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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 28 अप्रैल, 2023

  • 28 Apr 2023
  • 3 min read

पुष्करालु महोत्सव

वाराणसी में 12 दिवसीय पुष्करालु महोत्सव मनाया जा रहा है। पुष्करालु पर्व को गंगा पुष्करम के नाम से भी जाना जाता है। त्योहार को पुष्करालु (तेलुगू भाषा में), पुष्करा या पुष्कर के नाम से जाना जाता है। यह एक ऐसा पर्व है जो प्रत्येक 12 वर्ष में ग्रहों के गोचर के विशेष संयोग के कारण आता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक नदी एक राशि से जुड़ी होती है और त्योहार की शुरुआत तब होती है जब बृहस्पति एक राशि से दूसरी राशि में जाते हैं। पुष्करालु को सबसे पवित्र अवधियों में से एक माना जाता है जब भक्त डुबकी लगाने के लिये विभिन्न पवित्र नदियों में जाते हैं। भारत में बहने वाली बारह सबसे महत्त्वपूर्ण नदियाँ गंगा, नर्मदा, सरस्वती, यमुना, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, भीमा, पुष्कर, तुंगभद्रा, सिंधी और प्राणहिता हैं।

मासिक आर्थिक समीक्षा

वित्त मंत्रालय द्वारा जारी मासिक आर्थिक समीक्षा में भारतीय अर्थव्यवस्था के जोखिमों की समीक्षा करते समय यह सिफारिश की गई थी कि भू-राजनीतिक विकास, वैश्विक वित्तीय स्थिरता और अल नीनो के कारण सूखे की स्थिति जैसे संभावित जोखिमों के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है, जो कृषि उत्पादन को कम करते हैं तथा कीमतों को बढ़ाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, उच्च मुद्रास्फीति एवं वित्तीय तंगी (Financial Tightening) 2025 तक आर्थिक विकास पर भार डालेगी। IMF के अनुसार, वैश्विक विकास 2022 के 3.4% से घटकर वर्ष 2023 में 2.8% हो जाएगा। हालाँकि भारत की मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र अस्थिर अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल बाज़ार से प्रभावित हो सकती है। कच्चे तेल के बाज़ार में उतार-चढ़ाव बना हुआ है, क्योंकि ओपेक+ देशों ने मई 2023 से उत्पादन में कटौती करने का फैसला किया है। इससे कच्चे तेल की कीमतों में पहले ही उछाल आ चुका है। इसके अलावा दूध और गेहूँ की सीमित आपूर्ति से भी मुद्रास्फीति की गति पर असर पड़ने की उम्मीद है। गाँठदार त्वचा रोग (LSD) से दूध उत्पादन प्रभावित हुआ है।
और पढ़ें… 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावना

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