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प्रिलिम्स फैक्ट्स: 15 अक्तूबर, 2020

  • 15 Oct 2020
  • 12 min read

‘थैलेसीमिया बाल सेवा योजना’ का दूसरा चरण

Second Phase of ‘Thalassemia Bal Sewa Yojna’

15 अक्तूबर, 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने थैलेसीमिया (Thalassemia) बीमारी से ग्रस्त शोषित समाज के रोगियों के लिये ‘थैलेसीमिया बाल सेवा योजना’ (Thalassemia Bal Sewa Yojna) के दूसरे चरण का शुभारंभ किया।

Thalassemia- Bal-Sewa-Yojna

प्रमुख बिंदु:

  • थैलेसीमिया बाल सेवा योजना की शुरुआत वर्ष 2017 में की गई थी। 
  • यह कोल इंडिया का ‘कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी’ (Corporate Social Responsibility-CSR) के तहत वित्तपोषित ‘हेमाटोपोएटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन’ (Hematopoietic Stem Cell Transplantation- HSCT) कार्यक्रम है।

हेमाटोपोएटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन (HSCT):

  • HSCT ‘मल्टीपोटेंट हेमाटोपोएटिक स्टेम कोशिकाओं’ (Multipotent Hematopoietic Stem Cells) का प्रत्यारोपण है जो आमतौर पर अस्थि मज्जा, परिधीय रक्त (Peripheral Blood) या गर्भनाल रक्त (Umbilical Cord Blood) से प्राप्त होता है।
  • यह [ऑटोलॉगस (Autologous) अर्थात् रोगी की स्वयं की स्टेम कोशिकाओं का उपयोग किया जाता है], [एलोजेनिक (Allogeneic) अर्थात् स्टेम कोशिकाएँ एक दाता द्वारा प्रदान की जाती हैं], सिनजेनिक [(Syngeneic) अर्थात् स्टेम कोशिकाएँ एक समान जुड़वाँ दाता द्वारा प्रदान की जाती हैं] हो सकता है।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य थैलेसीमिया एवं सिकल सेल (Sickle Cell) जैसे हीमोग्लोबिनोपैथी (Haemoglobinopathies) रोग के इलाज से वंचित परिवारों को जीवन में एक बार इलाज कराने का अवसर प्रदान करना है।
  • इस पहल का लक्ष्य कुल 200 रोगियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना था जो प्रति HSCT 10 लाख रुपए से अधिक नहीं होगी। 
  • भारत में विभिन्न हीमोग्लोबिनोपैथी रोग के छुपे हुए वाहकों की व्यापकता पर मौजूद आँकड़े बताते हैं कि यह बीटा-थैलेसीमिया के लिये 2.9-4.6% है , जबकि जनजातीय आबादी के बीच सिकल सेल एनीमिया के लिये यह 40% तक हो सकता है।
  • वर्ष 2020 से अप्लास्टिक एनीमिया (Aplastic Anaemia) के कुल 200 रोगियों को शामिल करने के लिये इस योजना का विस्तार किया गया है।


एमएसीएस 6478  

MACS 6478

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत एक स्वायत्त संस्थान ‘आगरकर अनुसंधान संस्‍थान’ (Agharkar Research Institute- ARI) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एमएसीएस 6478 (MACS 6478) नामक गेहूँ की किस्‍म से महाराष्ट्र के किसानों की फसल पैदावार दोगुनी हो गई है।

MACS-6478

प्रमुख बिंदु:

  • महाराष्ट्र के सतारा ज़िले में कोरेगाँव तहसील के एक गाँव के किसानों को एमएसीएस 6478 के उपयोग से 45-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त हुई है, जबकि पहले लोक 1 (Lok 1), एचडी 2189 (HD 2189) एवं अन्य पुरानी किस्मों के कारण औसत उपज 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती थी।  

परिपक्वता अवधि:

  • नव विकसित गेहूँ की किस्म को उच्च उपज वाला एस्टिवम (High Yielding Aestivum) भी कहा जाता है। 
  • गेहूँ की यह किस्म 110 दिनों में परिपक्व हो जाती है।
  • गेहूँ की यह किस्म पत्ती एवं तने संबंधी अधिकांश रोगों के लिये प्रतिरोधी होती है।

विशेषताएँ: 

  • एम्बर (Amber) रंग के मध्यम आकार के गेहूँ की इस किस्म में 14% प्रोटीन, 44.1 पीपीएम (Parts Per Million) जस्ता और 42.8 पीपीएम आयरन होता है जो कि अन्य किस्मों से अधिक है।

शोध संबंधी प्रकाशन: 

  • गेहूँ की इस किस्म पर एक शोध पत्र ‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ करेंट माइक्रोबायोलॉजी एंड एप्लाइड साइंसेज़’ (International Journal of Current Microbiology and Applied Sciences) में प्रकाशित हुआ है।


बोम्मई गोलू की नवरात्रि परंपरा

Navratri Tradition of ‘Bommai Golu’

COVID-19 के कारण दक्षिण भारतीय परिवारों में ‘बोम्मई गोलू’ (Bommai Golu) की नवरात्रि परंपरा इस वर्ष ऑनलाइन मनाई जाएगी।

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प्रमुख बिंदु: 

