न हो जाए, या दूसरी कंपनी में उसका विलय या एकीकरण न हो जाए।    

साइबर सुरक्षा और साइबर लचीलेपन ढाँचे पर परामर्श पत्र जारी 

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सेबी विनियमित संस्थाओं के लिये समेकित साइबर सुरक्षा और साइबर लचीलापन ढाँचे पर एक परामर्श पत्र जारी किया है। इन संस्थाओं में ब्रोकर, म्यूचुअल फंड और स्टॉक एक्सचेंज शामिल हैं। 
    • परामर्श पत्र में कहा गया है कि सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग तेज़ी से बढ़ा है और यह सेबी द्वारा विनियमित संस्थाओं के लिये यह महत्त्वपूर्ण है। 
    • साथ ही IT बुनियादी ढाँचे और डेटा प्रोटेक्शन मुख्य चिंता बन गए हैं। 
  • साइबर खतरों और इनसे जुड़े मामलों से निपटने के लिये व्यवस्था को मज़बूत करना आवश्यक है तथा इसके लिये एक रूपरेखा तैयार की गई है। साइबर सुरक्षा और साइबर लचीलापन ढाँचे की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:
  • संपत्तियों की पहचान: विनियमित संस्थाओं को महत्त्वपूर्ण संपत्तियों की पहचान और उनका वर्गीकरण करना चाहिये। ये परिसंपत्तियाँ निम्नलिखित पर आधारित होनी चाहिये:
    • व्यावसायिक संचालन के लिये उनकी संवेदनशीलता और गंभीरता।
    • सेवाएँ।
    • डेटा प्रबंधन।
  • साइबर अवसंरचना की सुरक्षा: विनियमित संस्थाओं को नेटवर्क विभाजन तकनीक (यातायात के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिये नेटवर्क को कई खंडों में विभाजित करना) को लागू करना होगा। इससे संवेदनशील जानकारी और सेवाओं तक पहुँच प्रतिबंधित हो जाएगी। 
  • साइबर खतरों का पता लगाना: विनियमित संस्थाएँ एक सुरक्षा संचालन केंद्र के माध्यम से उचित सुरक्षा तंत्र स्थापित करेंगी। 
  • यह सुरक्षा संबंधी मामलों की निगरानी करेगा और असामान्य गतिविधियों का समय पर पता लगाना सुनिश्चित करेगा।
  • केंद्र की कार्यात्मक दक्षता हर छह महीने में मापी जानी चाहिये। 
  • सभी विनियमित संस्थाओं को एक अप-टू-डेट साइबर संकट प्रबंधन योजना बनानी होगी।

डेबिट, क्रेडिट और प्रीपेड कार्ड जारी 

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने डेबिट, क्रेडिट और प्रीपेड कार्ड जारी करने के लिये कार्ड नेटवर्क के साथ कार्ड जारीकर्त्ताओं की व्यवस्था पर एक सर्कुलर जारी किया है। 
  • अधिकृत कार्ड नेटवर्क डेबिट, क्रेडिट और प्रीपेड कार्ड जारी करने के लिये बैंकों एवं गैर-बैंकों (कार्ड जारीकर्ताओं) के साथ गठबंधन करते हैं।
    • अधिकृत कार्ड नेटवर्क में मास्टरकार्ड, वीज़ा, रुपे और अमेरिकन एक्सप्रेस शामिल हैं। 
  • कार्ड नेटवर्क का चुनाव कार्ड जारीकर्ता तय करता है। 
  • RBI ने पाया कि कार्ड नेटवर्क और कार्ड इश्यूअर के बीच मौजूदा व्यवस्था ग्राहकों को विकल्प प्रदान करने के लिये अनुकूल नहीं है। 
  • RBI ने प्रस्ताव दिया है कि:
    • कार्ड जारीकर्ता कार्ड नेटवर्क के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे, जिससे उन्हें अन्य कार्ड नेटवर्क की सेवाएँ जारी करने से रोका जा सके।
    • कार्ड जारीकर्ता को कई नेटवर्कों पर कार्ड जारी करना होगा।
    • पात्र ग्राहक के पास एकाधिक कार्ड नेटवर्क में से चुनाव का विकल्प होना चाहिये। 
    • कई नेटवर्क पर कार्ड जारी करना और ग्राहक को चुनने का विकल्प प्रदान करना 1 अक्तूबर 2023 से प्रभावी होगा।

