विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 26 सितंबर, 2023
- 26 Sep 2023
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नासा का पहला क्षुद्रग्रह नमूना पृथ्वी पर लाया गया
- 8 सितंबर 2016 को लॉन्च किये गए नासा के ऑरिजिंस, स्पेक्ट्रल इंटरप्रिटेशन, रिसोर्स आइडेंटिफिकेशन और सिक्योरिटी-रेजोलिथ एक्सप्लोरर (OSIRIS-REx) अंतरिक्ष यान की सहायता से पृथ्वी के निकटीय क्षुद्रग्रह बेन्नु (पूर्व में 1999 RQ36) से क्षुद्रग्रह के पहले नमूनों को सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लाया गया है। सात वर्ष की लंबी यात्रा के बाद यह अंतरिक्ष यान 4.5 अरब वर्ष पुराने बहुमूल्य नमूने लेकर आया है।
- पृथ्वी के निकट से तीव्रता से गुज़रने के दौरान ओसिरिस-रेक्स नमूना कैप्सूल रिलीज़ किया गया, यह क्षुद्रग्रह नमूनों को संरक्षित करते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका के यूटा रेगिस्तान में सुरक्षित रूप से लैंड हुआ।
- वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस कैप्सूल में कार्बन-समृद्ध क्षुद्रग्रह बेन्नु का मलबा है, जो मात्रा में कम से कम एक कप जितना हो सकता है।
- यह नमूना 4.5 अरब वर्ष पूर्व की पृथ्वी और जीवन के बारे में अमूल्य जानकारी प्रदान करेगा।
- ओसिरिस-रेक्स अपनी उड़ान और मिशन जारी रखेगा, यह वर्ष 2029 में एपोफिस नामक एक अन्य क्षुद्रग्रह तक पहुँच कर उसका अध्ययन करेगा।
फिलीपींस के अधिकारियों ने चीन के दक्षिण चीन सागर अवरोध को चुनौती दी
- फिलीपींस के अधिकारियों ने दक्षिण चीन सागर के विवादित स्कारबोरो शोल में चीन के तट रक्षक द्वारा स्थापित 300 मीटर लंबे फ्लोटिंग बैरियर को हटाने की वचनबद्धता जताई है। उन्होंने फिलिपिनो मछुआरों के अधिकारों के उल्लंघन पर प्रकाश डालते हुए इसे "अवैध और अनुचित" कहा।
- फिलीपींस का दावा है कि स्कारबोरो शोल उसके समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS) द्वारा परिभाषित विशेष आर्थिक क्षेत्र के अंतर्गत आता है, यह दावा वर्ष 2016 के मध्यस्थता निर्णय में बरकरार रखा गया था जिसे चीन ने खारिज़ कर दिया था।
- यह विवाद संभावित एशियाई भू-राजनीतिक हॉटस्पॉट व दक्षिण चीन सागर में लंबे समय से चले आ रहे क्षेत्रीय तनाव को बढ़ाता है।
- दक्षिण चीन सागर व पश्चिमी प्रशांत महासागर की एक शाखा, ब्रुनेई, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, ताइवान, थाईलैंड और वियतनाम से लगती है।
- यह ताइवान जलडमरूमध्य के माध्यम से पूर्वी चीन सागर और लूजॉन जलडमरूमध्य के माध्यम से फिलीपींस सागर से जुड़ता है।
- इसमें स्प्रैटली द्वीप समूह, पैरासेल द्वीप समूह, प्रतास द्वीप समूह, मैकल्सफील्ड बैंक और स्कारबोरो शोल शामिल हैं।
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महाराष्ट्र के क्षणभंगुर पौधे (Ephemerals)
महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों में, एक प्रकार के आकर्षक वनस्पति उगते हैं, जिनमें पौधों की ऐसी प्रजातियाँ, जिन्हें क्षणभंगुर पौधे कहा जाता है, में मानसून के मौसम के दौरान पुष्प खिलते हैं।
- ये क्षणभंगुर पौधे दो रूपों में उगते हैं: वार्षिक और सदाबहार/बारहमासी।
- वार्षिक क्षणभंगुर पौधों में प्रति वर्ष नए पुष्प आते हैं, जो बीज बनने से पूर्व एक संक्षिप्त अवधि के लिये अपनी सुंदरता का प्रदर्शन करते हैं और फिर आगामी मानसून तक निष्क्रिय रहते हैं।
- दूसरी ओर, सदाबहार पौधों की स्थाई उपस्थिति निरंतर बनी रहती है, जो प्रकंदों द्वारा जीवंत बने रहते हैं।
- ग्राउंड ऑर्किड से लेकर लिली, जंगली रतालू और इंडियन स्क्विल जैसे क्षणभंगुर पादप स्थानीय परागणकों के लिये मकरंद एवं पराग स्रोतों के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, साथ ही आवश्यक मिट्टी और जल संवहन को भी संरक्षित करते हैं।
भारत से मानसून की वापसी में देरी
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार भारत में दक्षिण-पश्चिमी मानसून सामान्य तिथि से आठ दिन की देरी से वापस जाना शुरू हो गया है। वर्ष 2023 में मानसून की 13वीं बार देरी से वापसी हुई।
- दक्षिण-पश्चिम की दलील आम तौर पर 1 जून तक केरल में शुरू होती है और 8 जुलाई तक पूरे देश को इसमें शामिल कर लिया जाता है।
- यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर पश्चिम भारत से वापस लौटना शुरू कर देता है और 15 अक्तूबर तक पूरी तरह से इसकी वापसी हो जाती है।
- मानसून की वापसी में देरी से बारिश का मौसम दीर्घकालिक हो जाता है, जिसका कृषि उत्पादन पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है, विशेषकर उत्तर पश्चिम भारत के लिये जहाँ रबी फसल उत्पादन के लिये मानसून की वर्षा महत्त्वपूर्ण है।
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