प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट्स: 19 अगस्त, 2020
- 19 Aug 2020
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स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर चैलेंज
Swadeshi Microprocessor Challenge
18 अगस्त, 2020 को केंद्रीय इलेक्ट्रानिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर चैलेंज (Swadeshi Microprocessor Challenge) की शुरुआत की। यह आत्मनिर्भर भारत के लिये एक नवाचार समाधान है।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य देश में स्टार्ट-अप, नवाचार एवं अनुसंधान के मज़बूत पारिस्थितिकी तंत्र को गति प्रदान करना है।
माइक्रोप्रोसेसर विकास कार्यक्रम (Microprocessor Development Programme):
- केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय के माइक्रोप्रोसेसर विकास कार्यक्रम (Microprocessor Development Programme) के तत्त्वावधान में IIT मद्रास और ‘सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग’ (Center for Development of Advance Computing: C-DAC) ने ‘ओपन सोर्स आर्किटेक्चर’ (Open Source Architecture) का उपयोग करते हुए शक्ति (SHAKTI- 32 बिट) और वेगा (VEGA- 64 बिट) नामक दो माइक्रोप्रोसेसर विकसित किये हैं।
- ‘स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर चैलेंज’ के तहत नवोन्मेषी, स्टार्टअप एवं छात्रों को आमंत्रित किया गया है ताकि वे इन माइक्रोप्रोसेसरों (शक्ति एवं वेगा) का उपयोग करते हुए विभिन्न टेक्नोलॉजी उत्पादों को विकसित करें।
- ‘स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर चैलेंज’ केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय द्वारा देश में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने और डिजिटल प्रौद्योगिकी अपनाने के संदर्भ में सबसे आगे रहने के लिये सक्रिय, पूर्व-निर्धारित एवं श्रेणीबद्ध उपायों की श्रृंखला का हिस्सा है।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय की अन्य पहल:
- केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय प्रतियोगियों और प्रौद्योगिकी संसाधनों को विभिन्न प्रकार के लाभों की पेशकश करता है।
- इसमें न केवल देश के सबसे अच्छे ‘वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन’ (Very Large Scale Integration- VLSI) और इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन विशेषज्ञों से इंटर्नशिप का अवसर एवं नियमित तकनीकी मार्गदर्शन शामिल है बल्कि इनक्यूबेशन केंद्रों द्वारा व्यवसाय एवं फंडिंग समर्थन भी शामिल हैं।
- हार्डवेयर प्रोटोटाइप को विकसित करने और स्टार्ट-अप इनक्यूबेशन के लिये चैलेंज के विभिन्न चरणों में 4.30 करोड़ के वित्तीय समर्थन की पेशकश की जा रही है।
‘वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन’ (Very Large Scale Integration- VLSI):
- VLSI एक सिंगल चिप में हज़ारों ट्रांज़िस्टर मिलाकर एक एकीकृत सर्किट (Integrated Circuit- IC) बनाने की प्रक्रिया है।
- VLSI का निर्माण 1970 के दशक में शुरू हुआ जब जटिल अर्द्धचालक एवं संचार प्रौद्योगिकी विकसित की जा रही थी।
- माइक्रोप्रोसेसर एक VLSI डिवाइस है।
प्रतियोगिता से संबंधित अन्य तथ्य:
- इस चैलेंज की अवधि 10 महीने की है जो 18 अगस्त, 2020 को https://innovate.mygov.in पर पंजीकरण प्रक्रिया के साथ शुरू होकर जून, 2021 में समाप्त होगी।
- प्रतिस्पर्द्धा के अंतर्गत सेमी-फाइनल में पहुँचने वाली 100 टीमों को पुरस्कार के रूप में कुल 1.00 करोड़ रुपए प्रदान किये जाएंगे, जबकि फाइनल में पहुँचने वाली 25 टीमों को पुरस्कार के रूप में कुल 1 करोड़ रुपए प्रदान किये जाएंगे।
