इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


जैव विविधता और पर्यावरण

बांदीपुर में वन्यजीवों के संरक्षण के लिये संयुक्त प्रयास

  • 26 Jun 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में कर्नाटक के बांदीपुर में तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के वरिष्ठ वन कर्मियों की अंतर-राज्यीय बैठक में इस क्षेत्र के वन्यजीवों के संरक्षण के लिये ठोस प्रयास करने का निर्णय लिया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस बैठक में वन क्षेत्रों में आक्रामक पौधों (Allian Plant) के आक्रमण, गिद्ध संरक्षण के लिये किये जा रहे प्रयासों, बाघ और हाथियों के प्रसार से क्षेत्र में मानव-पशु संघर्ष को कम करने के लिये अपनाए जाने वाले विभिन्न उपायों, जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।
  • बैठक में नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व में वन्यजीवों के आवास के लिये बड़ा खतरा पैदा करने वाले सेना स्पेक्ट्बिल्स (Senna Spectabilis) नामक आक्रामक पौधे (Allian Plant) के उन्मूलन के प्रयासों को तेज़ करने पर भी बल दिया गया। इस तरह के प्रयास केरल के वायनाड वन्यजीव अभ्यारण्य में भी किये गए है।
  • बैठक में इस तथ्य का भी मूल्यांकन किया गया कि केरल और तमिलनाडु नियमित रूप से अपने अधिकार क्षेत्र में गिद्ध आबादी की निगरानी कर रहे हैं लेकिन कर्नाटक को उनके संरक्षण के प्रयासों को और अधिक मज़बूत करने की आवश्यकता है। इसमें देश की शेष गिद्ध आबादी के संरक्षण के लिये अपनाई गई विभिन्न रणनीतियों पर भी चर्चा की गई।
  • NTCA द्वारा संयुक्त गश्ती प्रयासों, जानवरों के प्रसार संबंधी विभिन्न जानकारियों, जंगली आग के प्रसार और इससे निपटने के प्रयास इत्यादि सूचनाओं के आदान-प्रदान की बात की गई।

बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान

  • बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान को भारत के सबसे सुंदर और बेहतर रूप से प्रबंधित राष्ट्रीय उद्यानों में से एक माना जाता है। कर्नाटक में मैसूर-ऊटी राजमार्ग पर पश्चिमी घाट के सुरम्य परिवेश के बीच, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 874.2 वर्ग किमी. का क्षेत्र शामिल है।
  • तमिलनाडु में मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य, केरल में वायनाड वन्यजीव अभयारण्य और कर्नाटक में , के साथ मिलकर, यह भारत के सबसे बड़े जैवमंडल रिज़र्व ‘'नीलगिरी बायोस्फीयर रिज़र्व' का भी अभिन्न भाग बनता है।

नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व

  • नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व भारत का पहला बायोस्फीयर रिज़र्व था, जिसे वर्ष 1986 में स्थापित किया गया था। नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के कुछ हिस्सों को शामिल करता है। यहाँ 50 सेमी. से 700 सेमी. तक वार्षिक वर्षा होती है।
  • नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व मालाबार वर्षा वन के भौगोलिक क्षेत्र के अंतर्गत आता है। मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य, वायनाड वन्यजीव अभयारण्य, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान, मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान और साइलेंट वैली इस आरक्षित क्षेत्र में मौजूद संरक्षित क्षेत्र हैं।

Nilgiri Biosphere

  • सेना स्पेक्ट्बिल्स(SENNA SPECTABILIS) नामक आक्रामक पौधा, वन क्षेत्रों के लिये एक बड़ा खतरा है। इसके त्वरित विकास और प्रसार के कारण इसकी रोकथाम में भी अत्यधिक समस्याएँ है।
  • एक वयस्क पौधा कम समय में ही 15 से 20 मीटर तक बढ़ जाता है, और हर साल कटाई के बाद लाखों की संख्या में बीज विस्तृत क्षेत्रों में फैल जाते हैं।
  • मोटी पत्तियों वाला यह पौधा घास की अन्य देशी प्रजातियों के विकास को बाधित करता है और गर्मियों के दौरान वन्यजीवों की आबादी, विशेषकर शाकाहारियों के लिये भोजन की कमी का कारण भी बनता है।

स्रोत:द हिन्दू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2