RBI द्वारा रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर रिपोर्ट जारी

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर अंतर-विभागीय समूह की एक रिपोर्ट जारी की। 
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि हालिया भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिये रुपए जैसी मुद्राओं के इस्तेमाल की संभावना तलाशी जा सकती है। 
  • प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
    • व्यापार समझौतों के लिये मानकीकृत दृष्टिकोण: रिपोर्ट में कहा गया है कि RBI को स्थानीय मुद्राओं में व्यापार व्यवस्था के लिये विभिन्न न्यायालयों से प्रस्ताव प्राप्त हो रहे हैं। 
      • रिपोर्ट में बहुपक्षीय/द्विपक्षीय व्यापार समझौतों से जुड़े प्रस्तावों की जाँच के लिये एक समान टेम्पलेट अपनाने का सुझाव दिया गया है। 
        • ऐसे समझौतों में चालान, निपटान और रुपए एवं समकक्ष देशों की स्थानीय मुद्राओं में भुगतान शामिल हो सकता है।
  • गैर-निवासियों द्वारा रुपया खाता खोलना: रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के बाहर भारतीय मुद्रा के खाते खोलना उसके अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिये महत्त्वपूर्ण है। 
    • उसने सुझाव दिया कि गैर-निवासियों को शुरू में अधिकृत डीलरों की विदेशी शाखाओं में भारतीय मुद्रा के खाता खोलने की अनुमति दी जा सकती है। 
    • ऐसे डीलरों को RBI द्वारा विदेशी मुद्रा में लेनदेन के लिये अधिकृत किया जाता है। बाद में गैर-निवासियों को किसी भी विदेशी बैंक में ये खाता खोलने की अनुमति दी जा सकती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन के लिये RTGS का इस्तेमाल: रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) धनराशि पर किसी सीमा के बिना इंटरबैंक फंड ट्रांसफर प्रदान करता है।
    • रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के लिये RTGS के उपयोग का पता लगाया जा सकता है। 
    • उसने सीमा पार निपटान के लिये UPI के उपयोग को बढ़ाने का भी सुझाव दिया। 

साइबर सुरक्षा पर स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी

वित्त संबंधी स्थायी समिति ने 'साइबर सुरक्षा और साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:

  • साइबर प्रोटेक्शन अथॉरिटी: समिति ने कहा कि साइबर सुरक्षा के वर्तमान विनियमन परिदृश्य में कई एजेंसियाँ और निकाय शामिल हैं। इसके लिये उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समन्वय की ज़रूरत है। कोई भी केंद्रीय प्राधिकरण या एजेंसी पूरी तरह से साइबर सुरक्षा हेतु समर्पित नहीं है। समिति ने एक केंद्रीकृत साइबर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CPA) स्थापित करने का सुझाव दिया। अथॉरिटी राज्यों तथा निजी क्षेत्र की संस्थाओं के सहयोग से मज़बूत साइबर सुरक्षा नीतियों, दिशा-निर्देशों और सर्वोत्तम कार्य पद्धतियों को विकसित एवं कार्यान्वित करेगी।
  • डेटा शेयरिंग: सर्च इंजनों और बड़ी टेक कंपनियों की मौजूदगी के साथ-साथ डिजिटल परिदृश्य के विस्तार ने साइबर अपराध के प्रति डिजिटल इकोसिस्टम की संवेदनशीलता को बढ़ावा दिया है। इसके लिये सर्च इंजनों और ग्लोबल टेक कंपनियों की ज़िम्मेदारियों की स्पष्ट रूपरेखा तैयार करना आवश्यक है। समिति ने सुझाव दिया कि एप्लिकेशन स्टोर्स के लिये उन सभी एप्लीकेशंस का विस्तृत मेटाडेटा और जानकारी साझा करना अनिवार्य किया जाना चाहिये जिन्हें वे अपने प्लेटफॉर्म पर होस्ट करते हैं। इस डेटा रेपोजिटरी से रेगुलेटर्स को यह शक्ति मिलेगी कि वे संभावित सुरक्षा संवेदनशीलता की पहचान और जरूरी उपाय करें। इसके अतिरिक्त टेक कंपनियों को निम्नलिखित समाधान करने चाहिये:
    • उन्हें अपने ऑपरेटिंग सिस्टम्स को नियमित अपडेट और पैच करना चाहिये। 
    • अपने एप्लिकेशन स्टोर्स में मंजूरियों के लिये एक कठोर जांच प्रक्रिया लागू करनी चाहिये।
  • सर्विस प्रदाताओं का विनियमन: समिति ने कहा कि साइबर सुरक्षा मामलों में थर्ड पार्टी सर्विस प्रदाताओं पर पर्याप्त नियंत्रण रखना चुनौतीपूर्ण रहा है। उसने सुझाव दिया कि इन सर्विस प्रदाताओं, जिनमें बड़ी टेक और टेलीकॉम कंपनियाँ भी शामिल हैं, की निगरानी एवं नियंत्रण के लिये विनियमन शक्तियों को बढ़ाया जाए। समिति ने यह भी कहा कि बड़ी टेक कंपनियों को अपने सिस्टम को अधिक सुरक्षित बनाने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) जैसे विनियमन के इनपुट पर विचार करना चाहिये।