  • भारत में नवरात्रि का त्योंहार विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। 
    • नवरात्रि के अवसर पर दिल्ली में ‘रामलीला’, पश्चिम बंगाल में ‘दुर्गा पूजा उत्सव’, गुजरात में ‘गरबा नृत्य’ का आयोजन किया जाता है। 
    • जबकि दक्षिण भारत में इस अवसर पर बोम्मई गोलू (Bommai Golu) या नवरात्रि गोलू (Navratri Golu) का आयोजन किया जाता है अर्थात् हस्तनिर्मित गुड़ियों का कलात्मक प्रदर्शन।
  • तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में मनाए जाने वाले इन त्योहारों में देवी-देवताओं, पुरुषों, जानवरों और बच्चों के रूप में निर्मित गुड़ियों का एक सेट शामिल किया जाता है। प्रत्येक सेट एक कहानी को प्रतिबिंबित करता है। 
    • तमिल भाषा में बोम्मई गोलू या कोलू (Kolu) का अर्थ है ‘दिव्य उपस्थिति’ (Divine Presence)। 
    • तेलुगु भाषा में बोम्माला कोलुवु (Bommala Koluvu) का अर्थ है ‘कोर्ट ऑफ टॉयज़’ (Court of Toys)। 
    • कन्नड़ भाषा में बॉम्बे हब्बा (Bombe Habba) का अर्थ ‘गुड़िया महोत्सव’ (Doll Festival) है।
  • नवरात्रि गोलू के माध्यम से प्राचीन काल की भारतीय कहानियों का प्रदर्शन किया जाता है जो रामायण, पुराणों और दशावतारम जैसे ग्रंथों से संबंधित होती हैं।

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  • दक्षिण भारतीय नवरात्रि परंपरा में गुड़िया (बोम्मई गोलू) को प्रदर्शित करने के लिये  इन्हें विषम संख्या में स्थापित किया जाता है तथा मेहमानों को एक साथ गाने के लिये आमंत्रित किया जाता है और वे इस अवसर पर आपस में पाइपिंग हॉट सुंडल (Piping Hot Sundal) के कटोरे को साझा करते हैं। 
    • प्रदर्शन के लिये उपलब्ध गुड़ियों की संख्या के आधार पर यह संख्या 1 से 11 तक भिन्न-भिन्न हो सकती है।
      • कई परिवार इसे नौ चरणों में रखते हैं प्रत्येक चरण नवरात्रि के नौ दिनों का प्रतिनिधित्त्व करता है।
      • कुछ तीन, पाँच या सात चरण में भी रखते हैं। ये चरण एक सजावटी कपड़े से ढके हुए होते हैं और उस पर  गुड़िया रखी जाती है।
  • पहले चरण को कलश से सजाया जाता है। पानी से भरे इस कलश को आम के पत्तों से सजाया जाता है और इसके ऊपर एक नारियल रखा जाता है। इसे देवी दुर्गा का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है।
  • बोम्मई गोलू को नवरात्रि के तीसरे और नौ दिनों के बीच स्थापित किया जाता है तथा दिन में दो बार ‘गुड़ियों के समूह’ की पूजा की जाती है।
  • प्रमुख हिंदू मंदिर जैसे- मीनाक्षी मंदिर (तमिलनाडु) प्रत्येक वर्ष नवरात्रि के अवसर पर बड़े पैमाने पर गोलू (गुड़िया) का प्रदर्शन करता है।

महत्त्व: 

  • कोलू (Kolu) या गोलू (Golu) का भारत में कृषि एवं हस्तशिल्प व्यवसायों के साथ एक महत्त्वपूर्ण संबंध है।
  • इस त्योहार के आर्थिक पहलू के अलावा यह सामाजिक रूप से भी एक महत्त्वपूर्ण त्योहार है। इस उत्सव के दौरान दक्षिण भारत में लोग एक-दूसरे से आपस में मिलते हैं।


कामधेनु दीपावली अभियान 

Kamdhenu Deepawali Abhiyan

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (Rashtriya Kamdhenu Aayog- RKA) ने इस वर्ष दीपावली त्योहार के अवसर पर ‘कामधेनु दीपावली अभियान’ (Kamdhenu Deepawali Abhiyan) मनाने के लिये एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है।

Kamdhenu-Deepawali-Abhiyan

प्रमुख बिंदु: 

  • ‘कामधेनु दीपावली अभियान’ का उद्देश्य गाय के गोबर से निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देना है।
    • गाय के गोबर से बने उत्पादों में दीपक, मोमबत्तियाँ, अगरबत्ती, पेपरवेट, देवी-देवताओं की मूर्तियाँ आदि शामिल हैं।
  • RKA का उद्देश्य इस बार दीवाली पर गोबर से निर्मित 33 करोड़ दीपक जलाने के लिये 11 करोड़ परिवारों तक पहुँचना है।

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग

(Rashtriya Kamdhenu Aayog- RKA):

  • RKA की घोषणा केंद्रीय बजट 2019-20 में की गई थी।
  • RKA की स्थापना केंद्र सरकार द्वारा 6 फरवरी, 2019 को की गई थी। 
  • RKA भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (Ministry of Fisheries, Animal Husbandry & Dairying) के अंतर्गत आता है। 
  • इसका उद्देश्य देश में गोवंश के संरक्षण, सुरक्षा और संवर्द्धन के साथ उनकी संख्या बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना है।
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