लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 22 जुलाई, 2023

  • 22 Jul 2023
  • 6 min read

टाइगर आर्किड

जवाहरलाल नेहरू उष्णकटिबंधीय वनस्पति उद्यान और अनुसंधान संस्थान (JNTBGRI), पालोड में टाइगर ऑर्किड (ग्रैमैटोफिलम स्पेशियोसम) खिल रहे हैं। इस पौधे को गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा विश्व के सबसे ऊँचे आर्किड के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।

पौधे के बारे में महत्त्वपूर्ण तथ्य: 

  • मूल वितरण: इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, पापुआ न्यू गिनी।
  • मूल आवास स्थान: स्थलीय (प्राथमिक वर्षावन, मीठे जल के दलदली वन, नदी क्षेत्र)।
  • पसंदीदा जलवायु क्षेत्र: उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय/मानसूनी क्षेत्र। 
  • CITES सुरक्षा: हाँ (परिशिष्ट II)।
  • वृद्धि स्वरूप: इसका तना 3 मीटर या उससे अधिक लंबा और 5 सेमी. तक मोटा होता है। यह विश्व की सबसे बड़ी आर्किड प्रजाति भी है।

और पढ़ें… भारत में दुर्लभ ऑर्किड

बूरा चापोरी वन्यजीव अभयारण्य 

हाल ही में असम के बूरा चापोरी वन्यजीव अभयारण्य में हिंसा भड़क उठी, जिसके परिणामस्वरूप एक महिला की मौत हो गई और वन रक्षकों सहित छह अन्य घायल हो गए।

वन्यजीव अभयारण्य के बारे में महत्त्वपूर्ण तथ्य:

  • परिचय: यह लाओखोवा-बूरा चापोरी पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा है।
  • स्थान: ब्रह्मपुत्र नदी का दक्षिणी तट।
  • जीव-जंतु: यह अभयारण्य महान भारतीय एक सींग वाले गैंडे, बाघ, तेंदुए, जंगली भैंस, हॉग हिरण, जंगली सुअर और हाथियों का निवास स्थल है।
    • पक्षियों की सूची में बंगाल फ्लोरिकन (अत्यधिक लुप्तप्राय), ब्लैक-नेक्ड स्टॉर्क, मल्लार्ड, ओपन बिल्ड स्टॉर्क, टील और व्हिसलिंग डक शामिल हैं।
    • कई आर्द्रभूमियों के कारण यह सर्दियों के मौसम में प्रवासी पक्षियों की कई प्रजातियों के लिये एक आदर्श प्रजनन स्थान है।
  • वनस्पति: यह घास का मैदान विभिन्न प्रकार की औषधीय जड़ी-बूटियों और पौधों से भी समृद्ध है

श्रीविल्लीपुथुर-मेगामलाई टाइगर रिज़र्व

  • वन विभाग ने थेनी में मेगामलाई डिवीज़न के श्रीविल्लिपुथुर मेगामलाई टाइगर रिज़र्व (SMTR) में 12 अवैध, अनधिकृत या गैर-मान्यता प्राप्त रिसॉर्ट्स की पहचान की है।

वन्यजीव अभयारण्य के बारे में महत्त्वपूर्ण तथ्य:

  • परिचय: इस टाइगर रिज़र्व की स्थापना फरवरी 2021 में हुई थी। 
    • यह टाइगर रिज़र्व तमिलनाडु का पाँचवाँ और भारत का 51वाँ टाइगर रिज़र्व है।
    • यह वैगई के प्राथमिक जलग्रहण क्षेत्र मेगामलाई को सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे नदी का जल स्तर बढ़ने में मदद मिलती है।
  • जीव-जंतु: यहाँ पाए जाने वाले प्रमुख जानवर बंगाल टाइगर, हाथी, गौर, भारतीय विशालकाय गिलहरी, तेंदुआ, नीलगिरि तहर आदि हैं।
  • वनस्पति: इस रिज़र्व में उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन और अर्द्ध-सदाबहार वन, शुष्क पर्णपाती वन तथा नम मिश्रित पर्णपाती वन एवं घास के मैदान पाए जाते हैं।
  • तमिलनाडु के अन्य चार टाइगर रिज़र्व:

और पढ़ें… श्रीविल्लिपुथुर-मेगामलाई टाइगर रिज़र्व और वैगई नदी: तमिलनाडु

टंकाई विधि

संस्कृति मंत्रालय एवं भारतीय नौसेना ने "जहाज़ निर्माण की प्राचीन सिलाई वाली विधि (टंकाई पद्धति)" को पुनर्जीवित करने के लिये एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किये। भारतीय नौसेना पूरे प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के साथ इसकी निगरानी करेगी।

  • 'जहाज़ निर्माण की प्राचीन सिलाई वाली विधि' एक पारंपरिक नाव निर्माण तकनीक है जिसमें नाव के तख्तों को कील या पेंच का उपयोग करने के बजाय रस्सी या तार से एक साथ सिलना शामिल है।
  • विश्व के कुछ भागों में अभी भी छोटी नावों के निर्माण के लिये इस पद्धति का उपयोग किया जाता है। यह जहाज़ निर्माण की 2000 वर्ष पुरानी तकनीक है जिसे 'सिलाई जहाज़ निर्माण विधि' के नाम से जाना जाता है।
  • ऐतिहासिक महत्त्व और पारंपरिक शिल्प कौशल के संरक्षण को देखते हुए सिले हुए जहाज़ का भारत में महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक मूल्य है।
  • इन जहाज़ों ने लचीलेपन और स्थायित्व के कारण इन्हें उथले और रेतीली चट्टानों से होने वाले हानि की आशंका कम हो गई।

और पढ़ें… वर्ष 2030 तक ग्रीन शिप बिल्डिंग के लिये ग्लोबल हब

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2