  नागरिक उड्डयन  

राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति, 2016 

  • नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति, 2016 में संशोधन अधिसूचित किये हैं।
  • यह नीति हवाई नेविगेशन सेवाओं के उन्नयन और आधुनिकीकरण का प्रावधान करती है।
  • नीति के अनुसार, 1 जनवरी, 2019 से सभी भारतीय पंजीकृत विमानों को GPS एडेड GEO ऑगमेंटेड नेविगेशन (GAGAN) के साथ सक्षम होना चाहिये।
  • नेविगेशन प्रणाली को बढ़ाने के लिये गगन ग्राउंड स्टेशनों का उपयोग करता है।
  • संशोधन में दो श्रेणियों के विमानों को गगन से छूट दी गई है। 
  • इनमें वे विमान शामिल हैं जिन्हें प्रौद्योगिकी संबंधी चुनौतियों के कारण गगन के अनुरूप नहीं बनाया जा सकता है, और वे विमान, जो 1 जुलाई, 2021 से पहले निर्मित किये गए हैं।  

ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों का विकास

  • परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग समिति ने 'ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड हवाई अड्डों के विकास तथा डिफेंस हवाईअड्डों में सिविल इन्क्लेव्स से संबंधित मुद्दों' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। 
    • ग्रीनफील्ड हवाईअड्डे खाली/अविकसित भूमि पर विकसित किये जाते हैं और उनकी कमीशनिंग/योजना शून्य से की जाती है। 
    • ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों के पास हवाईअड्डे के विकास के लिये ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे रनवे और टर्मिनल भवन आदि मौजूद होते हैं। 
  • समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
    • ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों के लिये व्यापक नीति: समिति ने कहा कि ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों का पुनरुद्धार, विस्तार और आधुनिकीकरण करना आवश्यक है। 
      • लेकिन उन्हें क्षेत्र विस्तार, डिज़ाइन की सीमाओं और निष्पादन जोखिमों के लिहाज़ से बाधाओं का सामना करना पड़ता है। 
      • हालाँकि ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों के लिये कोई विशिष्ट नीति नहीं है, लेकिन नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कहना है कि राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति (NCAP), 2016 और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) अधिनियम, 1994 में ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों के विकास के लिये निर्देशक सिद्धांत मौजूद हैं। समिति ने कहा कि एक स्पष्ट नीति बनाई जानी चाहिये जो यह तय करे कि ग्रीनफील्ड या ब्राउनफील्ड में से कौन से हवाईअड्डे विकसित किये जाएँ।
  • समन्वय से संबंधित चुनौतियाँ और परियोजनाओं में देरी: समिति ने कहा कि मंत्रालय को हवाईअड्डे बनाने के लिये राज्य सरकारों के साथ समन्वय में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • इनमें भूमि अधिग्रहण और आवंटन में देरी तथा जहाँ केंद्र सरकार पहले ही साइट  मंज़ूरी दे चुकी है, वहाँ सैद्धांतिक मंज़ूरी जमा करने में देरी शामिल है। 
  • पुनर्वास और पुनर्स्थापन की समस्याओं के कारण भी परियोजना में देरी होती है, जिसके परिणामस्वरूप अनेक मुकदमेबाज़ियाँ होती हैं।

