खनिज अन्वेषण क्षेत्र का सुदृढ़ीकरण | 03 Sep 2024

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

खान मंत्रालय ने राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (NMET) की छठी शासी निकाय बैठक में इसके प्रदर्शन की गहन समीक्षा की

  • बैठक के दौरान वर्ष 2023-24 के लिये NMET की वार्षिक रिपोर्ट आधिकारिक तौर पर जारी की गई।

प्रमुख घटनाक्रम क्या हैं?

  • NGDR पोर्टल का उन्नयन: राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक डेटा भंडार (NGDR) पोर्टल का उन्नयन आरंभ किया गया।
    • इसका उद्देश्य राष्ट्र के लाभ के लिये भूवैज्ञानिक डेटा साझाकरण हेतु निर्बाध सहयोग को सुविधाजनक बनाना है।
  • प्रतिपूर्ति योजनाएँ: अन्वेषण व्यय की आंशिक प्रतिपूर्ति के लिये एक संशोधित योजना को मंज़ूरी दी गई है, जिसके तहत समग्र लाइसेंस (CL) धारकों के लिये प्रतिपूर्ति की अधिकतम सीमा बढ़ाई गई है।
  • वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों और स्टार्ट-अप हेतु सहायता: NMET वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित ज़िलों में फील्डवर्क के लिये मानक शुल्क अनुसूची से 1.25 गुना अधिक शुल्क प्रदान करके खनिज अन्वेषण को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है।
  • महत्त्वपूर्ण और सामरिक खनिज अन्वेषण हेतु प्रोत्साहन: महत्त्वपूर्ण और सामरिक खनिजों की खोज में लगी एजेंसियों के लिये 25% अन्वेषण प्रोत्साहन की घोषणा की गई है।
  • राज्य स्तरीय खनिज अन्वेषण को प्रोत्साहित करना: राज्यों को लघु खनिजों के अन्वेषण को प्रोत्साहित करने के लिये NMET के समान राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट स्थापित करने की सलाह दी गई।
  • स्टार्ट-अप और उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान: खनन क्षेत्र में विशेष रूप से AI, ऑटोमेशन और ड्रोन टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में स्टार्ट-अप स्थापित करने के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया।

अपतटीय खनिज अन्वेषण और उत्पादन को बढ़ावा देने के नियम

  • परिचय: केंद्र ने अपतटीय क्षेत्र खनिज ट्रस्ट नियम, 2024 पेश किया है। यह भारत के अपतटीय क्षेत्रों में खनिज अन्वेषण और उत्पादन की देखरेख करने वाला पहला ढाँचा है।
    • अपतटीय क्षेत्र का तात्पर्य प्रादेशिक जल, महाद्वीपीय शेल्फ, अनन्य आर्थिक क्षेत्र तथा प्रादेशिक जल, महाद्वीपीय शेल्फ और अनन्य आर्थिक क्षेत्र के अंतर्गत भारत के अन्य समुद्री क्षेत्रों से है।
    • नये नियमों के तहत अपतटीय खदानों के उत्पादन पट्टे धारकों को सरकार को अपने रॉयल्टी भुगतान का 10% देकर अपतटीय क्षेत्र खनिज ट्रस्ट में योगदान करना आवश्यक है।
    • यह राशि भारत के सार्वजनिक खाते में जमा की जाएगी, जिससे ट्रस्ट की पहलों के लिये वित्तीय आधार उपलब्ध होगा।
  • अपतटीय क्षेत्र खनिज ट्रस्ट: यह एक कोष है, जो अपतटीय खनिज संसाधनों से उत्पन्न राजस्व का प्रबंधन एवं आवंटन करने के लिये स्थापित किया गया है, ताकि सतत् विकास सुनिश्चित हो सके और खनिज अन्वेषण तथा उत्पादन को बढ़ावा मिले।

राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (NMET)

  • स्थापना: NMET की स्थापना खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 की धारा 9सी के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य भारत में खनिज अन्वेषण में तीव्रता लाना है।
  • उद्देश्य: यह ट्रस्ट देश में क्षेत्रीय एवं विस्तृत खनिज अन्वेषण तथा शासी निकाय द्वारा अनुमोदित अन्य गतिविधियों का समर्थन करता है। इसके उद्देश्यों में शामिल हैं:
    • गहरे और छिपे हुए खनिज भंडारों की पहचान, अन्वेषण, निष्कर्षण, लाभकारी तथा परिशोधन के लिये विशेष अध्ययन एवं परियोजनाएँ
    • उन्नत वैज्ञानिक और तकनीकी प्रक्रियाओं को अपनाते हुए खनिज विकास, सतत् खनन, खनिज निष्कर्षण तथा धातु विज्ञान पर अध्ययन
  • शासन संरचना: NMET की दो-स्तरीय संरचना है
    • शासी निकाय: यह सर्वोच्च निकाय है, जिसकी अध्यक्षता खान मंत्री करते हैं। यह ट्रस्ट का समग्र नियंत्रण रखता है
    • कार्यकारी समिति: खान मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता वाली कार्यकारी समिति इसकी गतिविधियों का प्रशासन और प्रबंधन करती है
  • वित्त पोषण तंत्र: NMET फंड ट्रस्ट की गतिविधियों को लागू करने के लिये स्थापित किया गया है।
    •  फंड को खनन पट्टों या पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन पट्टों के धारकों से योगदान प्राप्त होता है, जो MMDR अधिनियम, 1957 के अनुसार भुगतान की गई रॉयल्टी का 2% होता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

Q. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित केंद्रीय अधिनियमों पर विचार कीजिये। (2011)

  1. आयात और निर्यात (नियंत्रण) अधिनियम, 1947
  2. खनन और खनिज विकास (विनियमन) अधिनियम, 1957
  3. सीमा शुल्क अधिनियम, 1962
  4. भारतीय वन अधिनियम, 1927

उपर्युक्त में से कौन-सा अधिनियम देश में जैव विविधता संरक्षण से संबंधित है?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) 1, 2, 3 और 4
(d) उपर्युक्त में से कोई भी अधिनियम नहीं

उत्तर: (c)