सशस्त्र बलों में औपनिवेशिक प्रथाओं का समापन | 01 Oct 2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रक्षा मंत्री ने 'औपनिवेशिक प्रथाएँ और सशस्त्र बल-एक समीक्षा' पर एक प्रकाशन जारी किया, जिसमें औपनिवेशिक प्रथाओं को त्यागने का प्रस्ताव किया गया है और साथ ही सशस्त्र बलों में प्रचलित सिद्धांतों, प्रक्रियाओं एवं रीति-रिवाज़ों के स्वदेशीकरण की वकालत की गई है।

  • इससे पहले, समकालीन सैन्य प्रथाओं के साथ प्राचीन ज्ञान के संश्लेषण के लिये प्रोजेक्ट उद्भव शुरू किया गया था।

औपनिवेशिक अवशेषों को समाप्त करने के लिये क्या प्रमुख संशोधन सुझाए गए हैं?

  • स्वदेशी रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना: प्राचीन भारतीय रणनीतिकारों के कार्यों को सैन्य नेतृत्व पाठ्यक्रमों में शामिल करना, युवा सैन्य अधिकारियों को भारत को केंद्र में रखते हुए रणनीतिक रूप से सोचने के लिये प्रोत्साहित करने की एक रणनीति है।
  • स्वदेशी ग्रंथों को शामिल करना: सेना प्रशिक्षण कमान ने सैन्य कर्मियों के लिये प्राचीन भारतीय अवधारणाओं और सिद्धांतों पर पठन सामग्री निर्मित की है।
  • इन्फेंट्री रेजीमेंटों का अखिल भारतीय चरित्र: सेना अपनी इन्फेंट्री रेजीमेंटों को अखिल भारतीय स्वरूप प्रदान करने के तरीकों पर विचार कर रही है, जिससे विभिन्न इकाइयों में विविधता एवं प्रतिनिधित्व को बढ़ाया जा सके।
  • भारतीय सांस्कृतिक तत्त्वों का उन्नत उपयोग: सैन्य प्रशिक्षण सुविधाओं में औपनिवेशिक युग की साहित्यिक कृतियों, जैसे रुडयार्ड किपलिंग की "IF" एवं NDA में मौजूदा अंग्रेजी प्रार्थना को अधिक भारतीय कविताओं, प्रार्थनाओं और धुनों से प्रतिस्थापित किया जाएगा।
  • त्रि-सेवा अधिनियम का प्रारूप तैयार करना: सेना, नौसेना और वायु सेना में प्रशासन को सरल बनाने हेतु, तीन अलग-अलग सेवा अधिनियमों के लिये एक महत्त्वपूर्ण संरचनात्मक प्रतिस्थापन के रूप में एक एकीकृत त्रि-सेवा अधिनियम पर विचार किया जा रहा है।

प्रोजेक्ट उद्भव क्या है?

  • परिचय: इसका उद्देश्य भारत के समृद्ध ऐतिहासिक सैन्य ज्ञान को आधुनिक सैन्य प्रथाओं के साथ एकीकृत करना है। 
    • यह भारतीय सेना एवं यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (एक थिंक टैंक) के बीच एक संयुक्त पहल है।

प्राचीन ग्रंथों एवं दर्शनशास्त्र को शामिल करना: 

  • चाणक्य का अर्थशास्त्र : यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सॉफ्ट पावर जैसी आधुनिक सैन्य प्रथाओं के साथ रणनीतिक साझेदारी, गठबंधन और कूटनीति के महत्त्व पर ज़ोर देता है।
  • तिरुवल्लुवर द्वारा तिरुक्कुरल : यह न्यायपूर्ण युद्ध सिद्धांतों तथा जिनेवा कन्वेंशन जैसे आधुनिक सैन्य नैतिकता के साथ संरेखित करते हुए, युद्ध सहित सभी स्थितियों में नैतिक आचरण को बढ़ावा देता है।
  • पूर्व नेतृत्वकर्त्ताओं के सैन्य अभियान : चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक एवं चोल जैसे भारतीय नेतृत्वकर्त्ताओं के शासन और उनकी सैन्य सफलताएँ बहुमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं। 
  • प्रमुख सैन्य अभियान:
    • सरायघाट का नौसैनिक युद्ध (1671): लचित बोड़फुकन ,सरायघाट की नौसैनिक युद्ध कूटनीति, मनोवैज्ञानिक युद्ध, सैन्य खुफिया जानकारी के साथ-साथ मुगल कमज़ोरियों का लाभ उठाने का एक प्रमुख उदाहरण प्रस्तुत करता है।
    • छत्रपति शिवाजी एवं महाराजा रणजीत सिंह : असममित युद्ध एवं नौसैनिक रक्षा के सबक उन रणनीतियों से सीखे जा सकते हैं जिनका प्रयोग दोनों नेतृत्वकर्त्ताओं ने संख्यात्मक रूप से श्रेष्ठ मुगल और अफगान सेनाओं पर विजय पाने के लिये किया था।
  • रक्षा संस्थानों में इंडिक अध्ययन : भारतीय संस्कृति एवं रणनीतिक सोच को जोड़ने वाला अनुसंधान रक्षा प्रबंधन महाविद्यालय (CDM) जैसे शैक्षणिक संस्थानों द्वारा किया गया है, जिसने प्रोजेक्ट उद्भव को महत्त्वपूर्ण सामग्री प्रदान की है।

औपनिवेशिक विरासत को समाप्त करने के लिये अतीत में कौन-से प्रयास किये गए थे?

  • ध्वज: भारतीय नौसेना ने 'जैक' का नाम बदलकर 'राष्ट्रीय ध्वज' और 'जैकस्टाफ' का नाम बदलकर 'राष्ट्रीय ध्वज स्टाफ' कर दिया है।
  • प्रतीक चिन्ह: सितंबर 2022 में सेंट जॉर्ज के औपनिवेशिक क्रॉस को शिवाजी के अष्टकोणीय टिकट से बदल दिया गया।
  • रैंक: पारंपरिक रूप से नेल्सन की अंगूठी से सुसज्जित एपोलेट्स (पद का प्रतीक चिन्ह) पर अब छत्रपति शिवाजी की छाप है।
  • पारंपरिक पोशाक: नौसेना के मेस में कुर्ता-पायजामा को अपनाना।
  • औपचारिक प्रथाएँ: भारतीय सेना ने घोड़ा-बग्गी जैसी पारंपरिक प्रथाओं को समाप्त करना शुरू कर दिया है।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न: भारत की ध्वज-संहिता, 2002 के अनुसार, भारत के राष्ट्रीय ध्वज के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)

  1. कथन-I: भारत के राष्ट्रीय ध्वज का एक मानक आमाप 600 मि०मी० x 400 मि०मी० है।
  2. कथन-II: ध्वज की लंबाई से ऊँचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3 : 2 होगा।

उपर्युक्त कथनों के बारे में, निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है?

(a)  कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या है।
(b)  कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या नहीं है।
(c)  कथन-I सही है किंतु कथन-II गलत है।
(d)  कथन-I गलत है किंतु कथन-II सही है।

उत्तर: (d)