  विदेशी मामले  

भारत की पड़ोसी प्रथम नीति पर स्थायी समिति की रिपोर्ट

  • विदेश मामलों की स्थायी समिति ने 'नेबरहुड फर्स्ट नीति' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। नेबरहुड फर्स्ट नीति की अवधारणा वर्ष 2008 में अस्तित्व में आई थी। अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्याँमार, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों के साथ अपने संबंधों को मज़बूत करने के लिये इस अवधारणा की कल्पना की गई थी।

समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:  

  • आतंकवाद और गैरकानूनी प्रवास: समिति ने कहा कि पिछले तीन दशकों में भारत को अपने पड़ोसी देशों से खतरों, तनाव और आतंकवादी एवं उग्रवादी हमलों की आशंकाओं का सामना करना पड़ा है। 
    • अवैध प्रवास और हथियारों एवं नशीली पदार्थों की तस्करी की चुनौतियों के लिये सीमाओं पर बेहतर सुरक्षा अवसंरचना की ज़रूरत है। 
    • समिति ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध प्रवास के कारण होने वाले जनसांख्यिकीय परिवर्तनों की निगरानी का सुझाव दिया। 
  • अवैध प्रवास को रोकने के लिये विदेश मंत्रालय को गृह मंत्रालय और राज्य सरकारों के साथ निकटता से समन्वय करना चाहिये। 
  • चीन और पाकिस्तान के साथ संबंध: चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध विवादास्पद मुद्दों से ग्रस्त रहे हैं। 
  • पाकिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद चिंता का मुख्य विषय है। 
  • समिति ने क्षेत्रीय और बहुपक्षीय संगठनों के साथ जुड़ने का सुझाव दिया ताकि आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका के प्रति उन्हें संवेदनशील बनाया जा सके। 
  • नेबरहुड फर्स्ट नीति के तहत आतंकवाद से मुकाबले के लिये एक साझा मंच स्थापित करने का प्रयास किया जाना चाहिये। समिति ने यह सुझाव भी दिया कि सरकार को पाकिस्तान के साथ आर्थिक संबंध बेहतर करने चाहिये।
  • सीमा अवसंरचना में निवेश: समिति ने भारत की सीमा अवसंरचना की कमी और सीमावर्ती क्षेत्रों को स्थिर एवं विकसित करने की ज़रूरत पर गौर किया। 
  • भारत के पड़ोसियों के साथ जुड़ाव के लिये कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे सीमा पारीय सड़कों, रेलवे और अंतर्देशीय जलमार्ग तथा बंदरगाहों में सुधार की ज़रूरत है। 
  • इसने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के तहत कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिये क्षेत्रीय विकास फंड बनाने की व्यावहारिकता तलाशने का सुझाव दिया।

  संस्कृति  

राष्ट्रीय अकादमियों के कामकाज़ पर रिपोर्ट

  • परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर स्थायी समिति ने 'राष्ट्रीय अकादमियों तथा अन्य सांस्कृतिक संस्थानों के कामकाज़' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
  • राष्ट्रीय अकादमियाँ विभिन्न कला रूपों और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये स्थापित स्वायत्त निकाय हैं। वे संस्कृति मंत्रालय की प्रशासनिक देख-रेख में काम करते हैं। ये हैं: 
    • संगीत नाटक अकादमी।
    • साहित्य अकादमी।
    • ललित कला अकादमी।
    • राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय।
    • सांस्कृतिक संसाधन और प्रशिक्षण केंद्र।
    • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र।
    • कलाक्षेत्र फाउंडेशन। 

