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पवित्र उपवनों की सुरक्षा

  • 20 Dec 2024
  • 6 min read

स्रोत: द हिंदू 

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को संपूर्ण देश में पवित्र उपवनों के संरक्षण के लिये एक व्यापक नीति बनाने का निर्देश दिया।

  • यह निर्णय राजस्थान के राजसमंद ज़िले के पिपलांत्री गाँव में बनाए गए पिपलांत्री मॉडल से प्रेरित था।

पवित्र उपवन क्या हैं?

  • पवित्र वन: पवित्र वन अक्षत वन भूमि है, जिसे स्थानीय निवासियों द्वारा कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया है तथा स्थानीय लोगों द्वारा उनकी संस्कृति और धार्मिक विश्वासों के कारण संरक्षित किया गया है।
    • पवित्र उपवन किसी समय की प्रमुख वनस्पतियों के अवशेष हैं।
  • भारत में पवित्र वन: संपूर्ण भारत में 10 लाख से अधिक पवित्र वन और 100,000 से 150,000 पवित्र वन मौज़ूद हैं।
    • यह महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और उत्तराखंड में प्रमुख है।
  • वैधानिक प्रावधान: वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 राज्य सरकारों को किसी भी निज़ी या सामुदायिक भूमि को सामुदायिक रिज़र्व घोषित करने का अधिकार देता है, जिसके तहत पवित्र उपवनों को सामुदायिक रिज़र्व घोषित किया जा सकता है।
    • गोदावर्मन मामला, 1996 द्वारा समर्थित राष्ट्रीय वन नीति, 1988 ने प्रथागत अधिकार वाले समुदायों को इन वन क्षेत्रों की रक्षा और सुधार करने के लिये प्रोत्साहित किया, जिन पर वे अपनी आवश्यकताओं के लिये निर्भर हैं। 
  • सांस्कृतिक महत्त्व: यह हिंदू मान्यताओं का अभिन्न अंग है, जो सह-अस्तित्व और प्रकृति के प्रति श्रद्धा को बढ़ावा देता है।
  • संरक्षण में भूमिका: वृक्ष पूजा और उन्मूलन तथा शिकार पर सख्त प्रतिबंध जैसी प्रथाएँ जैवविविधता सिद्धांतों के अनुरूप हैं।
  • विभिन्न नाम: 

क्षेत्र/राज्य

पवित्र उपवनों का नाम

हिमाचल प्रदेश

देववन

कर्नाटक

देवराकाडु

केरल

कावु

मध्यप्रदेश

सरना

राजस्थान

ओरान

महाराष्ट्र

देवराई

मणिपुर

उमंगलाई

मेघालय

लॉ क्यंतांग/लॉ लिंगदोह

उत्तराखंड

देवन/देवभूमि

पश्चिम बंगाल

ग्रामथान

आंध्रप्रदेश

पविथ्रावन

टिप्पणी: 

  • उच्चतम न्यायालय (SC) ने भगवद गीता के अध्याय 13 से श्लोक 20 का हवाला दिया: "प्रकृति सभी भौतिक चीजों का स्रोत है: निर्माता, निर्माण साधन और निर्मित चीजें। आत्मा सभी चेतना का स्रोत है जो खुशी और पीड़ा महसूस करती है।"
  • गोदावर्मन मामले 1996 में उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों पर विचार किया, जिसमें वन भूमि पर अतिक्रमण से लेकर वन्यजीव संरक्षण, वन क्षेत्रों के भीतर खनन गतिविधियों का विनियमन शामिल था।

पिपलांट्री मॉडल

  • इसने बताया कि किस प्रकार पर्यावरण संरक्षण, लैंगिक समानता और आर्थिक विकास मिलकर समुदायों में बदलाव ला सकते हैं।
  • पिपलांत्री गाँव के सरपंच ने प्रत्येक बालिका के जन्म पर 111 वृक्ष लगाने की पहल आरंभ की।
    • इसकी शुरुआत अत्यधिक संगमरमर खनन के कारण हुई पर्यावरणीय क्षति, जल की कमी, वनोन्मूलन और आर्थिक गिरावट के कारण उनकी बालिका की दुखद मृत्यु के बाद हुई।
  • पर्यावरण की दृष्टि से 40 लाख से अधिक वृक्ष लगाए गए हैं, जिससे जल स्तर 800-900 फीट ऊपर उठने में मदद मिली है तथा जलवायु को 3-4 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा करने में सहायता मिली है।
  • इससे कन्या भ्रूण हत्या में भारी कमी आई, स्थानीय आय में वृद्धि हुई, शिक्षा के अवसर बढ़े तथा महिला स्वयं सहायता समूह फलने-फूलने लगे।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रिलिम्स

प्रश्न.जैवविविधता के साथ-साथ मनुष्य के परंपरागत जीवन के संरक्षण के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण रणनीति निम्नलिखित में से किस एक की स्थापना करने में निहित है (2014)

(a) जीवमंडल निचय
(b) वानस्पतिक उद्यान
(c) राष्ट्रीय उपवन 
(d) वन्यजीव अभयारण्य

उत्तर: (a)

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