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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 03 मार्च , 2023

  • 03 Mar 2023
  • 7 min read

MoMo गर्भावस्था: एक दुर्लभ घटना 

एक अमेरिकी महिला ने छह महीने के भीतर एक जैसे जुड़वाँ बच्चों के दो जोड़े को जन्म दिया जिसे एक दुर्लभ घटना करार दिया गया है। ऐसे जुड़वाँ बच्चे जिन्हें वैज्ञानिक रूप से ‘MoMo‘ के रूप में जाना जाता है, मोनोएम्नियोटिक-मोनोकोरियोनिक का एक संक्षिप्त नाम है, यह संयुक्त राज्य में सभी जन्मों का 1% से भी कम हिस्सा है। MoMo गर्भावस्था में जुड़वाँ बच्चों को एक ही प्लेसेंटा, एमनियोटिक थैली और द्रव साझा करने के संदर्भ में जाना जाता है लेकिन उनकी गर्भनाल अलग-अलग होती है। वे गर्भनाल के आलावा सब कुछ साझा करते हैं, जो आसानी से एक ही थैली में उलझ सकते हैं। दुर्भाग्य से ‘MoMo‘ जुड़वाँ संबंधी परिवार में मृत जन्मों की उच्च दर है। जुड़वाँ बच्चे दो अंडों के निषेचित होने का परिणाम होते हैं, जबकि समान जुड़वाँ एक अंडे के निषेचित और विभाजित होने का परिणाम होते हैं। इसका मतलब है कि समान DNA होने के कारण समान जुड़वाँ बच्चों का लिंग समान होना चाहिये।

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विश्व वन्यजीव दिवस 

विश्व वन्यजीव दिवस वर्ष 2013 से प्रतिवर्ष 3 मार्च को मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय 'वन्यजीव संरक्षण के लिये भागीदारी' है, जिसमें महासागरों और समुद्री जीवन का संरक्षण, निगमों के साथ मिलकर कार्य करना तथा संरक्षण पहलों को वित्तपोषित करना शामिल है। इसी दिन वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय की स्थापना हेतु हस्ताक्षर किये गए थे। यह CITES की स्थापना की 50वीं वर्षगाँठ को चिह्नित करता है। CITES विभिन्न सरकारों के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। इसका उद्देश्य वन्यजीवों और पौधों के नमूनों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रतिबंधित कर उनकी प्रजातियों के अस्तित्त्व की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। वर्तमान में इस अभिसमय में भारत सहित पक्षकारों की कुल संख्या 184 है। CITES संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा प्रशासित है और इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है। पार्टियों का सम्मेलन इस अभिसमय का सर्वोच्च सर्वसम्मति-आधारित निर्णायक निकाय है और इसके सभी पक्षकार इसमें शामिल हैं। भारत में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा इसके तहत वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो एक वैधानिक निकाय है जो विशेष रूप से देश में संगठित वन्यजीव अपराध को नियंत्रित करता है।

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और पढ़ें… वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय, विश्व वन्यजीव दिवस

स्मार्ट-PDS 

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री के अनुसार, स्मार्ट-PDS तकनीकी रूप से संचालित एक महत्त्वपूर्ण पहल है, इसलिये सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इसे जल्द से जल्द लागू करने के लिये गंभीरता से प्रयास करना चाहिये। स्मार्ट-PDS एक ऐसी प्रणाली है जिसके अंतर्गत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों को स्मार्ट राशन कार्ड जारी किया जाता है तथा लाभार्थी परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा स्मार्ट राशन कार्ड प्रस्तुत करने पर उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से राशन प्रदान किया जाता है। भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को मज़बूत करने के लिये भारत सरकार की प्रमुख पहल है, जिसमें राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के समन्वय में कोविड-19 महामारी के दौरान अप्रैल 2020 से दिसंबर 2022 तक लागू प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) तथा प्रवासी आबादी का समर्थन करने के लिये लागू वन नेशन वन राशन कार्ड योजना शामिल है। PDS में कदन्न को बढ़ावा देने, देश में पोषण सुरक्षा को मज़बूत करने हेतु महत्त्वपूर्ण है।

और पढ़ें… भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS)। 

पोर्टर पुरस्कार 2023

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को पोर्टर पुरस्कार 2023 प्रदान किया गया है। इसने कोविड-19 के प्रबंधन में सरकार की रणनीति, दृष्टिकोण और विभिन्न हितधारकों की भागीदारी, विशेष रूप से मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं (आशा) की भागीदारी को मान्यता दी। वैक्सीन के विकास तथा निर्माण में देश के योगदान की भी सराहना की गई। भारत द्वारा वैक्सीन की 2.5 अरब से अधिक खुराक वितरित की गई। पोर्टर पुरस्कार का नाम पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री माइकल ई. पोर्टर के नाम पर रखा गया है। उन्होंने निगमों, अर्थव्यवस्थाओं और समाज द्वारा सामना की जाने वाली कई चुनौतीपूर्ण समस्याओं के समाधान हेतु आर्थिक सिद्धांत और रणनीतिक अवधारणाओं को प्रतिपादित किया है। भारत ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के एक भाग के रूप में वर्ष 2005-06 में आशा कार्यक्रम प्रारंभ किया गया था। वर्ष 2013 में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के शुभारंभ के साथ कार्यक्रम को शहरी क्षेत्रों में भी विस्तारित किया गया। आशा कार्यक्रम का मूल उद्देश्य समुदाय के सदस्यों की क्षमता का निर्माण करना है ताकि वे अपने स्वयं के स्वास्थ्य की देखभाल कर सकें और स्वास्थ्य सेवाओं में भागीदार बन सकें। 

और पढ़े…भारत का कोविड महामारी प्रबंधन

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