समिति के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: 

  • बजटीय आवंटन और मुद्दे: समिति ने पाया कि संस्कृति मंत्रालय को वर्ष 2023-24 के लिये 3,400 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं जो कुल केंद्रीय बजट का केवल 0.075% है। 
    • यह देखा गया कि यह सांस्कृतिक मंत्रालयों के लिये 2% से 5% के वैश्विक आवंटन से कम था।
    • इसके अलावा समिति ने कहा कि वर्ष 2023-24 में राष्ट्रीय अकादमियों के लिये 401 करोड़ रुपए का संयुक्त बजटीय आवंटन अपर्याप्त था। 
    • उसने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय अकादमियों और अन्य सांस्कृतिक संस्थानों की दक्षता एवं पहुँच बढ़ाने के लिये उनके बजटीय आवंटन में वृद्धि की जाए। 
    • उसने अकादमियों को सुझाव दिया कि उन्हें CSR फंड और दान एवं अनुदान के लिये निजी भागीदारी के विकल्प तलाशने चाहिये। 
    • समिति ने यह भी कहा कि धन एकत्रित करने वाले कार्यक्रम तथा समारोह कराए जाएं और OTT प्लेटफार्मों की राजस्व क्षमता की जांच की जाए।
  • प्रमुखों का चुनाव और कार्यकाल: समिति ने पाया कि राष्ट्रीय अकादमियों के अध्यक्ष/अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया और पदाधिकारियों का कार्यकाल विभिन्न राष्ट्रीय अकादमियों में भिन्न-भिन्न होता है।
    • प्रत्येक अकादमी की गवर्निंग काउंसिल की संरचना भी अलग-अलग होती है।
    • इस मुद्दे को संबोधित करने के लिये समिति ने सिफारिश की कि सरकार अध्यक्ष/राष्ट्रपति के चुनाव और कार्यकाल के साथ-साथ गवर्निंग काउंसिल के गठन एवं संचालन पर निश्चित दिशा-निर्देश तैयार करे।
    • इसने प्रत्येक संस्थान की गवर्निंग काउंसिल में एक संसद सदस्य को शामिल करने की भी सिफारिश की। 

