जीसैट-11 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation’s -ISRO) के सबसे भारी और उन्नत संचार उपग्रह GSAT -11 को फ्रेंच गुयाना (French Guiana) के कौरु (Kouru) लॉन्च बेस स्पेसपोर्ट (Spaceport) से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।
- इस संचार उपग्रह को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के रॉकेट एरियन-5 (Arianए-5) से लॉन्च किया गया।
- GSAT-11 इसरो के उच्च प्रवाह क्षमता वाले संचार उपग्रह (high-throughput communication satellite- HTS) समूह का हिस्सा है। उल्लेखनीय है कि इस श्रेणी के दो संचार उपग्रह GSAT-29 और GSAT-19 पहले से ही अंतरिक्ष में हैं।
- यह ISRO द्वारा निर्मित 34वाँ संचार उपग्रह है।
GSAT 11 की विशेषताएँ
लाभ
- देश भर में ब्रॉडबैंड सेवाएँ उपलब्ध कराने में GSAT एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह स्पॉट बीम तकनीक (spot beam technology) के उपयोग के कारण क्षेत्र में ब्रॉडबैंड की क्षमता में वृद्धि करेगा और इंटरनेट डाटा की उच्च दर सुनिश्चित करेगा।
- GSAT-11 भारत नेट परियोजना (Bharat Net Project) जो डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का हिस्सा है, के अंतर्गत आने वाले देश के ग्रामीण क्षेत्रों और दुर्गम ग्राम पंचायतों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा।
- उल्लेखनीय है कि भारत नेट परियोजना का उद्देश्य अन्य योजनाओं के साथ-साथ ई-बैंकिंग, ई-हेल्थ तथा ई-गवर्नेंस जैसी सार्वजनिक कल्याण की योजनाओं को बढ़ावा देना है।
स्पॉट बीम
- स्पॉट बीम एक सैटेलाइट सिग्नल है जो किसी क्षेत्र विशेष में अधिक आवृत्ति की तरंगे तेजी से भेज सकता है। यह एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र तक ही सीमित होता है।
- ये बीम जितनी पतली होती हैं उनके सिग्नल उतने ही ज़्यादा शक्तिशाली होते हैं। GSAT-11 में स्पॉट बीम की प्रक्रिया को कई बार दोहराया जाएगा ताकि पूरे देश को कवर किया जा सके।
- इसके विपरीत इनसैट (INSAT) जैसे पारंपरिक उपग्रह लाइट ब्रॉड सिंगल बीम का प्रयोग करते हैं जो इतने शक्तिशाली नहीं होते कि पूरे देश को कवर कर सकें।
स्रोत : इसरो वेबसाइट एवं लाइव मिंट