प्रारंभिक परीक्षा
पृथ्वी के आंतरिक कोर में संरचनात्मक परिवर्तन
- 12 Feb 2025
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स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि पृथ्वी के आंतरिक कोर में संरचनात्मक परिवर्तन हो रहे हैं।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- कार्यप्रणाली: शोधकर्त्ताओं ने वर्ष 1991 से वर्ष 2024 तक अंटार्कटिका के दक्षिण सैंडविच द्वीप समूह के पास भूकंपीय तरंगों का विश्लेषण किया। बार-बार आने वाले भूकंपों से भूकंपीय तरंगों में सूक्ष्म परिवर्तन सामने आए, जिससे पृथ्वी की आंतरिक संरचनाओं के बारे में जानकारी मिली।
- आंतरिक कोर में संरचनात्मक परिवर्तन: पृथ्वी के आंतरिक कोर की सतह पर संरचनात्मक परिवर्तन हो रहे हैं, जो पहले की धारणा को चुनौती दे रहा है कि यह कठोर और स्थिर है।
- ऐसा प्रतीत होता है कि आंतरिक कोर का घूर्णन धीमा हो रहा है, जिससे पृथ्वी पर दिन की लंबाई में सूक्ष्म परिवर्तन हो सकता है।
- शोधकर्त्ताओं का अनुमान है कि, जिस प्रकार तनाव के तहत मैग्मा प्रवाहित होता है, उसी प्रकार ठोस आंतरिक कोर और अस्थिर, पिघले हुए बाहरी कोर के बीच गतिशील अंतःक्रियाएँ आंतरिक कोर में चिपचिपा विरूपण (Viscous Deformation) उत्पन्न करती हैं।
पृथ्वी के आंतरिक कोर के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- संरचना: आंतरिक कोर गर्म, सघन है जो मुख्य रूप से लोहे और निकल से बनी है। तरल बाह्य कोर के विपरीत, आंतरिक कोर पृथ्वी की ऊपरी परतों से पड़ने वाले अत्यधिक दबाव के कारण ठोस रहती है।
- गहराई और आकार: यह पृथ्वी की सतह से 5,150 किमी नीचे, पृथ्वी के केंद्र में स्थित है। इसकी त्रिज्या लगभग 1,220 किमी है।
- आंतरिक और बाह्य कोर के बीच की सीमा को लेहमैन असंबद्धता कहते है।
- चुंबकत्व: आंतरिक कोर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करती है, जबकि बाह्य कोर का घूर्णन करता तरल लौह पदार्थ इसे जियोडायनेमो प्रभाव (चुंबकीय क्षेत्र निर्माण) के माध्यम से उत्पन्न करता है।
- आंतरिक कोर में उच्च तापीय और विद्युत चालकता होती है।
- घूर्णन: आंतरिक कोर पृथ्वी की सतह की तुलना में पूर्व की ओर थोड़ा तेज़ी से घूमती है, प्रति 1,000 वर्ष में एक अतिरिक्त घूर्णन पूरा करती है।
- वृद्धि: तरल बाह्य कोर के ठोस होने के कारण आंतरिक कोर प्रति वर्ष लगभग 1 मिमी बढ़ती है।
- वृद्धि असमान है, यह प्रविष्ठन क्षेत्र के आसपास अधिक तथा सुपरप्लूम्स के पास कम होती है।
- धीमी गति से क्रिस्टलीकरण और निरंतर रेडियोधर्मी क्षय के कारण कोर कभी भी पूरी तरह से ठोस नहीं हो पाएगा।
पृथ्वी का आंतरिक भाग
- पृथ्वी का आंतरिक भाग प्याज के समान संकेंद्रित परतों में संरचित है। ये परतें हैं:
- भूपर्पटी (सबसे बाह्य परत): सबसे पतली परत, मोटाई में भिन्न:
- महाद्वीपीय क्रस्ट: ~35 किमी मोटी, मुख्य रूप से सिलिका (Si) और एल्यूमिना (Al) की प्रधानता, जिसे महाद्वीपीय क्रस्ट के लिये "सियाल" कहा जाता है।
- महासागरीय क्रस्ट: ~5 किमी मोटी, महासागरीय क्रस्ट में सिलिका (Si) और मैग्नीशियम (Mg) होती है, जिसे "सीमा" कहा जाता है।
- मेंटल (सबसे मोटी परत): यह परत भूपर्पटी के नीचे 2900 किमी तक फैली हुई है। यह लौह और मैग्नीशियम से भरपूर सिलिकेट खनिजों से बनी है।
- ऊपरी भाग में एस्थेनोस्फीयर है जो प्लेटों की गति के लिये ज़िम्मेदार एक अर्द्ध-पिघली परत है।
- कोर (अंतरतम परत): 3500 किमी की त्रिज्या तक फैली हुई है। निकेल (Ni) और लोहे (Fe) से बनी है, जिसे "नीफे" कहा जाता है।
- बाह्य कोर (तरल अवस्था, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करता है) और आंतरिक कोर में विभाजित है।
- भूपर्पटी (सबसे बाह्य परत): सबसे पतली परत, मोटाई में भिन्न:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. पृथ्वी ग्रह की संरचना में मैंटल के नीचे कोर मुख्य रूप से निम्नलिखित में से किससे बना है? (2009) (a) अल्युमीनियम उत्तर: (c) |