प्रिलिम्स फैक्ट्स : 09 मार्च, 2021 | 09 Mar 2021
व्हेल शार्क
(Whale Shark)
हाल ही में ओडिशा में मछुआरों ने एक व्हेल शार्क (Whale Shark) को बचाया (रेस्क्यू किया) है।
प्रमुख बिंदु:
व्हेल शार्क:
- व्हेल शार्क सबसे बड़ी शार्क होती है और वर्तमान में जीवित सभी मछलियों में सबसे बड़ी है। यह अपने विशाल आकार को बनाए रखने तथा प्रजनन के लिये पर्याप्त भोजन खोजने हेतु लंबी दूरी की यात्रा तय करती है।
- व्हेल शार्क एक 'फिल्टर फीडर शार्क' है, इसका अर्थ है कि यह अन्य शार्क की तरह मांस नहीं खाती है। व्हेल शार्क समुद्र के पानी को फिल्टर करती है और छोटे प्लवक को खाती है।
- व्हेल शार्क का अधिकतम आकार ज्ञात नहीं है, परंतु इसकी लंबाई 20 मीटर तक हो सकती है।
वैज्ञानिक नाम:
- राइनकोडोन टाइपस (Rhincodon Typus)
आवास:
- व्हेल शार्क विश्व के सभी उष्णकटिबंधीय महासागरों में पाई जाती है।
खतरे:
- तेल और गैस ड्रिलिंग, शिपिंग लेन आदि।
संरक्षण की स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: लुप्तप्राय
- CITES: परिशिष्ट II
- भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची-I
इक्विन हर्पीस वायरस
(Equine Herpes Virus)
हाल ही में यूरोप में घोड़ों में इक्विन हर्पीस वायरस (EHV-1) का प्रकोप पाया गया है।
- अब तक सात देशों में EHV-1 मामलों की पुष्टि हुई है: स्पेन, बेल्जियम, फ्राँस, जर्मनी, इटली, स्वीडन और कतर।
प्रमुख बिंदु:
इक्विन हर्पीस वायरस (EHV-1):
- इक्विन हर्पीस वायरस एक सामान्य DNA वायरस है जो दुनिया भर में घोड़ों की आबादी के बीच उत्पन्न होता है।
- EHV वायरस का एक परिवार है जिसे EHV- 1, 2, 3, 4 और 5 जैसी संख्याओं से संदर्भित किया जाता है।
- इस वायरस परिवार में और भी वायरस हैं, परंतु EHV-1, 3 और 4 घरेलू घोड़ों के लिये सबसे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम के रूप में सामने आते हैं।
स्वास्थ्य संबंधी जोखिम:
- EHV-1 साँस की बीमारी, गर्भपात और नवजात मृत्यु सहित घोड़ों में विभिन्न रोगों की उत्पत्ति का कारण बन सकता है।
- यह तनाव, न्यूरोलॉजिकल समस्याएँ भी पैदा कर सकता है, जिससे लकवा और कुछ मामलों में मौत हो सकती है। घोड़े जो इस वायरस से संक्रमित होते हैं, उनमें संतुलन की कमी, कमज़ोरी, भूख की कमी और खड़े होने में असमर्थता जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं।
EHV-1 वायरस का प्रसार:
- यह संक्रामक है और श्वसन पथ द्वारा नाक से स्राव के माध्यम से घोड़ों में आपसी संपर्क से फैलता है।
- यह वायरस अप्रत्यक्ष रूप से उन भौतिक वस्तुओं के संपर्क में आने से भी फैल सकता है जो वायरस के कारण प्रदूषित होती हैं।
इक्विन हर्पीस वायरस मायलोएन्सेफैलोपैथी (EHM) इक्विन हर्पीस वायरस (EHV) संक्रमण से जुड़े न्यूरोलॉजिक रोग का दूसरा नाम है।
सावधानियाँ और उपचार:
- चूँकि संक्रमण की उच्च संचरण दर होती है, इसलिये रोगग्रस्त घोड़े को अलग-थलग रखना आवश्यक है।
- इसके उपचार के लिये एंटी-इनफ्लेमेटरी दवाओं का प्रयोग किया जाता है।
सेरावीक वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण नेतृत्व पुरस्कार
(CERAWeek Global Energy and Environment Leadership Award)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री को कैम्ब्रिज एनर्जी रिसर्च एसोसिएट (Cambridge Energy Research Associate- CERA) द्वारा वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण नेतृत्व पुरस्कार (Global Energy and Environment Leadership Award) से सम्मानित किया गया है।
- भारत के प्रधानमंत्री को यह पुरस्कार देश और दुनिया की भावी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने हेतु सतत् विकास के विस्तार की उनकी प्रतिबद्धता के लिये दिया गया।
- उन्होंने सेरावीक (CERAWeek) सम्मेलन को संबोधित किया और इस दौरान भारत द्वारा जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को हल करने तथा स्वच्छ ईंधन की प्राप्ति हेतु उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला।
प्रमुख बिंदु
सेरावीक वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण नेतृत्व पुरस्कार के विषय में:
- इस पुरस्कार को दिये जाने की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी।
- यह पुरस्कार वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण के भविष्य के प्रति समर्पित नेतृत्व का सम्मान करने के लिये दिया जाता है।
कैम्ब्रिज एनर्जी रिसर्च एसोसिएट:
- यह संयुक्त राज्य की ऊर्जा बाज़ारों, भू-राजनीति, उद्योग के रुझान, निजी कंपनियों आदि को सलाह देने ले लिये एक परामर्श कंपनी है।
सेरावीक:
- सेरावीक की स्थापना वर्ष 1983 में डॉ. डेनियल येरगिन (Dr. Daniel Yergin) ने की थी।
- यह एक वार्षिक ऊर्जा सम्मेलन है, जिसका आयोजन वर्ष 1983 से ह्यूस्टन (Houston- USA) में किया जा रहा है।
- IHS मार्किट (लंदन स्थित वैश्विक सूचना प्रदाता) का सेरावीक दुनिया का प्रमुख ऊर्जा कार्यक्रम बन गया है, जिसमें भाग लेने के लिये ऊर्जा उद्योग के प्रमुख, विशेषज्ञ, सरकारी अधिकारी, नीति निर्माता आदि आते हैं।
- सेरावीक- 2021 का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंस द्वारा 1-5 मार्च, 2021 तक किया गया था।
- थीम: इस वर्ष सेरावीक की थीम द न्यू मैप: एनर्जी, क्लाइमेट, एंड द चार्टिंग द फ्यूचर (The New Map: Energy, Climate, and Charting the Future) थी।
प्रधानमंत्री के संबोधन के प्रमुख बिंदु:
- प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में जलवायु न्याय प्राप्त करने के लिये भारत द्वारा की गई प्रमुख पहलों पर चर्चा की:
- सब्सिडी छोड़ो अभियान,
- राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन,
- पीएम कुसुम,
- BS 6 उत्सर्जन मानदंड,
- सतत् पहल,
- इथेनॉल का सम्मिश्रण,
- सिंचाई की आधुनिक तकनीकें,
- जैविक खेती,
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन,
- पेरिस जलवायु समझौते (Paris Climate Accord) के प्रति भारत की प्रतिबद्धता, और
- महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप के सिद्धांत की बात की।
- ट्रस्टीशिप के मूल में सामूहिकता, करुणा और ज़िम्मेदारी आदि गुण होते हैं।