  ऊर्जा  

विद्युत (संशोधन) नियम, 2023 

  • विद्युत मंत्रालय ने विद्युत (संशोधन) नियम, 2023 को अधिसूचित किया है। ये नियम विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत बनाए गए विद्युत नियम, 2005 में संशोधन करते हैं। 
  • अधिनियम विद्युत के लिये लाइसेंस और टैरिफ को विनियमित करता है।
  • नियमों के प्रमुख बदलावों में निम्नलिखित शामिल हैं: 
  • कैप्टिव उत्पादकों के लिये योग्यता के मानदंड: नियमों के तहत एक बिजली संयंत्र कैप्टिव उत्पादन संयंत्र बनने के योग्य हो सकता है, अगर कैप्टिव उपयोगकर्ता उत्पादन संयंत्र के कम-से-कम 26% हिस्से का मालिक हो। 
    • कैप्टिव उत्पादन संयंत्र का अर्थ है, किसी के स्वयं के उपयोग के लिये स्थापित किया गया बिजली संयंत्र। संशोधन में कहा गया है कि ऐसे मामलों में जहाँ संयंत्र किसी कैप्टिव उपयोगकर्त्ता की सहयोगी कंपनी द्वारा स्थापित किया गया है, कैप्टिव उपयोगकर्त्ता के पास उस कंपनी का कम-से-कम 51% हिस्सा होना चाहिये। 
    • इसके अलावा मौजूदा कैप्टिव उपयोगकर्ता की सहायक कंपनी को भी कैप्टिव उपयोगकर्ता माना जाएगा।
  • लाइसेंस की वैधता: अधिनियम के तहत केंद्रीय या राज्य आयोग विद्युत संचारित, वितरित या व्यापार करने के लिये लाइसेंस दे सकते हैं। 
  • केंद्रीय या राज्य ट्रांसमिशन यूटिलिटीज़ और सरकारी कंपनियों जैसी संस्थाओं को डीम्ड लाइसेंसधारी माना जाता है। 
  • संशोधन निर्दिष्ट करता है कि:
    • पहली श्रेणी में लाइसेंस की वैधता लाइसेंस में ही निर्दिष्ट की जाएगी। 
    • डीम्ड लाइसेंस 25 वर्षों के लिये वैध होंगे। 
  • अन्य लाइसेंस मौजूदा समझौतों के अनुसार वैध और नवीनीकृत होंगे। 
  • डीम्ड लाइसेंस समाप्ति के बाद अगले 25 वर्षों के लिये स्वतः नवीनीकृत हो जाएंगे, जब तक कि उन्हें रद्द न किया जाए।
  • अगर लाइसेंसधारी अनुरोध करता है तो नवीनीकरण की अवधि कम हो सकती है। 
  • ये नियम टैरिफ-आधारित बोली के माध्यम से चुने गए ट्रांसमिशन डेवलपर्स पर लागू नहीं होते हैं।
  • समान RE टैरिफ: नियमों के तहत, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) टैरिफ की गणना डिस्कॉम को आपूर्ति की गई वास्तविक ऊर्जा के आधार पर की जाती है।
    • यह संशोधन टैरिफ गणना के आधार को आपूर्ति की गई ऊर्जा से अनुसूचित ऊर्जा में बदलता है। 
    • RE टैरिफ डिस्कॉम और उत्पादन कंपनी (जेनको) के बीच मध्यस्थ द्वारा निर्धारित किया जाएगा। पहले यह केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित एक कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा निर्धारित किया गया था। 
    • RE टैरिफ पहले केवल ‘आर.ई. जेनको’ पर लागू था। 
    • संशोधन निर्दिष्ट करता है कि RE टैरिफ केवल डिस्कॉम और ओपन एक्सेस प्रदाताओं पर लागू होगा।
    • इसके अलावा ईंधन लागत में होने वाले बदलाव में ईंधन और बिजली खरीद समायोजन अधिभार की गणना को शामिल किया जाएगा।

  पशु कल्याण  

पशु क्रूरता रोकने के लिये मसौदा

  • मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने पशु क्रूरता निवारण समिति नियम, 2023 के मसौदे पर टिप्पणियाँ आमंत्रित की हैं। 
  • मसौदा नियम पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत तैयार किये गए हैं। 
  • मसौदा नियम पशु क्रूरता की रोकथाम (पशु क्रूरता की रोकथाम हेतु समिति की स्थापना और विनियमन) नियम, 2001 का स्थान लेते हैं।  
  • 2001 के नियमों के अनुसार, राज्य सरकारों को प्रत्येक ज़िले में पशुओं के साथ क्रूरता की रोकथाम के लिये समिति (SPCA) बनाने की आवश्यकता है।

मसौदा नियमों की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • SPCA के कार्य: 2001 के नियमों के अनुसार, SPCA अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने में सरकार, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड और स्थानीय अधिकारियों की सहायता करने जैसे कार्य करेगी। इन कार्यों के अलावा मसौदा नियम निर्दिष्ट करते हैं कि SPCA को यह भी करना होगा: 
    • पशुओं के साथ क्रूरता की जानकारी प्राप्त करने के लिये 24x7 हेल्पलाइन नंबर शुरू करना।
    • बीमार, घायल या रोगग्रस्त आवारा जानवरों के लिये एम्बुलेंस सेवा चलाना।
    • ज़िले में पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में सहायता करना।
  • SPCA की प्रबंधन समितियाँ: 2001 के नियम निर्दिष्ट करते हैं कि राज्य सरकार या ज़िला स्थानीय प्राधिकरण को SPCA की प्रबंध समिति गठित करने का अधिकार है।
    • मसौदा नियम निर्दिष्ट करते हैं कि प्रबंधन समिति में 17 सदस्य (अध्यक्ष सहित) होने चाहिये। 
    • अध्यक्ष उपायुक्त/ज़िला मजिस्ट्रेट/ज़िला कलेक्टर होंगे। 
    • अन्य सदस्यों में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी, ज़िला वन विभाग के प्रतिनिधि, ज़िला अभियोजन अधिकारी, पशु कल्याण संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले चार सदस्य तथा पशु कल्याण में लगे तीन प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल हैं। 
    • अंतर्राष्ट्रीय सीमा वाले ज़िलों में एक सदस्य अर्द्धसैनिक बल अथवा सीमा सुरक्षा बल से नामित किया जाएगा। 
  • अस्पताल: 2001 के नियमों के अनुसार, SPCA अस्पताल और पशु आश्रयों का निर्माण करेगी, जिसमें एक पूर्णकालिक पशु चिकित्सक तथा एक प्रशासक होना चाहिये। मसौदा नियमों में निर्दिष्ट किया गया है कि अस्पतालों में बड़े जानवरों के लिये शेड, कुत्ताघर तथा बाड़े होने चाहिये। उनके पास घायल/रोगी जानवरों के लिये बाड़े भी होने चाहिये।

