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ब्रूसेलोसिस

  • 24 Apr 2021
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केरल ने ब्रूसेलोसिस (Brucellosis) के कुछ मामलों के बाद निवारक उपाय शुरू किये हैं, यह एक जूनोटिक संक्रमण है जो कुछ डेयरी जानवरों (Dairy Animals) में पाया गया है।

ज़ूनोटिक रोग

  • ऐसे रोग जो पशुओं के माध्यम से मनुष्यों में फैलते है उन्हें  ज़ूनोसिस या ज़ूनोटिक रोग कहा जाता है।
  • ज़ूनोटिक संक्रमण प्रकृति या मनुष्यों में जानवरों के अलावा बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी के माध्यम से फैलता है।
  • एचआईवी-एड्स, इबोला, मलेरिया, रेबीज़ तथा वर्तमान कोरोनावायरस रोग (COVID-19) ज़ूनोटिक संक्रमण के कारण फैलने वाले रोग हैं।

प्रमुख बिंदु

परिचय:

  • यह विभिन्न ब्रूसेला प्रजातियों के कारण होने वाला एक जीवाणु रोग है, जो मुख्य रूप से मवेशी, सूअर, बकरी, भेड़ और कुत्तों को संक्रमित करता है।
  • इसे माल्टा ज्वर या भूमध्य ज्वर के रूप में भी जाना जाता है।
  • ब्रुसेलोसिस भारत में भी एक स्थानिक बीमारी है इससे डेयरी उद्योग को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है और यह निम्नलिखित का कारक है- 
    • बाँझपन
    • गर्भपात
    • पशु के कमजोर बच्चे का जन्म
    • उत्पादकता में कमी

मनुष्य में संक्रमण:

  • संक्रमण:
    • ब्रुसेलोसिस ने चीन में 3000 से अधिक लोगों को संक्रमित किया है।
    • आमतौर पर मनुष्य में इस बीमारी के कारक हैं:
      • संक्रमित जानवरों से सीधा संपर्क।
      • दूषित पशु उत्पादों को खाना, अस्वास्थ्यकर दूध पीना।
      • श्वास के माध्यम से एयरबोर्न घटकों का शरीर में प्रवेश करना।
    • अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र द्वारा कहा गया है कि ब्रुसेलोसिस का व्यक्ति-से-व्यक्ति संचरण "अत्यंत दुर्लभ" है, लेकिन कुछ लक्षण दोबारा हो सकते हैं या उन्हें कभी खत्म नहीं किया जा सकता है।
  • लक्षण:
    • बुखार, पसीना आना, अस्वस्थता, एनोरेक्सिया (मनोवैज्ञानिक विकार, जिसमें व्यक्ति वज़न बढ़ने के डर से कम खाता है), सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द।
  • उपचार और रोकथाम:
    • इसका इलाज आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है, जिसमें रिफैम्पिन (Rifampin) और डॉक्सीसाइक्लिन (Doxycycline) शामिल हैं।
    • अस्वास्थ्यकर डेयरी उत्पादों से बचना और सावधानी बरतना जैसे- रबर के दस्ताने, गाउन या एप्रन पहनना चाहिये, यह जानवरों के बीच या प्रयोगशाला में काम करते समय ब्रूसेलोसिस से होने वाले जोखिम को रोकने या कम करने में मदद कर सकता है।
    • अन्य निवारक उपायों में मांस को ठीक से पकाना, घरेलू पशुओं का टीकाकरण करना आदि शामिल हैं।

स्रोत: द हिंदू

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