- फाइनल में प्रवेश करने वाली शीर्ष 10 टीमों को कुल 2.30 करोड़ रुपए का सीड-फंड (Seed Fund) प्राप्त होगा और 12 महीने तक इन्क्यूबेशन समर्थन दिया जाएगा।
थैलीसीमिया स्क्रीनिंग एवं परामर्श केंद्र
Thalassemia Screening and Counselling Centre
18 अगस्त, 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी के राष्ट्रीय मुख्यालय के ब्लड बैंक में थैलीसीमिया स्क्रीनिंग एवं परामर्श केंद्र (Thalassemia Screening and Counselling Centre) का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु:
- केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने बताया कि विश्व के लगभग 270 मिलियन लोग थैलीसीमिया (Thalassemia) से पीड़ित हैं।
- विश्व में थैलीसीमिया मेजर (Thalassemia Major) बच्चों की सबसे बड़ी संख्या (लगभग 1 से 1.5 लाख) भारत में है और प्रत्येक वर्ष भारत में थैलीसीमिया मेजर से ग्रसित लगभग 10,000-15,000 बच्चों का जन्म होता है।
थैलीसीमिया मेजर (Thalassemia Major):
- थैलेसीमिया मेजर बीटा थैलेसीमिया का सबसे गंभीर रूप है। यह तब विकसित होता है जब बीटा ग्लोबिन जीन (Beta Globin Genes) विलुप्त होते हैं।
- थैलेसीमिया मेजर के लक्षण आमतौर पर बच्चे के दूसरे जन्मदिन से पहले दिखाई देते हैं।
- इस स्थिति से संबंधित गंभीर एनीमिया जानलेवा साबित हो सकता है।
थैलेसीमिया इंटरमीडिया (Thalassemia Intermedia):
- बीटा-थैलेसीमिया इंटरमीडिया एक आनुवांशिक (या विरासत में मिली) रक्त विकार है जिसे कभी-कभी कूलेयस (Cooley's) या मेडिटेरेनियन एनीमिया (Mediterranean Anemia) या कभी-कभी थैलेसीमिया (Thalassemia) कहा जाता है।
- बीटा- थैलेसीमिया इंटरमीडिया, विकार का मिडिल फॉर्म है। यह शरीर की ‘एडल्ट’ हीमोग्लोबिन के उत्पादन करने की क्षमता को कम कर देता है और एनीमिया का कारण बनता है।
- थैलीसीमिया मेजर से ग्रसित बच्चों का इलाज केवल ‘बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन’ (Bone Marrow Transplantation) के द्वारा ही संभव है किंतु यह अत्यंत कठिन एवं महंगा पड़ता है। इसलिये उपचार का मुख्य स्वरूप बार-बार रक्ताधान (Blood Transfusions) कराना है, इसके बाद शरीर में आयरन की अधिकता को कम करने के लिये नियमित रूप से आयरन किलेशन थैरेपी (Iron Chelation Therapy) की जाती है जिसके कारण कई बार रक्ताधान (ब्लड ट्रांसफ्यूज़न) की प्रक्रिया को अपनाया जाता है।
- इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी की इस नई पहल के द्वारा इस रोग से प्रभावित लोगों को पर्याप्त चिकित्सा प्रदान की जाएगी जिससे वे बेहतर जीवन व्यतीत कर सकें और वाहक स्क्रीनिंग (Carrier Screening), आनुवंशिक परामर्श और प्रसव पूर्व निदान के माध्यम से हीमोग्लोबिनोपैथी (Hemoglobinopathies) से प्रभावित बच्चों के जन्म को रोका जा सकेगा।
हीमोग्लोबिनोपैथी (Hemoglobinopathies):
- हीमोग्लोबिनोपैथी के अंतर्गत थैलेसीमिया एवं सिकल सेल (Sickle Cell) जैसे रोग आते हैं। ये हीमोग्लोबिन अणु की संरचना या उत्पादन को प्रभावित करने वाले आनुवंशिक विकार हैं।
- ये बीमारियाँ दीर्घकालिक हैं जो जीवन प्रक्रिया को बाधित करती हैं और कुछ मामलों में यह जीवन के लिये खतरा बन जाती हैं और परिवार पर भावनात्मक एवं आर्थिक बोझ डालती हैं।
- भारत में थैलेसीमिया मेजर और थैलेसीमिया इंटरमीडिया (Thalassemia Intermedia) का गंभीर रूप परिवारों को अत्यधिक प्रभावित करता है।
- दोनों का प्रबंधन पूरे जीवन काल के दौरान नियमित रूप से रक्ताधान (ब्लड ट्रांसफ्यूज़न) और आयरन किलेशन थैरेपी द्वारा किया जाता है।
