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नवाचार हेतु टार्डिग्रेड्स जीन

  • 07 Nov 2024
  • 4 min read

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में शोधकर्त्ताओं द्वारा चिकित्सा, जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अन्वेषण में प्रगति को प्रेरित करने के क्रम में अद्वितीय टार्डिग्रेड विशेषताओं की खोज को महत्त्व दिया जा रहा है।

टार्डिग्रेड्स के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • टार्डिग्रेड्स (टार्डिग्रेडा ), जिन्हें वॉटर बियर या मॉस पिगलेट के रूप में भी जाना जाता है, माइक्रोस्कोपिक आठ पैर वाले जीव होते हैं जिनमें रीढ़ का अभाव होता है।
  • प्रजातियाँ और विकास: ये टार्डिग्रेडा संघ से संबंधित हैं।
    • इसके सबसे पुराने ज्ञात जीवाश्म लगभग 90 मिलियन वर्ष पूर्व, क्रेटेशियस काल (145-66 मिलियन वर्ष पूर्व) के हैं। 
    • मॉलिक्यूलर डेटिंग-निर्धारण से पता चलता है कि इनकी उत्पत्ति कम से कम 600 मिलियन वर्ष पूर्व हुई थी।
  • अनुकूलन: टार्डिग्रेड्स को अत्यधिक विकिरण के साथ ऑक्सीजन, जल एवं खाद्य पदार्थों की कमी और शून्य से नीचे के तापमान को सहन करने की क्षमता के लिये जाना जाता है।
    • ये आर्कटिक, गहन समुद्र के तल, रेगिस्तान और यहाँ तक ​​कि अंतरिक्ष में निर्वात जैसे चरम पारिस्थितिक तंत्रों में भी मिल सकते हैं।
  • क्रिप्टोबायोसिस: टार्डिग्रेड्स क्रिप्टोबायोसिस कर सकते हैं जिससे निर्जलीकरण, ठंड और विकिरण क्षति जैसी चरम स्थितियों से बचने के लिये जैविक गतिविधि रुक ​​जाती है।
    • DODA1 जीन, बीटालेन्स (एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट) के संश्लेषण में मदद करता है जो संभवतः कोशिकाओं को विकिरण क्षति से बचाता है और उन्हें ठीक होने तथा उसके बाद सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू करने में सक्षम बनाता है।

Tardigrade

टार्डिग्रेड के गुणों का मानव जीवन में किस प्रकार अनुप्रयोग किया जा सकता है?

  • आंतरिक रूप से अव्यवस्थित प्रोटीन (IDPs): सूक्ष्मजीवों में संश्लेषित स्रावी-प्रचुर ऊष्मा-घुलनशील IDPs से शुष्कन (पूरी तरह से सूख जाना) सहनशीलता में सुधार होने से संभावित रूप से सूक्ष्मजीवों और जीवों को प्रतिकूल परिस्थितियों के प्रति अनुकूलित किया जा सकता है।
  • छोटे हीट शॉक प्रोटीन: जब सूक्ष्मजीवों में क्लोन किया जाता है तो ये प्रोटीन गर्म या शुष्क वातावरण में सूक्ष्मजीवों के अस्तित्व और स्थिरता में सुधार कर सकते हैं।
  • प्रोटीन स्थिरता: टार्डिग्रेड्स की चरम वातावरण में अपने प्रोटीन को स्थिर करने की क्षमता का उपयोग दवाओं में प्रयुक्त टीकों, एंटीबॉडी और एंजाइमों के शेल्फ जीवन और प्रभावशीलता को बेहतर बनाने के लिये किया जा सकता है।
  • कोशिका संरक्षण: कोशिकीय क्षति का प्रतिरोध करने के लिये टार्डिग्रेड्स के तंत्र का उपयोग कोशिका चिकित्सा के लिये किया जा सकता है जिससे परिवहन और भंडारण में सहायता के साथ अंततः उपचार वितरण में सुधार होगा।
    • इससे शोधकर्त्ता बाह्य अंतरिक्ष में मनुष्यों और सामग्रियों के लिये उन्नत सुरक्षात्मक उपाय विकसित कर सकते हैं।

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