द बिग पिक्चर: भारत की नवीकरणीय ऊर्जा योजना | 23 Dec 2020
संदर्भ:
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने अगले दशक के लिये भारत की विशाल नवीकरणीय ऊर्जा परिनियोजन योजनाओं के बारे में घोषणा की जिनसे प्रतिवर्ष लगभग 20 बिलियन डॉलर का व्यवसाय सृजित होने की संभावनाएँ हैं।
- तृतीय वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा निवेश बैठक एवं प्रदर्शनी “रि-इन्वेस्ट-2020” (Global Renewable Energy Investment Meeting and Expo: RE-Invest) के उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री ने भारत की नवीकरणीय ऊर्जा यात्रा में शामिल होने के लिये निवेशकों, डेवलपर्स और उद्यमियों को संबोधित करते हुए उन्हें आमंत्रित किया।
- इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन (Performance Linked Incentives- PLI) की सफलता के बाद सरकार ने उच्च दक्षता वाले सौर मॉड्यूल्स को भी वैसा ही प्रोत्साहन देने का निर्णय किया है।
प्रमुख बिंदु :
- 'व्यापार सुगमता' सुनिश्चित करते हुए निवेशकों को सहूलियत प्रदान करने हेतु समर्पित परियोजना विकास प्रकोष्ठों की स्थापना की गई है।
- नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की दृष्टि से भारत विश्व में चौथे स्थान पर है और सभी प्रमुख देशों में सबसे तीव्र गति से विकास/वृद्धि कर रहा है।
- भारत एक बड़ा बाज़ार है और बहुत सारे देश एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड तथा अंतर्राष्ट्रीय सौर संघ के मामले में इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।
- वर्तमान में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 136 गीगावाट है, जो इसकी कुल क्षमता का लगभग 36% है।
- वर्ष 2030 तक क्षमता वृद्धि का लक्ष्य 450GW है जिसमें प्रतिवर्ष 25GW की वृद्धि हो रही है।
- भारत में ऊर्जा की प्रति व्यक्ति खपत विश्व स्तर की तुलना में काफी कम है।
- विद्युत क्षेत्र का मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन पर निर्भर होने के कारण यह वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में से एक है।
नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यकता क्यों?
- धारणीय: अक्षय स्रोतों से उत्पन्न ऊर्जा स्वच्छ, ग्रीन तथा अधिक धारणीय होगी।
- रोज़गार के अवसर: किसी नई तकनीक को अपनाने का सामान्य सा अर्थ देश की कामकाजी आबादी के लिये रोज़गार के अधिक अवसर उत्पन्न करना है।
- बाज़ार आश्वासन: अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत बाज़ार और राजस्व आश्वासन प्रदान करते हैं जो किसी अन्य संसाधन द्वारा प्रदान नहीं किया जा सकता।
- विद्युत आपूर्ति: शत प्रतिशत घरों में 24*7 विद्युत आपूर्ति प्रदान करना, धारणीय परिवहन कुछ ऐसे लक्ष्य हैं जो केवल नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से धारणीय ऊर्जा से प्राप्त किये जा सकते हैं।
अब तक की गई पहलें:
- PLI योजना: उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (Production Linked Incentive Scheme-PLI) विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ाने के संबंध में भारत सरकार की एक उत्कृष्ट पहल है।
- योजना घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तथा अर्द्धचालक पैकेजिंग सहित निर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक घटकों में व्यापक निवेश को आकर्षित करने के लिये उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन प्रदान करती है।
- प्रधानमंत्री किसान उर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM): पीएम-कुसुम योजना का लक्ष्य वर्ष 2022 तक 25,750 मेगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता का दोहन करके किसानों को वित्तीय एवं जल सुरक्षा प्रदान करना है।
- जल यंत्रों का सोलराइज़ेशन उपभोक्ताओं के घरों तक सीधे विद्युत वितरण की ओर उठाया गया एक कदम है।
- नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की वेबसाइट पर अक्षय उर्जा पोर्टल तथा भारत अक्षय विचार विनिमय (IRIX) पोर्टल भी उपलब्ध है।
- IRIX एक ऐसा मंच है जो ऊर्जा के प्रति जागरूक भारतीयों तथा वैश्विक समुदाय के मध्य विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।
अगले पाँच वर्षों के लिये भारत के प्रमुख कदम:
