भारत की अगली राष्ट्रीय जनगणना के संबंध में अनिश्चितता | 03 Jul 2024
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में जनगणना के लिये प्रशासनिक सीमाएँ तय करने की समय-सीमा समाप्त हो गई, लेकिन नई तिथि की घोषणा नहीं की गई। इस प्रकार जनगणना की प्रक्रिया के समय को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
भारत में जनगणना कार्य के संबंध में नवीनतम अपडेट क्या हैं?
- समय-सीमा विस्तार: जनगणना के लिये आवश्यक प्रशासनिक सीमाओं को निर्धारित करने की समय सीमा दिसंबर 2020 से नौ बार बढ़ाई जा चुकी है।
- हाल के विस्तार का प्रभाव:
- जनगणना समयरेखा पर:
- इस विस्तार से जनगणना की शुरुआत कम-से-कम 1 अक्तूबर, 2024 तक स्थगित हो गई है, क्योंकि इस कार्य के लिये गणनाकर्त्ताओं को तैयार करने में आमतौर पर तीन महीने लगते हैं। स्पष्टता की यह कमी जनगणना कार्यक्रम को लेकर अनिश्चितता को बढ़ाती है।
- महिला आरक्षण अधिनियम पर:
- महिला आरक्षण का कार्यान्वयन, जिसके तहत संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिये 33% सीटें आरक्षित हैं, जनगणना तथा उसके बाद होने वाले परिसीमन कार्य के पूरा होने पर निर्भर करता है।
- आरक्षण लागू करने से पहले नई जनगणना के आँकड़ों के आधार पर परिसीमन आवश्यक है।
- जनगणना समयरेखा पर:
- अतिरिक्त मुद्दों पर विचार करना:
- कुछ राजनीतिक दलों ने आगामी जनगणना प्रक्रिया में जाति जनगणना को शामिल करने की मांग की है। यह मांग भारतीय समाज में सामाजिक वर्गीकरण और प्रतिनिधित्व पर व्यापक चर्चा को रेखांकित करती है।
जनगणना क्या है?
- ऐतिहासिक संदर्भ और आवृत्ति:
- भारत की पहली समकालिक जनगणना वर्ष 1881 में भारत के तत्कालीन जनगणना आयुक्त डब्ल्यू. सी. प्लोडेन के नेतृत्व में हुई थी। तब से यह बिना किसी रुकावट के हर दशक में आयोजित की जाती रही है।
- यद्यपि भारत की जनगणना अधिनियम, 1948 कानूनी ढाँचा प्रदान करता है, लेकिन यह अनिवार्य आवृत्ति निर्दिष्ट नहीं करता।
- दशकीय पैटर्न एक संवैधानिक आवश्यकता के बजाय एक परंपरा है।
- गृह मंत्रालय के अधीन कार्यरत भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त का कार्यालय, इस दशकीय गणना कार्य के संचालन की ज़िम्मेदारी देखता है।
- उद्देश्य:
- जनगणना देश की जनसंख्या का एक संक्षिप्त विवरण उपलब्ध कराती है, जो प्रगति की समीक्षा, सरकारी योजनाओं के मूल्यांकन तथा भावी पहलों की योजना बनाने के लिये आधार का काम करती है।
- प्रविधि: गणना दो मुख्य चरणों में की जाती है:
- मकान सूचीकरण तथा मकान गणना (Houselisting/Housing Census): इस प्रारंभिक चरण में देश की सभी अवसंरचनाओं का विवरण दर्ज किया जाता है, जिसमें उनके प्रकार, उपलब्ध सुविधाएँ और मौजूदा परिसंपत्तियाँ शामिल हैं।
- जनसंख्या गणना: यह अधिक व्यापक चरण देश में प्रत्येक व्यक्ति, चाहे उसकी राष्ट्रीयता भारतीय से भिन्न हो, के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करता है।
- वैश्विक परिप्रेक्ष्य:
- भारत, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों के गणना के लिये एक ही प्रकार के 10-वर्षीय चक्र का पालन किया जाता है जबकि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जापान जैसे कुछ देश प्रत्येक पाँच वर्ष में गणना करते हैं।
जनगणना डेटा 2011
- जनसंख्या: वर्ष 2011 में 17.7% की वृद्धि के साथ जनसंख्या 1.21 बिलियन हो गई, जिसमें महिलाओं की वृद्धि पुरुषों की वृद्धि से अधिक रही।
- साक्षरता: साक्षरता दर बढ़कर 73% हुई, जिसमें महिलाओं की साक्षरता पुरुषों की तुलना में अधिक रही।
- जनसंख्या घनत्व: जनसंख्या घनत्व बढ़कर 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर हुआ।
- लिंग अनुपात: सुधार के साथ यह 940 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुष हुआ।
- धार्मिक जनसांख्यिकी: 79.8% जनसंख्या हिंदू तथा मुस्लिम जनसंख्या 14.23%।
- नई श्रेणी: इसमें एक "कोई धर्म नहीं" नामक विकल्प पेश किया गया, जिसका चयन 0.24% लोगों ने किया।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2009)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. सरकार की दो समानांतर चलाई जा रही योजनाएँ, यथा ‘आधार कार्ड’ और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ (एन.पी.आर.), एक स्वैच्छिक तथा दूसरी अनिवार्य, ने राष्ट्रीय स्तरों पर वाद-विवादों एवं मुकदमों को जन्म दिया है। गुणों-अवगुणों के आधार पर चर्चा कीजिये कि क्या दोनों योजनाओं को साथ-साथ चलाना आवश्यक है या नहीं है? इन योजनाओं को विकासात्मक लाभों और न्यायोचित संवृद्धि प्राप्त करने की संभाव्यता का विश्लेषण कीजिये। (2014) |