- ये थैलेसीमिया सिंड्रोम माता-पिता से असामान्य (बीटा) थैलेसीमिया जीन के वंशानुक्रम के कारण उत्पन्न होता है या माता-पिता में एक से असामान्य बीटा-थैलेसीमिया जीन और दूसरे से असामान्य रूप से हीमोग्लोबिन जीन (HbE, HbD) के कारण उत्पन्न होता है।
एआरआईआईए-2020
ARIIA-2020
हाल ही में COVID-19 के मद्देनज़र भारत के उपराष्ट्रपति ने वर्चुअल तरीके से ‘नवोन्मेष उपलब्धियों पर संस्थानों की अटल रैंकिंग’ (Atal Rankings of Institutions on Innovation Achievements: ARIIA-2020) की घोषणा की।
प्रमुख बिंदु:
- एआरआईआईए-2020 की रैंकिंग के परिणामों का मूल्यांकन 7 मापदंडों के आधार पर किया गया। जिनमें बजट एवं फंडिंग सपोर्ट, अवसंरचना एवं सुविधाएँ, जागरूकता, प्रमोशन तथा विचार सृजन एवं इनोवेशन के लिये सपोर्ट शामिल हैं।
- पहली बार ARIIA-2020 में उच्च शिक्षण संस्थानों में केवल महिलाओं के लिये एक विशेष पुरस्कार श्रेणी को शामिल किया गया है। ‘अविनाशीलिंगम इंस्टीट्यूट फॉर होम साइंस एंड हायर एजुकेशन फॉर वूमेन’ (Avinashilingam Institute for Home Science and Higher Education for Women) ने इस श्रेणी के तहत शीर्ष स्थान हासिल किया है।
- अन्य पाँच श्रेणियों में केंद्रीय वित्त पोषित संस्थान, राज्य पोषित विश्वविद्यालय, राज्य वित्त पोषित स्वायत्त संस्थान, निजी/डीम्ड विश्वविद्यालय, निजी संस्थानों को शामिल किया गया है।
- IIT मद्रास ने राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थानों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और केंद्र द्वारा वित्तपोषित तकनीकी संस्थानों की श्रेणी में शीर्ष स्थान हासिल किया है। जबकि दूसरे एवं तीसरे स्थान पर क्रमशः IIT बॉम्बे और IIT दिल्ली हैं।
- इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, मुंबई (Institute of Chemical Technology, Mumbai) को सरकार एवं सरकारी सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों के तहत शीर्ष स्थान मिला है।
- कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे (College of Engineering, Pune) को सरकार एवं सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों के तहत शीर्ष स्थान मिला है।
- निजी या स्व-वित्तपोषित विश्वविद्यालय श्रेणी में कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी, ओडिशा (Kalinga Institute of Industrial Technology, Odisha) विजेता के रूप में उभरा है। इसके बाद SRM इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (SRM Institute of Science and Technology) और वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Vellore Institute of Technology) हैं।
- एस आर इंजीनियरिंग कॉलेज, वारंगल (S R Engineering College, Warangal) को निजी या स्व-वित्तपोषित कॉलेजों के तहत शीर्ष स्थान मिला है।
नवोन्मेष उपलब्धियों पर संस्थानों का अटल रैंकिंग’ (Atal Rankings of Institutions on Innovation Achievements- ARIIA):
- ARIIA भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय (पहले मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय) की एक पहल है जिसे AICTE द्वारा लागू किया गया है।
- यह छात्रों एवं संकायों के बीच नवाचार, स्टार्टअप एवं उद्यमिता विकास से संबंधित संकेतकों के आधार पर भारत में उच्च शिक्षण संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों की रैंकिंग करता है।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2020
Swachh Survekshan 2020
20 अगस्त, 2020 को भारतीय प्रधानमंत्री स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 (Swachh Survekshan 2020) के परिणामों की घोषणा करेंगे। यह देश के वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण का पांचवाँ संस्करण है।
