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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 जनवरी, 2023

  • 16 Jan 2023
  • 8 min read

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग स्थापना दिवस

15 जनवरी, 2023 को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग का 148वाँ स्थापना दिवस मनाया गया। इस दिवस को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा मनाया जाता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Science- MoES) के अधीन कार्य करता है। यह मौसम संबंधी अवलोकन, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख एजेंसी है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की पाँच वेधशालाओं को विश्व मौसम विज्ञान संगठन से मान्यता प्राप्त है, ये वेधशालाएँ चेन्नई, मुंबई, पुणे, तिरुवनंतपुरम और पंजिम में स्थित हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने लगातार नए अनुप्रयोग और सेवा के क्षेत्रों में कदम रखा है तथा 140 वर्षों के इतिहास में अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को लगातार निर्मित किया है। इसने भारत में मौसम विज्ञान और वायुमंडलीय विज्ञान के विकास को एक साथ विकसित किया है। वर्तमान में भारत में मौसम विज्ञान एक रोमांचक भविष्य की दहलीज पर है।

विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक

विश्व आर्थिक मंच की 53वीं बैठक का आयोजन 16 जनवरी से स्विटज़रलैंड के दावोस में हो रहा  है। यह बैठक 20 जनवरी तक चलेगी। इस वर्ष की बैठक का विषय है- खंडित विश्व में सहयोग (Cooperation in a Fragmented World)। इसके तहत शिक्षाविद्, निवेशक, राजनीतिक और व्यापारिक नेताओं द्वारा विश्व के समक्ष चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। प्रमुख विषयों में रूस-यूक्रेन संकट, वैश्विक मुद्रास्फीति और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं, साथ ही मौजूदा वैश्विक आर्थिक स्थिति पर भी विचार किया जाएगा। इस बैठक में भाग लेने वाले विश्व के नेताओं में यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वोन डेर लेन, जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़, यूरोपीय संसद के अध्यक्ष रोबर्टा मेटसोला सहित कई देशों के शासनाध्यक्ष तथा अन्य नेता शामिल होंगे।

भारत का 75वाँ सेना दिवस  

भारतीय सेना ने 15 जनवरी को हैदराबाद के परेड ग्राउंड में 75वाँ सेना दिवस मनाया। वर्ष 1949 में आज ही के दिन फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा ने अपने ब्रिटिश पूर्ववर्ती (जनरल सर फ्राँसिस बुचर) की जगह भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदभार संभाला। फील्ड मार्शल (पहले सैम मानेकशॉ थे) की पाँच सितारा रैंक वाले केवल दो सेना अधिकारियों में से जनरल करियप्पा दूसरे थे। यह दिन देश के उन सैनिकों के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने निस्वार्थ सेवा और भाईचारे की मिसाल पेश की है।

नोट- सेना दिवस 14 जनवरी को मनाए जाने वाले सेवानिवृत्त सेना दिवस से अलग है, जो फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा की औपचारिक सेवानिवृत्ति का प्रतीक है।

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हिमस्खलन  

ज़ोजिला सुरंग परियोजना पर काम चल रहे क्षेत्र में हाल ही में कश्मीर में हिमस्खलन की अनेकों घटनाएँ देखी गई हैं। अधिकारियों ने 11 ज़िलों के लिये "कम स्तर के खतरे" के साथ हिमस्खलन की चेतावनी जारी की है। हिम, बर्फ और चट्टानों के समूह जब तेज़ी से पहाड़ से नीचे गिरते हैं, इसे हिमस्खलन कहा जाता है। चट्टानों या मिट्टी के स्खलन को अक्सर भूस्खलन कहा जाता है। 90% हिमस्खलन आपदाएँ मानवीय गतिविधियों के कारण ट्रिगर होती हैं; उनमें से ज़्यादातर स्कीईंग करने वाले, पर्वतारोही और स्नो-मोबाइलर्स (बर्फीले क्षेत्रों में यात्रा के लिये डिज़ाइन किया गया एक मोटर चालित वाहन एवं इनका अत्यधिक उपयोग करने वाले) शामिल हैं। हिमस्खलन घातक होता है तथा इसके संबंध में कोई पुर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है। 

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व्यापार विश्वास सूचकांक

CII बिज़नेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स (अक्तूबर-दिसंबर 2022 तिमाही के लिये) लगभग 2 वर्षों में अपने उच्चतम स्तर 67.6 (पिछली तिमाही में 62.2 से) पर पहुँच गया, जो बढ़ती वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के चलते भी भारत के सुरक्षित क्रम पर होने की उम्मीद को दर्शाता है। OECD के अनुसार, एक बिज़नेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स उद्योग क्षेत्र में तैयार माल के उत्पादन, ऑर्डर और स्टॉक में विकास पर राय हेतु सर्वेक्षणों के आधार पर भविष्य के विकास की जानकारी प्रदान करता है। CII (भारतीय उद्योग परिसंघ) एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी, उद्योगों का नेतृत्व करने वाला तथा उद्योग-प्रबंधित संगठन है। इसकी स्थापना 1895 में हुई थी एवं इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। 

और पढ़ें…भारतीय उद्योग परिसंघ

 आक्रामक वृक्ष प्रजातियाँ 

दिल्ली के राज्य EIA प्राधिकरण ने राज्य वन विभाग से 3 तेज़ी से बढ़ती आक्रामक वृक्ष प्रजातियों- विलायती कीकर (Prosopis Juliflora), सुबाबुल (River Tamarind) और यूकेलिप्टस को रोकने तथा नष्ट करने के लिये कदम उठाने हेतु कहा है क्योंकि वे स्थानीय पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। विलायती कीकर वर्ष 1930 के दशक में अंग्रेज़ों द्वारा लाई गई मैक्सिकन आक्रामक प्रजाति सबसे हानिकारक है। यह दिल्ली रिज़ पर दिखाई देने वाली वनस्पति का एकमात्र रूप है। ऑस्ट्रेलिया से आया यूकेलिप्टस प्रकृति में आक्रामक नहीं है, लेकिन बहुत अधिक जल का उपयोग करता है क्योंकि यह तेज़ी से बढ़ने वाला वृक्ष है। यह एलोपैथिक प्रभाव भी दिखाता है (यौगिकों को छोड़ता है जो आस-पास की अन्य देशी प्रजातियों की वृद्धि में बाधक बनते हैं)। सुबाबुल भी मेक्सिको से आया है और वन विभाग द्वारा ईंधन एवं चारे के लिये पेश किया गया था। तीनों प्रजातियाँ भूजल स्तर को कम कर रही हैं।

और पढ़ें… पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA), आक्रामक प्रजातियाँ

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