रैपिड फायर
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा NMC नियम को रद्द किया जाना
- 24 Feb 2025
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स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
अनमोल बनाम भारत संघ मामले, 2024 में, सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के दिशा-निर्देश को मनमाना, भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक करार दिया, जिसके अनुसार MBBS प्रवेश हेतु दिव्यांग उम्मीदवारों के "दोनों हाथों स्वस्थ, अक्षुण्ण संवेदना और पर्याप्त क्षमता होनी चाहिये"।
- इस दिशा-निर्देश को दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम (RPwD), 2016, संविधान के अनुच्छेद 41 और संयुक्त राष्ट्र दिव्यांगजन अधिकार सम्मेलन (UNCRPD) के विपरीत माना गया।
- अनुच्छेद 41 के अंतर्गत कार्य करने, शिक्षा प्राप्त करने तथा बेरोज़गारी, वृद्धावस्था, अस्वस्थता और दिव्यांगता की स्थिति में सार्वजनिक सहायता प्राप्त करने के अधिकार की संरक्षा का प्रावधान किया गया है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि किसी उम्मीदवार की योग्यताओं के कार्यात्मक मूल्यांकन को कठोर पात्रता मानदंडों पर प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
- सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि NMC का मूल्यांकन बोर्ड दो ऐतिहासिक निर्णयों में निर्धारित मानकों को पूरा करने में विफल रहा:
- ओमकार रामचंद्र गोंड मामला, 2024 : इसने निर्णय दिया कि मात्र दिव्यांगता का परिमाणीकरण अपर्याप्त है, कार्यात्मक क्षमता का मूल्यांकन किया जाना चाहिये।
- ओम राठौड़ बनाम स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक मामला, 2024 : इसमें शारीरिक विशेषताओं की तुलना में कार्यात्मक योग्यता को प्राथमिकता देते हुए दिव्यांग उम्मीदवारों के लिये अवसरों पर ज़ोर दिया गया।
- सर्वोच्च न्यायालय ने NMC से संविधान, RPwD अधिनियम, UNCRPD और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के अनुरूप दिव्यांगता प्रवेश दिशानिर्देशों को संशोधित करने का आग्रह किया।