वर्ल्ड समिट ऑफ इंफॉर्मेशन सोसाइट 2022 | 07 Jun 2022
हाल ही में केंद्रीय संचार मंत्री ने स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में वर्ल्ड समिट ऑफ इंफॉर्मेशन सोसाइटी (WSIS) 2022 के उद्घाटन समारोह में भाग लिया, जहांँ भारत ने बहुपक्षीय और द्विपक्षीय संपर्क के दौरान अपने दूरसंचार कौशल का प्रदर्शन किया।
- यह भागीदारी भारत के अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ ( ITU) परिषद के अध्यक्ष के रूप में वर्ष 2023-2026 के लिये पुनर्निर्वाचन के साथ संपन्न हुई। भारत 1869 से आईटीयू का सदस्य रहा है तथा संघ के कार्यों और गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेता रहा है।
- यह भागीदारी भारत के ITU परिषद में पुनर्निर्वाचन के साथ हुई।
वर्ल्ड समिट ऑफ इंफॉर्मेशन सोसाइटी (WSIS):
- इंफॉर्मेशन सोसाइटी मंच वर्ष 2022 पर वैश्विक शिखर सम्मेलन 'आईसीटी फॉर डेवलपमेंट' दुनिया के समुदाय की सबसे बड़ी वार्षिक सभा का प्रतिनिधित्व करता है।
- यह मंच WSIS के कार्यान्वयन पर नेटवर्क बनाने, सीखने और बहु-हितधारक चर्चाओं तथा परामर्श में भाग लेने के लिये संरचित अवसर प्रदान करता है।
- इस मंच का एजेंडा और कार्यक्रम मुक्त परामर्श प्रक्रिया के दौरान प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर बनाया जाएगा।
- इसके अलावा 2022 WSIS फोरम संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के सहयोग से WSIS एक्शन लाइन की उपलब्धियों की निगरानी करने और 2005 से WSIS एक्शन लाइन्स के कार्यान्वयन की जानकारी तथा विश्लेषण प्रदान करने के लिये एक मंच के रूप में कार्य करने का अवसर प्रदान करेगा।
अभिभाषण की मुख्य विशेषताएँ:
- भारत ने निम्न गतिशीलता और विशाल आच्छादन मानक विकसित किया है, जिसे पहले 5Gi कहा जाता था, यह एक नए तरंग का उपयोग करके 5G टावरों को ग्रामीण और दूरदराज़ के व्यापक क्षेत्रों को कवर करने में सक्षम बनाता है।
- ये मानक पहले 5G मानकों में से थे, जिन्हें ITU द्वारा अनुमोदित किया गया है और ये वैश्विक रूप से सामंजस्यपूर्ण 3GPP (तीसरी पीढ़ी की भागीदारी परियोजना) रिलीज़ 17 मानकों का भी हिस्सा बन गए हैं। ये समान भौगोलिक विस्तार वाले देशों के लिये अत्यधिक सहायक होंगे।
- छह सौ से अधिक गाँंवों को आप्टिकल फाइबर केबल से जोड़ा जा रहा है, जिनमें से लगभग 175,000 पहले से ही जुड़े हुए हैं।
- 4जी कनेक्टिविटी से छूटे गाँंवों को यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (USOF) के ज़रिये कवर किया जा रहा है।
- भारत उन प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करता है जो विकास में तेज़ी ला सकती हैं और इस अंतर को पाट सकती हैं, जैसे- ई बैंड वायरलेस कैरियर्स, LEO (लो अर्थ ऑर्बिट) और MEO (मिडिल अर्थ ऑर्बिट) सैटेलाइट कनेक्टिविटी का उपयोग करना।
- भारत ने LEO या MEO कनेक्टिविटी के लिये पहला सेवा लाइसेंस जारी किया है और उम्मीद है कि दूरस्थ क्षेत्रों में डिजिटल समावेशन को सक्षम करने के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा।
- 5जी टेस्ट बेड, स्वदेशी 4जी तथा 5जी स्टैक विकसित करना, भारतीय 5जी मानकों का विकास तथा 6जी इनोवेशन फोरम की स्थापना लागत को कम करने, ग्रामीण क्षेत्रों में तेज़ी से 5जी प्रसार को सुविधाजनक बनाने व विशिष्ट विक्रेताओं पर निर्भरता को खत्म करने की पहल है।
सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि (USOF):
- USOF यह सुनिश्चित करता है कि ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में लोगों के लिये आर्थिक रूप से उपयुक्त कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण आईसीटी सेवाओं तक सार्वभौमिक गैर-भेदभावपूर्ण पहुँच हो।
- वर्तमान में इस पर 5% की दर से चार्ज किया जाता है, जबकि टीएसपी इसे घटाकर 3% करने की मांग कर रहे हैं।
- इसे वर्ष 2002 में दूरसंचार विभाग के तहत बनाया गया था।
- यह एक गैर-व्यपगत निधि है, अर्थात् लक्षित वित्तीय वर्ष के तहत खर्च नहीं की गई राशि व्यपगत नहीं होती है और अगले वर्षों के खर्च के लिये व्यय की जाती है।
- इस फंड के सभी प्रकार के क्रेडिट के लिये संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता होती है और इसे भारतीय टेलीग्राफ (संशोधन) अधिनियम, 2003 के तहत वैधानिक समर्थन प्राप्त हैै।
स्रोत: पी.आई.बी.