ब्याज दर वृद्धि को रोकने के लिये RBI का निर्णय | 12 Apr 2023
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने ब्याज दरों में वृद्धि को रोकने और पिछली वृद्धि के प्रभावों का आकलन करने का निर्णय लिया है।
- मई 2021 से ही RBI मुद्रास्फीति को कम करने के लिये ब्याज दरों में लगातार वृद्धि कर रहा था, जो कि उसके 4% के लक्ष्य स्तर से बहुत ऊपर था।
मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (Inflation Targeting):
- परिचय:
- भारत में मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण एक मौद्रिक नीति ढाँचा है जिसे वर्ष 2016 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा अपनाया गया था।
- इसके तहत भारतीय रिज़र्व बैंक मुद्रास्फीति दर के लिये एक लक्ष्य निर्धारित करता है और इसे प्राप्त करने के लिये मौद्रिक नीति उपकरणों का उपयोग करता है।
- वर्तमान में RBI का प्राथमिक उद्देश्य 4% मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करना है। RBI के पास +/- 2% का एक सुविधा क्षेत्र है जिसके भीतर मुद्रास्फीति बनी रहनी चाहिये। इसका अर्थ है कि RBI का लक्ष्य मुद्रास्फीति दर को 2% से 6% के बीच रखना है।
- मुद्रास्फीति की पिछली दो रीडिंग (जनवरी और फरवरी 2023) क्रमशः 6.5% और 6.4% थी।
- भारत में मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण एक मौद्रिक नीति ढाँचा है जिसे वर्ष 2016 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा अपनाया गया था।
- ब्याज दर वृद्धि को रोकने के कारण:
- मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने हेतु ब्याज दरों में बढ़ोतरी की RBI की मौद्रिक नीति की सीमाएँ हैं। RBI के अनुसार वर्तमान परिस्थितियों में अकेले मौद्रिक उपाय ही महंगाई को नियंत्रित करने के लिये पर्याप्त नहीं हो सकते हैं।
- राजकोषीय नीति (सरकार के कर और व्यय) वर्तमान मुद्रास्फीति को कम करने में अधिक प्रभावी हो सकती है।
- मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने हेतु ब्याज दरों में बढ़ोतरी की RBI की मौद्रिक नीति की सीमाएँ हैं। RBI के अनुसार वर्तमान परिस्थितियों में अकेले मौद्रिक उपाय ही महंगाई को नियंत्रित करने के लिये पर्याप्त नहीं हो सकते हैं।
- लाभ :
- केंद्रीय बैंक की पारदर्शिता और जवाबदेही में वृद्धि।
- निवेशकों और जनता को ब्याज दर में बदलाव का अनुमान लगाने की अनुमति देता है।
- मुद्रास्फीति की उम्मीदों को न्यूनतम करता है।
- RBI के मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण की सीमाएँ :
- आपूर्ति-पक्ष के कारकों पर सीमित प्रभाव: मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण आपूर्ति-पक्ष के आघातों जैसे कि फसल की विफलता, प्राकृतिक आपदाओं और भू-राजनीति संबंधी चुनौतियों के कारण वैश्विक वस्तु मूल्य के विरक्तिकरण को संबोधित करने में प्रभावी नहीं हो सकता है। यह केवल माँग-पक्ष के कारकों को नियंत्रित कर सकता है, जैसे पूंजी की आपूर्ति और ब्याज दरें आदि।
- संरचनात्मक मुद्दों पर सीमित प्रभाव: मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण उन संरचनात्मक समस्याओं से निपटने में सक्षम नहीं हो सकता, जो मुद्रास्फीति का कारण बनती हैं, जैसे अक्षम वितरण प्रणाली, अपर्याप्त आधारभूत संरचना और प्रशासनिक बाधाएँ आदि।
- अन्य उद्देश्यों के साथ संघर्ष: मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण अन्य व्यापक आर्थिक उद्देश्यों, जैसे आर्थिक विकास, रोज़गार और आय वितरण के साथ संघर्ष कर सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2010)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्र. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) |