Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 01 दिसंबर, 2023 | 01 Dec 2023
9वाँ राष्ट्रीय स्तरीय प्रदूषण प्रतिक्रिया अभ्यास (NATPOLREX-IX)
हाल ही में भारतीय तटरक्षक बल (ICG) द्वारा 9वाँ राष्ट्रीय स्तरीय प्रदूषण प्रतिक्रिया अभ्यास (NATPOLREX-IX) वाडिनार, गुजरात में आयोजित किया गया था।
- NATPOLREX-IX ने राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिकता योजना (NOSDCP) के प्रावधानों का उपयोग करके समुद्री तेल रिसाव के प्रत्युत्तर में विभिन्न संसाधन एजेंसियों के बीच तैयारियों एवं समन्वय के स्तर का परीक्षण करने के अपने उद्देश्य को पूरा किया।
- भारतीय तटरक्षक बल (ICG) ने समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया के लिये सतह के साथ-साथ वायु प्लेटफॉर्म को तैनात किया जिसमें प्रदूषण प्रतिक्रिया जहाज़ (PRV), अपतटीय गश्ती जहाज़ (OPV), स्वदेशी उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर एमके-III और डोर्नियर विमान शामिल हैं।
- इस कार्यक्रम में 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण के संदर्भ में भारत की औद्योगिक शक्ति का भी प्रदर्शन किया गया।
- NOSDCP तैयार करने के अलावा तटरक्षक बल ने मुंबई, चेन्नई, पोर्ट ब्लेयर और वाडिनार में चार प्रदूषण प्रतिक्रिया केंद्र स्थापित किये हैं।
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डीजीसीए ने नकली नेविगेशनल सिग्नल्स के खिलाफ एयरलाइंस को चेताया
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने भारतीय एयरलाइंस को एक सलाह जारी की है जिसमें ईरानी हवाई क्षेत्र के पास की घटनाओं और अमेरिकी सलाह के बाद (नकली) नेविगेशनल सिग्नल्स की धोखाधड़ी की स्थिति में किये जाने वाले उपायों का विवरण दिया गया है।
- ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (जीपीएस) स्पूफिंग "एक वास्तविक उपग्रह सिग्नल का गोपनीय प्रतिस्थापन है जो जीपीएस रिसीवर को गलत स्थिति और समय आउटपुट प्रदान करने का कारण बन सकता है"।
- अपने परिपत्र में डीजीसीए ने व्यापक शमन उपाय प्रदान किये हैं जिनमें "उपकरण निर्माताओं के साथ समन्वय में आकस्मिक प्रक्रियाएँ विकसित करना और सुरक्षा जोखिम मूल्यांकन करके परिचालन जोखिम का आकलन करना" शामिल है।
- डीजीसीए ने जीएनएसएस हस्तक्षेप की रिपोर्टों के निवारक और प्रतिक्रियाशील "खतरे की निगरानी और विश्लेषण नेटवर्क" स्थापित करने के लिये हवाई नेविगेशन सेवा प्रदाताओं के लिये एक तंत्र भी प्रदान किया है।
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दलहन, तिलहन, फलों के उत्पादन और मांग में वर्ष 2030-31 तक कमी
नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) और इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (ICRIER) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले वर्ष में तिलहन, दालों एवं फलों जैसी वस्तुओं की आपूर्ति और मांग में अंतर आने की संभावना है।
- अतः तिलहन, दलहन और फलों के उत्पादन और उत्पादकता के स्तर को बढ़ाने की आवश्यकता है क्योंकि भविष्य में इनकी मांग में वृद्धि की प्रवृत्ति दिखाई दे रही है।
- जैसे-जैसे प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है, लोगों की उपभोग टोकरी चावल और अनाज जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों से दूर होकर फलों और सब्जियों तथा डेयरी उत्पादों सहित पौष्टिक एवं उच्च मूल्य वाली वस्तुओं की ओर बढ़ती है।
- वर्ष 2030-31 तक तिलहन उत्पादन लगभग 35 से 40 मिलियन टन (MT) तक बढ़ने की उम्मीद है, मांग और आपूर्ति के बीच अंतर वर्ष 2025-26 तक 3 मीट्रिक टन तक बढ़ने की संभावना है।
- रिपोर्ट में भारतीय उत्पादकों की सुरक्षा के लिये जब भी कच्चे पाम तेल का आयात मूल्य 800 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से नीचे आता है, तो आयात शुल्क बढ़ाने के लिये कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की वर्ष 2012 की रिपोर्ट की सिफारिश को दोहराया जाता है।
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