प्रमुख बिंदु:
- ‘स्वच्छ महोत्सव’ के नाम से आयोजित कार्यक्रम में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले शहरों एवं राज्यों को कुल 129 पुरस्कार प्रदान किये जाएंगे।
- स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 विश्व का सबसे बड़ा स्वच्छता सर्वेक्षण है जिसमें कुल 4242 शहरों, 62 छावनी बोर्डों और 92 गंगा तटीय शहरों की रैंकिंग की गई है। इस सर्वेक्षण में 1.87 करोड़ नागरिकों की अभूतपूर्व भागीदारी दर्ज की गई है।
- इस कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार के आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs) द्वारा किया जा रहा है।
स्वच्छ सर्वेक्षण:
- भारत सरकार द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण की शुरूआत स्वच्छता मिशन में बड़ी संख्या में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई थी।
- इसके साथ ही इसका उद्देश्य भारत के सबसे स्वच्छ शहर बनने की दिशा में शहरों के बीच एक स्वस्थ्य प्रतिस्पर्द्धा की भावना पैदा करना भी है।
पूर्व में संपन्न कराए गए स्वच्छ सर्वेक्षणों पर एक नज़र:
- भारत सरकार के आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने जनवरी 2016 में 73 बड़े शहरों की रेटिंग के लिये स्वच्छ सर्वेक्षण 2016 संपन्न कराया था।
- इसके बाद 434 शहरों की रैंकिंग के लिये जनवरी-फरवरी 2017 में स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 कराया गया था।
- स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 में 4203 शहरों की रैंकिंग की गई थी।
- स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 में न केवल 4237 शहरों को शामिल किया गया बल्कि 28 दिनों के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया यह पहला डिजिटल सर्वेक्षण भी था।
स्वच्छ सर्वेक्षण लीग:
- भारत सरकार ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में शहरों के ज़मीनी प्रदर्शन के निरंतर मूल्यांकन एवं स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिये स्वच्छ सर्वेक्षण लीग की शुरूआत की थी।
- इसमें तीन तिमाहियों में शहरों एवं कस्बों का एक त्रैमासिक स्वच्छता मूल्यांकन किया गया। जिसके 25% आँकड़े इस वर्ष के अंतिम स्वच्छ सर्वेक्षण परिणाम में शामिल किये गए।
स्वच्छ सर्वेक्षण के तहत अब तक प्रदान किये गए पुरस्कार:
- स्वच्छ सर्वेक्षण के पहले संस्करण में मैसूर शहर (कर्नाटक) ने भारत के सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार जीता था जबकि इंदौर लगातार तीन वर्षों (2017, 2018, 2019) से शीर्ष स्थान पर है।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 की विशेषताएँ:
- मात्र 28 दिनों में संपन्न होने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:
- 1.7 करोड़ नागरिकों ने स्वच्छता एप पर पंजीकरण किया।
- सोशल मीडिया पर 11 करोड़ से ज्यादा लोगों ने देखा।
- समाज कल्याण योजनाओं से 5.5 लाख से अधिक स्वच्छता कार्यकर्त्ता जुड़े और कचरा बीनने वाले 84,000 से अधिक अनौपचारिक लोगों को मुख्यधारा में शामिल किया गया।
- कचरे का प्रमुख केंद्र बन चुकी 21,000 से अधिक जगहों की पहचान की गई और उनका कायापलट किया गया।
- स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के लिये भारत सरकार के आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सहयोगी संगठनों का एक साथ आना। जिसमें यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID), बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (BMGF), गूगल आदि शामिल हैं।