  विज्ञान एवं तकनीक  

राष्ट्रीय डीप टेक स्टार्टअप नीति, 2023 

  • प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय ने राष्ट्रीय डीप टेक स्टार्टअप नीति, 2023 का मसौदा जारी किया है। 
  • डीप टेक स्टार्टअप प्रारंभिक चरण की प्रौद्योगिकियों का उपयोग करता है जिन्हें अभी तक व्यावसायिक अनुप्रयोगों के लिये विकसित नहीं किया गया है। 
    • इसमें विस्तारित विकास समय-सीमा शामिल है और यह अत्यधिक पूंजी गहन है।

नीति की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:

  • अनुसंधान और विकास: नीति में अनुसंधान और विकास पर खर्च बढ़ाने का प्रस्ताव है। 
    • यह निम्नलिखित के माध्यम से प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरण को बढ़ाने का भी प्रयास करता है:
      • शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के बीच साझेदारी।
      • सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित अनुसंधान के व्यावसायीकरण के लिये दिशा-निर्देश। 
      • रणनीतिक क्षेत्रों के लिये डीप टेक स्टार्टअप्स ने प्रदर्शन और परीक्षण हेतु परीक्षण स्थलों तक पहुँच प्रतिबंधित कर दी है। 
      • इन क्षेत्रों के लिये नीति मानकीकृत, क्षेत्र परीक्षण और प्रयोग स्थलों का एक नेटवर्क बनाने का प्रस्ताव करती है।
  • बौद्धिक संपत्ति (IP) अधिकार: भारत की IP व्यवस्था को मज़बूत करने के लिये नीति के निम्नलिखित लक्ष्य हैं:
    • एकीकृत IP ढाँचे के लिये एकल विंडो प्लेटफॉर्म स्थापित करना।
    • सीमा पार IP सुरक्षा को मज़बूत करना।
    • पेटेंट आवेदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना।
  • वित्तपोषण: मसौदा नीति में कहा गया है कि डीप टेक स्टार्टअप्स के लिये लक्षित दीर्घकालिक वित्तपोषण की सुविधा प्रदान करना आवश्यक है। इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं: 
    • सरकारी अनुदान भुगतान को लगातार हासिल करने के लिये एक मंच बनाना।
    • कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड्स को विज्ञान-आधारित अनुसंधान संस्थानों के लिये इस्तेमाल करना।
    • गहन तकनीकी निवेशों के लिये समर्पित धनराशि का एक कोष बनाना।
    • सार्वजनिक और परोपकारी संस्थाओं से निवेश प्राप्त करने के लिये प्रौद्योगिकी प्रभाव बॉण्ड्स का उपयोग करना।
  • मुक्त व्यापार समझौते: इस नीति का उद्देश्य भारतीय डीप टेक स्टार्टअप्स को मुक्त व्यापार समझौतों में शामिल करके वैश्विक बाज़ारों में प्रवेश करने में सक्षम बनाना है।
  • इसमें डीप टेक स्टार्टअप्स द्वारा उपयोग किये जाने वाले कच्चे माल के लिये आयात निर्भरता और आपूर्ति शृंखला की कमज़ोरियों को कम करने का भी प्रस्ताव है।
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