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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 21 दिसंबर, 2023

  • 21 Dec 2023
  • 7 min read

जंतुओं में रात्रि दृष्टि

जंतु, नेत्रों की संरचनाओं तथा प्रकाश-सुग्राही कोशिकाओं (Light-Sensitive Cells) के एक जटिल मिश्रण का उपयोग कर अंधेरे में अपना मार्गनिर्देशन करते हैं। मनुष्यों के विपरीत, कई जंतु प्रकाश तरंगों का पता लगा सकते हैं जिसे मानव दृष्टि देखने में अक्षम होती हैं।

  • कशेरुकियों में दो प्रमुख प्रकार की प्रकाश-सुग्राही कोशिकाएँ होती हैं जिन्हें दंड (Rod) तथा शंकु (Cones) कहते हैं। दंड, कम रोशनी (रात्रि दृष्टि की तरह) में देखने हेतु सहायता करते हैं, जबकि शंकु दिन के प्रकाश तथा रंगों को देखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
  • दिन में सक्रिय रहने वाले प्राणियों के पास स्पष्ट छवियों के लिये अधिक शंकु कोशिकाएँ होती हैं किंतु कम रोशनी में उन्हें संघर्ष करना पड़ सकता है। जबकि, रात्रिचर जंतु मुख्य रूप से अपने दृष्टिपटल (Retina) में दंड कोशिकाओं पर निर्भर होते हैं, जिनमें रोडोप्सिन नामक प्रकाश-सुग्राही वर्णक मौजूद होते हैं। प्रकाश की कमी होने पर यह वर्णक धीरे-धीरे पुनः स्थापित होकर उन्हें अंधेरे में बेहतर देखने में मदद करता है।

कोलाट्टम नृत्य

हाल ही में आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में बच्चों के त्योहार बालोत्सव के दौरान कोलाट्टम नृत्य का प्रदर्शन किया गया।

  • कोलाट्टम आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों का लोक नृत्य है। यह एक धार्मिक प्रस्तुति का हिस्सा है, जहाँ महिला नर्तकियाँ आंध्र प्रदेश के कई क्षेत्रों में मंदिर की देवी को श्रद्धांजलि अर्पित करती हैं।
    • कोलाट्टम नृत्य मुख्यतः महिलाओं का नृत्य है, इसमें पुरुषों को शामिल नहीं किया जाता है।
  • नृत्य के इस रूप को कोलकोल्लन्नालु या कोल्लान्नालु भी कहा जाता है। नृत्य का यह लोकप्रिय रूप आम तौर पर एक समूह बनाकर किया जाता है जहाँ दो-दो कलाकारों को एक जोड़ी के रूप में समूहीकृत किया जाता है। प्रत्येक नर्तक दो छड़ियाँ रखता है और इन छड़ियों को लयबद्ध तरीके से घुमाता है।
    • कोलाट्टम कारा एक छड़ी है जो ठोस लकड़ी से बनी होती है और कोलाट्टम में लाह का उपयोग किया जाता है।

और पढ़ें: भारतीय शास्त्रीय नृत्य

सिकल सेल रोग हेतु जीन थेरेपी को FDA की मंज़ूरी

खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA), अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के तहत एक एजेंसी, ने वर्टेक्स फार्मास्यूटिकल्स व CRISPR थेरेप्यूटिक्स द्वारा-ब्लूबर्ड बायो तथा कैसगेवी से सिकल सेल रोग लिफजेनिया के लिये दो जीन थेरेपियों को मंज़ूरी दे दी है।

  • सिकल सेल रोग एक आनुवांशिक रक्त रोग है जिसमे हीमोग्लोबिन में विसंगति उत्पन्न हो जाती है, हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला प्रोटीन है, जो ऑक्सीजन का परिवहन करता है।
    • इसके कारण लाल रक्त कोशिकाएँ अर्द्धचंद्राकार आकार धारण कर लेती हैं, जिससे वाहिकाओं के माध्यम से उनकी गति बाधित होती है, जिससे गंभीर दर्द, संक्रमण, एनीमिया और स्ट्रोक जैसी संभावित जटिलताएँ उत्पन्न होती हैं।
  • इन उपचारों का उद्देश्य CRISPR जीन एडिटिंग तकनीक का लाभ उठाकर या तो संशोधित जीन सम्मिलित करना या स्टेम कोशिकाओं को संपादित करके उपचार को बदलना है, जो संभावित रूप से एक बार के उपचार प्रस्तुत करता है।
  • उपचारों की दीर्घकालिक प्रभावशीलता और जोखिमों के बारे में चिंताएँ मौजूद हैं, जिनमें कीमोथेरेपी की आवश्यकता, संभावित बाँझपन तथा अनपेक्षित जीनोमिक परिवर्तनों के बारे में चिंताएँ शामिल हैं।

और पढ़ें: सिकल-सेल एनीमिया के लिये CRISPR-Cas9

वर्ष 2047 तक सभी के लिये बीमा हेतु LIC का दृष्टिकोण

भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) 'वर्ष 2047 तक सभी के लिये बीमा' पहल के अनुरूप, ग्रामीण क्षेत्रों हेतु अनुकूलित उत्पाद प्रस्तुत करके तथा डिजिटल परिवर्तन को अपनाकर एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिये तैयार है।

  • वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के दृष्टिकोण के अनुरूप, ग्रामीण जनता तक अधिक-से-अधिक बीमा कवरेज़ बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • LIC भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा प्रस्तावित 'बीमा विस्तार' को स्वीकार करती है, जो जीवन, स्वास्थ्य तथा संपत्ति बीमा को कवर करने वाला एक समग्र उत्पाद है।
    • इन उत्पादों का वितरण चैनल, जिसे 'बीमा वाहक' के नाम से जाना जाता है, ग्राम पंचायत स्तर पर समर्पित वितरण चैनलों के लिये प्रस्तावित दिशा-निर्देशों के अनुरूप, महिला केंद्रित होगा।
  • LIC ने पहले चरण में ग्राहक अधिग्रहण पर ध्यान देने के साथ ही एक डिजिटल परिवर्तन परियोजना, डिजिटल इनोवेशन एंड वैल्यू एन्हांसमेंट (Digital Innovation and Value Enhancement- DIVE) की शुरुआत की है।
    • डिजिटल परिवर्तन का उद्देश्य एक बटन के क्लिक पर दावों के निपटान और ऋण जैसी कुशल सेवाएँ उपलब्ध कराना है, जिससे ग्राहकों को कार्यालयों में जाने की आवश्यकता कम हो।
  • LIC पर पूर्ण स्वामित्व सरकार का है। इसकी स्थापना वर्ष 1956 में की गई थी। भारत के बीमा व्यवसाय में इसकी सर्वाधिक हिस्सेदारी है। 

और पढ़ें: IRDAI विज़न 2047, बीमा वाहक

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