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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 14 अक्तूबर, 2023
- 14 Oct 2023
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तमिल लेखक शिवशंकरी को सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया गया
- तमिल लेखिका शिवशंकरी को उनके संस्मरण (जीवनी) "सूर्य वामसम" के लिये सरस्वती सम्मान 2022 से सम्मानित किया गया।
- "सूर्य वामसम" दो खंडों वाला एक संस्मरण है जो लेखिका की सात दशकों की साहित्यिक यात्रा तथा सामाजिक परिवर्तनों को उल्लिखित करता है।
- यह पुरस्कार भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं के भारतीय लेखकों द्वारा विगत 10 वर्षों में प्रकाशित साहित्यिक कृतियों के लिये प्रतिवर्ष दिया जाता है।
- यह पुरस्कार के.के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया जाता है, जिसमें 15 लाख रुपए की धनराशि समेत एक पट्टिका तथा प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।
- सरस्वती सम्मान भारतीय साहित्य के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मानों में से एक है। सरस्वती सम्मान के अतिरिक्त, व्यास सम्मान और बिहारी पुरस्कार बिड़ला फाउंडेशन द्वारा स्थापित अन्य साहित्यिक पुरस्कार हैं।
और पढ़ें: भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची
नासा ने क्षुद्रग्रह बेन्नू पर कार्बन और जल होने की पुष्टि की
- राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) ने क्षुद्रग्रह बेन्नु (पूर्व में 1999 RQ36) से एकत्र किये गए नमूनों में उच्च कार्बन सामग्री और जल धारण करने वाले मिट्टी के खनिजों की उपस्थिति की पुष्टि की है।
- बेन्नू 4.5 अरब वर्ष पुराना एक छोटा-पृथ्वी क्षुद्रग्रह है जो प्रत्येक छह वर्ष में पृथ्वी के करीब से गुजरता है। क्षुद्रग्रह की खोज वर्ष 1999 में नासा द्वारा वित्तपोषित लिंकन नियर-अर्थ क्षुद्रग्रह अनुसंधान की एक टीम द्वारा की गई थी।
- बेन्नू से एकत्रित सामग्री हमारे सौर मंडल के शुरुआती दिनों के टाइम कैप्सूल के रूप में कार्य करती है और जीवन की उत्पत्ति तथा क्षुद्रग्रहों की प्रकृति के विषय में सवालों के जवाब देने में सहायता कर सकती है।
- नासा का ‘ओसीरिस-रेक्स’ अंतरिक्ष यान, क्षुद्रग्रह नमूना प्राप्त करने का पहला अमेरिकी प्रयास, वर्ष 2016 में बेन्नू की यात्रा के लिये लॉन्च किया गया था।
- मिशन की सफलता क्षुद्रग्रहों के विषय में हमारी समझ को बढ़ाती है, उन क्षुद्रग्रहों के विषय में भी जो पृथ्वी के लिये खतरा उत्पन्न कर सकते हैं।
- हमारे सौर मंडल की उत्पत्ति के विषय में जानकारी हासिल करने के लिये वैज्ञानिक अगले दो वर्षों में नमूनों का और अधिक विश्लेषण करेंगे।
और पढ़ें… NASA का OSIRIS-REx अभियान
पासपोर्ट टू अर्निंग (P2E) पहल
यूनिसेफ के वैश्विक स्तर के सीखने-से-कमाई संबंधी पहल पासपोर्ट टू अर्निंग (P2E) ने भारत में दस लाख से अधिक युवाओं को वित्तीय साक्षरता और डिजिटल उत्पादकता के क्षेत्रों में कुशल बनाया एवं प्रमाण पत्र प्रदान किया है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy- NEP) 2020 के अनुरूप P2E पहल डिजिटल उत्पादकता, वित्तीय साक्षरता, रोज़गार हेतु योग्यता संबंधी कौशल एवं नौकरी के लिये प्रशिक्षित कौशल से संबंधित प्रमाणन (सर्टिफिकेट) पाठ्यक्रमों तक निशुल्क पहुँच प्रदान करती है।
- भारत में विशेष रूप से P2E पाठ्यक्रमों के लाभार्थियों में से 62% किशोर लड़कियाँ और युवा महिलाएँ हैं।
- इस डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म का लक्ष्य वर्ष 2024 तक भारत में 14-29 वर्ष के आयु वर्ग के युवाओं को दीर्घकालिक टिकाऊ कौशल प्रदान करना और फिर उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने हेतु नौकरी, स्वरोज़गार एवं उद्यमिता के अवसरों से जोड़ना है। P2E देश के शैक्षिक तथा आर्थिक परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण योगदान है।
और पढ़ें… राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
INS सागरध्वनि
DRDO के तहत नौसेना भौतिक और समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला (Naval Physical & Oceanographic Laboratory- NPOL), कोच्चि का समुद्र विज्ञान अनुसंधान पोत, INS सागरध्वनि, दक्षिणी नौसेना कमान (Southern Naval Command- SNC), कोच्चि के दक्षिण जेट्टी से सागर मैत्री (SM) मिशन- 4 पर रवाना हुआ।
- INS सागरध्वनि के मिशन में उत्तरी अरब सागर में वैज्ञानिक तैनाती और ओमान में सुल्तान कबूस विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों के साथ सहयोगात्मक अनुसंधान कार्यक्रम शामिल हैं, जो भारतीय एवं IOR महासागर शोधकर्त्ताओं के बीच मज़बूत कामकाज़ी संबंधों को बढ़ावा देंगे।
- INS सागरध्वनि एक समुद्री ध्वनिक अनुसंधान जहाज़ है जिसका निर्माण स्वदेश में किया गया है और इसे जुलाई 1994 में लॉन्च किया गया था।