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छत्तीसगढ़

राजकीय पशु जंगली भैंसों के संरक्षण पर लिखी विशेष पुस्तक ‘बैक फ्राम दी ब्रिंक’ का विमोचन

  • 20 Dec 2022
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

19 दिसंबर, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु जंगली भैंसों के संरक्षण पर लिखी गई विशेष पुस्तक ‘बैक फ्राम दी ब्रिंक’ (BACK FROM THE BRINK) का विमोचन किया।

प्रमुख बिंदु

  • पिछले लगभग 17 वर्षों से डब्ल्यूटीआई, छत्तीसगढ़ वन विभाग के साथ वन भैंसों के संरक्षण एवं संवर्धन पर कार्य कर रहा है। इस पुस्तक में पिछले दो दशकों से चल रही परियोजना के विभिन्न पहलुओं के विवरण के साथ-साथ संरक्षण के लक्ष्य का विस्तृत विवरण दिया गया है।
  • गौरतलब है कि भारत में विश्व स्तर पर लुप्तप्राय जंगली भैंसों (बुवालिस अरनी) की 80 प्रतिशत से अधिक संख्या पाई जाती है। छत्तीसगढ़ में कठोर भूमि (हार्ड ग्राउंड) में वन भैंसों की संख्या 50 से भी कम रह गई है। असम की आर्द्र भूमि में वन भैंसों की संख्या 4000 के करीब है।
  • वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संस्थापक और कार्यकारी निर्देशक विवेक मेनन के अनुसार, डब्ल्यूटीआई ने 2005 में जब राज्य में कार्य करना शुरू किया, उस समय उदंती अभयारण्य में एक मादा वन भैंस के साथ सिर्फ छह वन भैंसे बचे थे। इसका मतलब यह था कि मध्य भारत की अलग-अलग आबादी के विलुप्त होने का गंभीर खतरा था।
  • यह रिपोर्ट लुप्तप्राय वन भैंसों के साथ 15 वर्षों के संरक्षण कार्य का इतिहास है। छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु के संरक्षण के लिये वैश्विक ध्यान के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग की आवश्यकता है।
  • वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के उपनिदेशक एवं मध्य क्षेत्र प्रमुख डॉ. राजेंद्र मिश्रा के अनुसार परियोजना अवधि के दौरान उदंती अभयारण्य में अधिकतम 11 वन भैंसे थे। वन विभाग ने डब्ल्यूटीआई के तकनीकी सहयोग से वर्ष 2020 में असम के मानस राष्ट्रीय उद्यान से दो वन भैंसों (नर एवं मादा) कंजर्वेशन ब्रीडिंग के लिये बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित करने में भी सफलता प्राप्त की।
  • पुस्तक में बताया गया है कि उदंती के वन भैंसे असम राज्य और यहाँ तक कि महाराष्ट्र के जंगली भैसों के साथ हैप्लोटाइप साझा करती हैं और इसलिये उदंती में जंगली भैंसों की आबादी को बढ़ाने के लिये उपयोग किया जा सकता है। हालाँकि, उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में घटते जा रहे वन एवं घास के मैदान जंगली भैंसों को बचाने में गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं।
  • लगातार तीन वर्षों के जन जागरूकता अभियान के माध्यम से, डब्ल्यूटीआई ने लगभग 4000 छात्रों, 3000 ग्रामीणों एवं 12 सार्वजनिक सेवा विभागों तक वन भैंसों के संरक्षण एवं संवर्धन का प्रचार-प्रसार किया, जिसका असर समाज के सभी वर्गों तक पहुँचा है।
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