NCD की रोकथाम और नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम | 23 Dec 2024
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने संपूर्ण भारत में गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम (NP-NCD) की प्रगति पर प्रकाश डाला।
NP-NCD क्या है?
- परिचय: NP-NCD उद्देश्य हृदय संबंधी रोग (CVD), कैंसर और मधुमेह जैसे गैर-संचारी रोगों (NCD) के बढ़ते बोझ से निपटना है।
- ये रोग प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभरे हैं, जो भारत में होने वाली कुल मौतों में लगभग 63% का कारण बनते हैं।
- उद्देश्य: NP-NCD का प्राथमिक लक्ष्य बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य संवर्द्धन और रोगों के शीघ्र निदान तथा प्रबंधन के माध्यम से प्रमुख NCD को रोकना एवं नियंत्रित करना है।
- कार्यान्वयन: यह कार्यक्रम राष्ट्रीय, राज्य और ज़िला स्तर पर कार्यान्वित किया जाता है, जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के माध्यम से NCD फ्लेक्सी-पूल के तहत वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- राज्यों को ज़िला स्तर और उससे नीचे NCD से संबंधित गतिविधियों को लागू करने के लिये वित्तीय सहायता मिलती है, जिसमें केंद्र-राज्य का हिस्सा 60:40 (पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों के लिये 90:10) होता है।
- NP-NCD के प्रमुख घटक:
- NCD स्क्रीनिंग: मधुमेह, उच्च रक्तचाप और सामान्य कैंसर जैसे- मौखिक, स्तन तथा गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जाँच के लिये 30 वर्ष एवं उससे अधिक आयु के व्यक्तियों को लक्षित करना।
- NCD क्लीनिक: शीघ्र निदान, उपचार और आपातकालीन देखभाल के लिये ज़िला NCD क्लीनिक तथा कार्डियक केयर यूनिट (CCU) एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) NCD क्लीनिक की स्थापना।
- कैंसर देखभाल: कैंसर रोगियों के लिये डे केयर सेंटर स्थापित करना और तृतीयक कैंसर देखभाल बुनियादी ढाँचे को समर्थन देना।
- प्रशिक्षण: मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता (आशा), सहायक नर्स दाइयों (ANM) और चिकित्सा अधिकारियों जैसे स्वास्थ्य कार्यककर्त्ताओं को NCD का शीघ्र पता लगाने, प्रबंधन तथा रोकथाम में प्रशिक्षित किया जाता है।
- डिजिटल एकीकरण: NCD डेटा और स्क्रीनिंग को ट्रैक तथा प्रबंधित करने के लिये राष्ट्रीय NCD पोर्टल एवं मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग किया जाता है।
- प्रभाव: सुलभ NCD निदान और प्रबंधन के लिये 770 ज़िला NCD क्लीनिक, 372 डे केयर सेंटर, 233 CCU तथा लगभग 6,410 CHC NCD क्लीनिक स्थापित किये गए।
- NHM के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के भाग के रूप में सामान्य NCD के लिये जनसंख्या-आधारित जाँच लागू की गई।
- आशा कार्यकर्त्ता समुदायों को NCD की रोकथाम के बारे में शिक्षित करती हैं, स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देती हैं तथा जाँच और परीक्षण के माध्यम से शीघ्र पहचान करने का कार्य करती हैं।
गैर-संचारी रोग
- NCD: इसे क्रोनिक रोग भी कहा जाता है, ये दीर्घकालिक रोग हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलते हैं।
- ये रोग दीर्घकालीन अवस्था में विकसित होते हैं और आनुवंशिक, पर्यावरणीय तथा व्यवहारगत कारकों से प्रभावित होते हैं।
- NCD के लिये जोखिम कारक: तंबाकू का उपयोग अधिक नमक, शराब का दुरुपयोग, निष्क्रियता, उच्च रक्तचाप, मोटापा, उच्च रक्त लिपिड और वायु प्रदूषण।
- प्रभाव: NCD के कारण वैश्विक स्तर पर 74% मौतें होती हैं, प्रतिवर्ष 15 मिलियन से अधिक असामयिक मौतें होती हैं (30-69 वर्ष की आयु में), जिनमें से 85% निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में होती हैं।
- रोकथाम और नियंत्रण रणनीतियाँ: तंबाकू, शराब का सेवन कम करना, व्यायाम, स्वस्थ आहार और बेहतर वायु गुणवत्ता को बढ़ावा देना। प्रारंभिक जाँच, प्राथमिक देखभाल और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज़ से परिणाम बेहतर होने की संभावना होती है साथ ही लागत भी कम हो सकती है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वर्ष 2030 तक गैर- संचारी रोगों के लिये वैश्विक कार्य योजना में सतत् विकास लक्ष्य (SDG) लक्ष्य 3.4 की दिशा में प्रगति में तेज़ी लाने के लिये एक कार्यान्वयन रोडमैप शामिल है, जिसका लक्ष्य गैर-संचारी रोगों से होने वाली असामयिक मौतों को एक तिहाई तक कम करना है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. कई घरेलू उत्पादों जैसे गद्दों और फर्नीचर की गद्दियों (अपहोल्स्टरी) में ब्रोमीनयुक्त ज्वाला मंदकों का उपयोग किया जाता है। उनका उपयोग क्यों कुछ चिंता का विषय है? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) व्याख्या:
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