- दोहरी चुनौती: लोगों को अधिक ऊर्जा के साथ-साथ स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करना भारत के लिये दोहरी चुनौती है।
- भारत में सभी घरों में विकेंद्रीकृत ऊर्जा की आपूर्ति के साथ-साथ रोज़गार सृजन की मांग को देखते हुए आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत सौर पैनलों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
- विनिर्माण क्षेत्र से संबंधित सभी घटकों की संपूर्ण आपूर्ति शृंखला पर ध्यान दिया जाए और साथ- साथ उनका विकास किया जाए।
- मेथनॉल और बायोमास: मेथनॉल आधारित अर्थव्यवस्था और बायोमास जैसे अन्य विकल्पों की तलाश करना।
- बायो-सीएनजी वाहनों में 20% पेट्रोल का सम्मिश्रण भी किया जाना सरकार का एक लक्ष्य है जिसकी ओर यह अग्रसर हो रही है।
- बायोमास से ऊर्जा का रूपांतरण एक अच्छा विकल्प है क्योंकि यह शहरों को स्वच्छ करने के साथ-साथ हमारी ऊर्जा निर्भरता को कम करेगा।
- बायोमास से उत्पन्न ईंधन का उच्च कैलोरी मान होता है और यह पारंपरिक बायोमास की तुलना में स्वच्छ होता है।
- हाइड्रोजन आधारित एफसीवी (Fuel Cells Vehicles- FCV): प्रौद्योगिकी में हाइड्रोजन के उपयोग से नवीकरणीय ऊर्जा के परिदृश्य को बदलने की संभावना है, हाइड्रोजन आधारित एफसीवी (FCV) की ओर स्थानांतरण पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।
- ग्रिड एकीकरण: यह ग्रिड को कुशल तरीके से परिवर्तनशील नवीकरणीय ऊर्जा (RE) के वितरण हेतु विकल्पों को विकसित करने का तरीका है।
- नवीकरणीय ऊर्जा की विशेषताओं के अनुरूप जो माँगें हैं, उनकी पहचान करना, नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों मुख्य रूप से सौर और पवन ऊर्जा की विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित करना तथा उनकी परिवर्तनशीलता को चुनौती के बजाय लाभ के रूप में मानना।
नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित चुनौतियाँ
- मुख्य ग्रिड के साथ एकीकरण: मुख्य ग्रिड के साथ नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण के क्षेत्र पर भारत को काम करने की आवश्यकता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में वृद्धि के लिये बड़ी मात्रा में ऊर्जा भंडारण और बैटरी जैसे समाधान की आवश्यकता है।
- लागत कारक: नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन पारंपरिक स्रोतों की तुलना में थोड़े अधिक महंगे होते हैं।
- 24*7 विद्युत आपूर्ति: भंडारण तंत्र के साथ धारणीयता तथा 24 घंटे विद्युत आपूर्ति बड़ी चुनौतियाँ हैं।
- कृषि क्षेत्र: कृषि क्षेत्र में बहुत अधिक विद्युत की खपत होती है। प्रत्येक घर और कृषि क्षेत्र को पर्याप्त विद्युत प्रदान करना भी एक चुनौती है।
आगे की राह:
- क्षेत्रों की पहचान करना: नवीकरणीय संसाधनों विशेष रूप से पवन ऊर्जा को हर जगह स्थापित नहीं किया जा सकता है, उन्हें स्थापित करने के लिये विशिष्ट स्थान की आवश्यकता होती है।
- इन विशिष्ट स्थानों की पहचान, उन्हें मुख्य ग्रिड के साथ एकीकृत करना और ऊर्जा का वितरण; संयुक्त रूप से ये तीनों भारत को नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में आगे ले जाएंगे।
- अन्वेषण: ऊर्जा के भंडारण के अधिक विकल्पों को तलाशने की आवश्यकता है।
- कृषि सब्सिडी: यह सुनिश्चित करने के लिये कि केवल ऊर्जा की आवश्यक मात्रा की ही खपत होती है, कृषि सब्सिडी को संशोधित किया जाना चाहिये।
- हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित वाहन एवं इलेक्ट्रिक वाहन: जब ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों की ओर ध्यान देते हैं तो ये सबसे उपयुक्त विकल्प हैं जहाँ हमें काम करने की आवश्यकता होती है।
निष्कर्ष:
- भारत को स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये एक सुनियोजित रोड मैप की आवश्यकता है, जिसके लिये नीति आयोग ‘एनर्जी विज़न 2035’ की तैयारी में है।
- भारत को विविध ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि सौर और पवन ऊर्जा में अधिक क्षमता है परंतु हाइड्रोजन भी भारत के ऊर्जा परिवर्तन काल में क्रांतिकारी साबित हो सकती।
- वर्ष 2050 तक जीवाश्म ईंधनों का स्थान पर पूरी तरह से नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग की आशा की जा रही है।
- निकट भविष्य में भारत को बुनियादी अवसंरचना में निवेश, क्षमता निर्माण और बेहतर एकीकरण जैसे क्षेत्रों पर काम करने की आवश्यकता है।