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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 07 जून, 2023

  • 07 Jun 2023
  • 7 min read

स्वदेशी हैवीवेट टॉरपीडो वरुणास्त्र 

भारतीय नौसेना की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में स्वदेशी रूप से डिज़ाइन एवं विकसित हेवीवेट टारपीडो वरुणास्त्र ने लाइव परीक्षण में अपनी प्रभावशीलता का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) के तहत नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी (NSTL) एवं भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) द्वारा निर्मित वरुणास्त्र लो ड्रिफ्ट नेविगेशनल सिस्टम, ध्वनिक होमिंग एवं स्वायत्त मार्गदर्शन एल्गोरिदम जैसी उन्नत सुविधाओं से युक्त है। परीक्षण के दौरान वरुणास्त्र ने सभी नौसैनिक युद्धपोतों हेतु गो-टू एंटी-सबमरीन टारपीडो के रूप में अपनी स्थिति को मज़बूत करते हुए समुद्र के नीचे लक्ष्य को सटीक रूप से भेदकर उल्लेखनीय क्षमताओं का प्रदर्शन किया। टॉरपीडो वर्तमान में नौसेना के जहाज़ों पर लगे पुराने मॉडलों की जगह लेगा जो भारी वज़न वाले टॉरपीडो को फायर करने की क्षमता रखते हैं। वरुणास्त्र के बेहतर विनिर्देशों में 40 समुद्री मील की अधिकतम गति और 600 मीटर की अधिकतम परिचालन गहराई शामिल है। यह बहु-चालन सुविधाओं के साथ लंबी दूरी की क्षमताओं से युक्त है, जो इसे शांत जल के नीचे खतरों को ट्रैक करने एवं लक्षित करने में अत्यधिक प्रभावी बनाता है। 

और पढ़ें… वरुणास्त्र 

एम्स ने ई-हॉस्पिटल सेवाओं को मैलवेयर हमले से बचाया 

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) भारत में प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान है जिसने हाल ही में मैलवेयर के रूप में ज्ञात एक हानिकारक कंप्यूटर प्रोग्राम से अपनी ई-हॉस्पिटल सेवाओं का सफलतापूर्वक बचाव किया। मैलवेयर एक दुर्भावनापूर्ण अथवा हानिकारक प्रोग्राम है जिसे कंप्यूटर, नेटवर्क और उपकरणों के संचालन को बाधित करके अथवा अनधिकृत पहुँच प्राप्त करके नुकसान पहुँचाने के लिये डिज़ाइन किया जाता है। मैलवेयर के प्रकारों में वायरस, वर्म्स, ट्रोज़न, रैंसमवेयर, स्पाईवेयर, एडवेयर और स्केयरवेयर शामिल हैं। इन खतरों से डेटा हानि, वित्तीय क्षति, गोपनीयता का नुकसान और सिस्टम भेद्यता जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है। एंटीवायरस सॉफ्टवेयर, मज़बूत पासवर्ड, नियमित अपडेट और सतर्क ऑनलाइन सेवाओं जैसे सुरक्षा उपायों का उपयोग करके मैलवेयर से बचाव किया जा सकता है।

और पढ़ें…चिकित्सा उपकरण और मैलवेयर 

सूरीनाम में भारतीयों के आगमन के 150 वर्ष पूर्ण 

भारतीय राष्ट्रपति और सूरीनाम के राष्ट्रपति ने सूरीनाम में भारतीयों के आगमन की 150वीं वर्षगाँठ मनाई।

भारतीय राष्ट्रपति ने वर्ष 1873 में लल्ला रूख जहाज़ द्वारा सूरीनाम में आने वाले भारतीयों के पहले समूह के साथ इस मील के पत्थर के ऐतिहासिक महत्त्व पर बल दिया। उन्होंने एक बहुसांस्कृतिक समाज के रूप में सूरीनाम की प्रशंसा की जिसने एकता और समावेशिता के सूत्र में विविध समुदायों को अपनाया एवं एकीकृत किया। भारत और सूरीनाम के बीच संबंधों का विस्तार करते हुए उन्होंने OCI कार्ड की पात्रता के विस्तार की घोषणा की। राष्ट्रपति ने भौगोलिक दूरियों के बावजूद अपनी विरासत के प्रति भारतीय प्रवासियों के गहरे लगाव को स्वीकार किया तथा एक समावेशी वैश्विक व्यवस्था के लिये भारत की प्रतिबद्धता को व्यक्त किया। इसी के साथ G-20 और वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट जैसी पहलों में सूरीनाम की भागीदारी को मान्यता भी दी। भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी द्विपक्षीय संबंधों के महत्त्व को रेखांकित करते हुए सूरीनाम के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "ग्रैंड ऑर्डर ऑफ द चेन ऑफ द येलो स्टार" से सम्मानित किया गया।

और पढ़ें…  OCI कार्ड, G-20, वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट

चक्रवात 'बिपरजॉय' से अरब सागर को खतरा

चक्रवाती तूफान 'बिपरजॉय' अरब सागर में तेज़ हो गया है, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में गंभीर जोखिम और अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने तूफान के तेज़ी से विकास की रिपोर्ट दी है तथा 8 जून, 2023 को 140 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं के साथ इसके एक गंभीर चक्रवाती तूफान का रूप लेने की आशंका है। 'बिपरजॉय' (जिसका अर्थ है विपत्ति या आपदा) नाम बांग्लादेश द्वारा दिया गया था। जून में चक्रवात 'बिपरजॉय' का बनना असामान्य है और जलवायु परिवर्तन के कारण अरब सागर में समुद्र की सतह का बढ़ता तापमान एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह उच्च तापमान, 30-32 डिग्री सेल्सियस तक पहुँचनए पर  चक्रवातों की तीव्रता को बढ़ाता है। चक्रवात प्रणाली भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून के लिये भी खतरा पैदा करती है, जिससे इसके आगमन और प्रगति में बाधा उत्पन्न होती है। नमी को भारत से दूर मोड़कर, तूफान मानसून की शुरुआत में और देरी कर सकता है। जलवायु वैज्ञानिक लंबे समय तक हिंद महासागर के गर्म होने और अल नीनो के विकास के संभावित प्रभाव की ओर इशारा करते हैं, जो दोनों ही मानसून को कमज़ोर कर सकते हैं।

और पढ़ें… चक्रवात, मानसून, जलवायु परिवर्तन  

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