प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट्स: 14 अगस्त, 2021
- 14 Aug 2021
- 7 min read
बैलिस्टिक मिसाइल 'गज़नवी': पाकिस्तान
(Ballistic Missile Ghaznavi: Pakistan)
हाल ही में पाकिस्तान ने परमाणु सक्षम सतह-से-सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल 'गज़नवी' का सफल परीक्षण किया है।
- यह 290 किलोमीटर की रेंज तक कई तरह के हथियार पहुँचाने में सक्षम है।
- इससे पूर्व पाकिस्तान ने शाहीन-3, बाबर क्रूज़ मिसाइल और फतह-1 को लॉन्च किया था।
प्रमुख बिंदु
बैलिस्टिक मिसाइल
- यह एक रॉकेट-चालित स्व-निर्देशित रणनीतिक-हथियार प्रणाली है, जो अपने प्रक्षेपण स्थल से एक पूर्व निर्धारित लक्ष्य तक पेलोड पहुँचाने के लिये बैलिस्टिक ट्रेजेक्टरी का अनुसरण करती है।
- यह पारंपरिक उच्च विस्फोटकों के साथ-साथ रासायनिक, जैविक या परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है।
- ‘बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय आचार संहिता’ (ICOC) जिसे अब ‘बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार के खिलाफ हेग आचार संहिता’ के रूप में जाना जाता है, एक राजनीतिक पहल है जिसका उद्देश्य विश्व स्तर पर बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार को रोकना है।
- भारत इस कन्वेंशन का हस्ताक्षरकर्त्ता है।
- अप्रैल 1987 में स्थापित ‘स्वैच्छिक मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था’ (MTCR) का उद्देश्य बैलिस्टिक मिसाइलों और अन्य मानव रहित वितरण प्रणालियों के प्रसार को सीमित करना है जिनका उपयोग रासायनिक, जैविक तथा परमाणु हमलों के लिये किया जा सकता है।
- भारत भी MTCR का हिस्सा है।
भारत की कुछ बैलिस्टिक मिसाइलें हैं:
ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क (गरुड़)
Greater Adjutant Storks (Garuda)
हाल ही में बिहार ने स्थानीय तौर पर 'गरुड़' के रूप में जाना जाने वाले ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क (Greater Adjutant Storks) को जीपीएस ट्रैकर्स के साथ टैग करने का निर्णय लिया है ताकि उनके संरक्षण के प्रयासों के तहत उनकी निगरानी की जा सके।
प्रमुख बिंदु:
- वैज्ञानिक नाम: लेप्टोपिलोस डबियस (Leptoptilos dubius).
गण:
- ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क, सिकोनिडे परिवार का सदस्य है।
- परिवार में लगभग 20 प्रजातियाँ हैं।
- ये लंबी गर्दन वाले बड़े पक्षी हैं।
आवास:
- दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाने वाला, ग्रेटर एडजुटेंट विश्व में सारस की सर्वाधिक संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल है।
- इसके केवल तीन ज्ञात प्रजनन स्थल हैं - एक कंबोडिया में और दो भारत (असम और बिहार) में।
खतरा:
- आर्द्रभूमियों के व्यापक विनाश और क्षति ने इस अपमार्जक पक्षी के भोजन को व्यापक रूप से प्रभावित किया है और वृक्षों के कटाव के कारण इनके घोंसलों को भी नुकसान पहुँचा है।
संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट : संकटग्रस्त (Endangered)
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम,1972: अनुसूची IV
महत्त्व:
- धार्मिक प्रतीक:
- इन्हें हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक विष्णु का वाहन माना जाता है।
- कुछ लोग इस पक्षी की पूजा करते हैं और इसे "गरुड़ महाराज" या "गुरु गरुड़" जैसे नामों से संबंधित करते हैं।
- किसानों के लिये सहायक:
- ये चूहों और अन्य कृषि कीटों को मारकर किसानों की मदद करते हैं।
इंडिगऊ
IndiGau
हाल ही में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बायोटेक्नोलॉजी (National Institute of Animal Biotechnology- NIAB), हैदराबाद ने इंडिगऊ (IndiGau) नामक एक चिप लॉन्च की है।
- यह गिर, कांकरेज, साहीवाल, ओंगोल आदि देशी मवेशियों की नस्लों की शुद्ध किस्मों के संरक्षण के लिये भारत की पहली कैटल जीनोमिक चिप है।
- NIAB, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग का एक भारतीय स्वायत्त अनुसंधान प्रतिष्ठान है।
प्रमुख बिंदु
इंडिगऊ के संदर्भ में:
- इंडिगऊ पूरी तरह से स्वदेशी है और विश्व की सबसे बड़ी मवेशी चिप है।
- यह चिप बेहतर चरित्रों के साथ हमारी अपनी नस्लों के संरक्षण के लक्ष्य को प्राप्त करने और वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में मदद करेगी।
- इस चिप का निर्माण राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अनुरूप है और आत्मनिर्भर भारत का एक बेहतरीन उदाहरण है।
- इसके अलावा चिप समाज के सभी वर्गों के "ईज़ ऑफ लिविंग" के लिये वैज्ञानिक ज्ञान और नवाचारों के अनुप्रयोग का उदाहरण है।
देशी नस्लों का महत्त्व:
- देशी गायें मज़बूत और लचीली होती हैं और विशेष रूप से अपने संबंधित प्रजनन पथ की जलवायु और पर्यावरण के अनुकूल होती हैं तथा स्वदेशी नस्लों की उत्पादकता, जलवायु परिवर्तन की प्रतिकूलताओं से प्रभावित होने की संभावना कम होती है।
- देशी नस्लों के दूध में वसा और SNF की मात्रा अधिक होती है।
- SNF सामग्री दूध में कैसिइन, लैक्टोज, विटामिन और खनिजों के रूप में मक्खन तथा पानी के अलावा पाए जाने वाले अन्य पदार्थ हैं जो दूध के पोषक गुणवत्ता में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।