विश्व ज़ूनोसिस दिवस | 09 Jul 2024
स्रोत: पी.आई.बी.
विश्व ज़ूनोसिस दिवस के उपलक्ष्य में, पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा विश्व ज़ूनोसिस दिवस की पूर्व संध्या पर पशुपालन तथा डेयरी सचिव (AHD) की अध्यक्षता में एक बातचीत सत्र का आयोजन किया गया।
- यह दिवस लुई पाश्चर के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने 6 जुलाई 1885 को एक ज़ूनोसिस रोग, रेबीज़ का पहला सफल टीका लगाया था।
- ज़ूनोसिस संक्रामक रोग हैं जो जानवरों एवं मनुष्यों के बीच स्थानांतरित हो सकते हैं, जैसे रेबीज़, एंथ्रेक्स, इन्फ्लूएंजा (H1N1 और H5N1), निपाह, कोविड-19, ब्रूसेलोसिस तथा तपेदिक आदि।
- कई गैर-ज़ूनोटिक रोग मानव स्वास्थ्य के लिये खतरा उत्पन्न किये बिना पशुधन को प्रभावित करते हैं।
- उदाहरणों में फुट एंड माउथ डिजीज़, पेस्टे डेस पेटिट्स रूमिनैंट्स (PPR), लम्पी स्किन डिज़ीज़, क्लासिकल स्वाइन फीवर तथा रानीखेत डिज़ीज़ शामिल हैं।
- सभी रोगों में से लगभग 60% ज़ूनोटिक हैं और 70% उभरते संक्रमण जानवरों से उत्पन्न होते हैं।
- ज़ूनोटिक रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण करने हेतु टीकाकरण, स्वच्छता, पशुपालन प्रथाओं के साथ-साथ वन हेल्थ दृष्टिकोण के माध्यम से वेक्टर नियंत्रण पर भी निर्भर करता है।
- जोखिम को कम करने हेतु, DAHD ने राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP) के तहत गोजातीय बछड़ों के ब्रुसेल्ला टीकाकरण के लिये एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है और साथ ही पशु रोगों के नियंत्रण के लिये राज्यों को सहायता (ASCAD) के तहत रेबीज़ का टीकाकरण शुरू किया है।
- भारत में वैश्विक पशुधन तथा मुर्गीपालन की संख्या क्रमशः 11% और 18% है। इसके अतिरिक्त, भारत विश्व स्तर पर दूध का सबसे बड़ा उत्पादक और अंडे का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
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