लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

प्रारंभिक परीक्षा

मनी स्पाइडर, एंट-मिमिकिंग स्पाइडर की खोज

  • 27 May 2022
  • 5 min read

आमतौर पर यूरोपीय घास के मैदानों में पाए जाने वाले मनी स्पाइडर को देश में पहली बार वायनाड वन्यजीव अभयारण्य के मुथंगा रेंज देखा गया है। 

  • क्राइस्ट कॉलेज (केरल) के शोधाकर्त्ताओं ने मुथंगा रेंज से जंपिंग स्पाइडर के समूह से संबंधित एंट-मिमिकिंग मकड़ियों की भी खोज की है। 

प्रमुख बिंदु 

मनी स्पाइडर के बारे में: 

Spider

  • मनी स्पाइडर जीनस प्रोसोपोनोइड्स (Prosoponoides) के अंतर्गत बौने मकड़ियों (Linyphiidae) के परिवार से संबंधित है। 
    • अब तक दुनिया भर में इस जीनस से संबंधित मकड़ियों की केवल छह प्रजातियों की पहचान की गई है। 
  • इसे Prosoponoides biflectogynus नाम दिया गया है। 
  • नर और मादा मनी मकड़ियांँ आमतौर पर क्रमशः 3 मिमी से 4 मिमी लंबी होते हैं।  
  • नर और मादा दोनों गहरे भूरे रंग के होते हैं और अंडाकार पेट पर अनियमित सिल्वर और काले रंग के धब्बे होते हैं। 
  • उनके ओलिव-ग्रीन पैरों पर कई बारीक काले काँटे होते हैं। 
  • आठ काले रंग की आँखें दो पंक्तियों में व्यवस्थित होती हैं। 
  • मादाएंँ सूखे पेड़ की टहनियों के बीच त्रिकोणीय जाल बनाती हैं और छोटे कीड़ों को खाती हैं, जबकि नर सूखी पत्तियों के नीचे छिपना पसंद करते हैं। 
  • दो या दो से अधिक नरों  को एक मादा मकड़ी के जाल में पाया जा सकता है। 

एंट-मिमिकिंग स्पाइडर: 

Spider

  • एंट- मिमिकिंग स्पाइडर को टोक्सियस अल्बोक्लेवस नाम दिया गया है। 
  • ये साल्टिसिडे (Salticidae ) परिवार से संबंधित हैं। 
  • इस प्रजाति के नर और मादा मकड़ियाँ क्रमशः 4 मिमी और 6 मिमी तक लंबी होती हैं।. 
  • मादाओं के गहरे भूरे रंग के पेट पर सफेद धारियों की एक जोड़ी उन्हें इस समूह के अन्य मकड़ियों (कूदने वाली मकड़ियों) से अलग बनाती है। 
  • प्रजाति के नर की विशेषता भूरे रंग के मस्तक क्षेत्र और सफेद बालों के साथ काले वक्ष होते हैं। 
  • इन मकड़ियों में आगे की ओर निकले नुकीले दांत (fangs) में एंटलर के आकार की विशेषताएँ होती हैं। 
  • इनके प्रत्येक पैर के आधार पर लंबी रीढ़ मौजूद होती है। 

वायनाड वन्यजीव अभयारण्य: 

  • केरल में स्थित वायनाड वन्यजीव अभयारण्य (WWS) नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व का एक अभिन्न अंग है। इसकी स्थापना वर्ष 1973 में हुई थी। 
  • नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व यूनेस्को द्वारा नामित वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिज़र्व में शामिल होने वाला भारत का पहला बायोस्फीयर रिज़र्व था (2012 में नामित)। 
  • इस रिज़र्व के अंतर्गत आने वाले अन्य वन्यजीव उद्यानों में मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान, मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान और साइलेंट वैली शामिल हैं। 
  • 344.44 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ वायनाड वन्यजीव अभयारण्य कर्नाटक के नागरहोल और बांदीपुर तथा तमिलनाडु के मुदुमलाई के बाघ अभयारण्यों से जुड़ा हुआ है। 
  • काबिनी नदी (कावेरी नदी की एक सहायक नदी) इस अभयारण्य से होकर बहती है। 
  • यहाँ पाए जाने वाले वन प्रकारों में दक्षिण भारतीय नम पर्णपाती वन, पश्चिमी तटीय अर्द्ध-सदाबहार वन और सागौन, नीलगिरि/यूकेलिप्टस तथा ग्रेवेलिया के जंगल शामिल हैं। 
  • यहाँ हाथी, गौर, बाघ, चीता, सांभर, चित्तीदार हिरण, जंगली सूअर, स्लॉथ बियर, नीलगिरि लंगूर, बोनट मकाक, सामान्य लंगूर, मालाबार विशाल गिलहरी आदि प्रमुख स्तनधारी पाए जाते हैं। 

Wayanad

स्रोत: द हिंदू 

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2