प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 02 फरवरी, 2019
आईएनएस कोहासा (INS KOHASA)
24 जनवरी, 2019 को नौसेना वायु केंद्र (Naval Air Station-NAS) शिबपुर को INS कोहासा के रूप में अधिकृत (commissioned) किया गया।
- INS कोहासा को यह नाम सफेद पेट वाले समुद्री बाज़ (White- Bellied Sea Eagle) के नाम पर दिया गया है, जो अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह (Andaman and Nicobar Islands-ANI) का एक बड़ा तथा शिकारी पक्षी है।
- NAS शिबपुर को 2001 में उत्तरी अंडमान (North Andaman) में निगरानी के लिये फॉरवर्ड ऑपरेटिंग एयर बेस (Forward Operating Air Base-FOAB) के रूप में स्थापित किया गया था।
- INS कोहासा पोर्ट ब्लेयर में INS उत्क्रोश (Utkrosh) और कैंपबेल बे (Campbell Bay) में आईएनएस बाज़ (INS Baaz) के बाद अंडमान में तीसरा नौसेना हवाई केंद्र है।
- यह हवाई अड्डा सरकार की उड़ान (UDAN) योजना के अनुरूप सैन्य और नागरिक दोनों प्रकार के विमानों के संयुक्त परिचालन के लिये एक आधार के रूप में कार्य करेगा।
महत्त्व
- द्वीपों के सबसे उत्तरी भाग में स्थित यह हवाई क्षेत्र न केवल द्वीपों की सुरक्षा बल्कि समग्र विकास के लिये भी रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है।
- इस एयरफील्ड के जुड़ने से अंडमान और निकोबार कमांड (Andaman & Nicobar Command’s-ANC) की ANI के सभी क्षेत्रों से स्वतंत्र रूप से काम करने की क्षमता को बढ़ावा मिलेगा।
- अपेक्षित सुविधाओं और श्रमशक्ति के साथ एक स्वतंत्र नौसैनिक इकाई का निर्माण ANC की समग्र परिचालन क्षमता को बढ़ाएगा।
- यह नौसेना वायु केंद्र पर विमानों के स्थायी आधार का अवसर प्रदान करेगा।
- मलक्का जलडमरूमध्य (Straits of Malacca) के निकटवर्ती क्षेत्र में स्थित, INS कोहासा इंडोनेशिया से केवल 90 किमी., म्याँमार से 45 किमी. और थाईलैंड से 550 किमी. की दूरी पर स्थित है। उल्लेख्नीय है कि चीन से जाने और चीन की ओर से आने वाले सभी कार्गो का लगभग 80% मलक्का से होकर गुजरता है। इस प्रकार रणनीतिक रूप से भी यह क्षेत्र भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है।
बांदीपुर टाइगर रिज़र्व
हाल ही में सर्वोच्च न्यायलय ने बांदीपुर टाइगर रिजर्व के कुछ खंडों के माध्यम गुजरती हुई उन्नत (Elevated) सड़कों के निर्माण के प्रस्ताव पर पर्यावरण मंत्रालय और सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय के बीच मतभेदों को दूर कर 6 सप्ताह के भीतर आम सहमति पर पहुँचने का निर्देश दिया है।
- उल्लेखनीय है कि बांदीपुर में गत 9 वर्षों से रात 9 बजे से सुबह के 6 बजे के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग 766 पर यातायात प्रतिबंधित है। लेकिन इस प्रतिबंध के कारण दिन के दौरान कोझीकोड से मैसूर को जोड़ने वाले राजमार्ग पर वाहनों की संख्या में वृद्धि होने से इस मार्ग पर यातायात की स्थिति जटिल हो गई है।
- 272 किलोमीटर लंबे राजमार्ग का लगभग 35 किमी बांदीपुर और केरल के वायनाड वन्यजीव अभयारण्य से होकर गुजरता है।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने बांदीपुर हेतु 5 किलोमीटर लंबी सड़क परियोजना को अपनी सहमति नहीं दी है, जबकि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) पाँच उन्नत मार्गों का निर्माण करने को तैयार है, इन मार्गों में चार बांदीपुर में होंगे तथा एक वायनाड में होगा।
बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान
- यह राष्ट्रीय उद्यान कर्नाटक में स्थित है।
- प्रोजेक्ट टाइगर के तहत वर्ष 1973 में इसे टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया था।
- पार्क उत्तर में काबिनी नदी और दक्षिण में मोयार नदी से घिरा हुआ है। नुगु नदी पार्क से होकर गुज़रती है।
- निकटवर्ती नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान, मुदुमलाई नेशनल पार्क और वायनाड वन्यजीव अभयारण्य के साथ मिलकर यह नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व का हिस्सा है जो इसे दक्षिण भारत में सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र और दक्षिण एशिया में जंगली हाथियों का सबसे बड़ा निवास स्थान बनाता है।
एन्वायरनमेंट, सोशल एंड गवर्नेंस फंड (Environment, Social, and Governance-ESG)
टाटा समूह के पूर्व अधिनायकों (Leaders) और उद्योग के दिग्गजों ने क्वांटम एडवाइज़र्स (Quantum Advisors) के साथ एक बिलियन डॉलर का एन्वायरनमेंट, सोशल एंड गवर्नेंस (ESG) फंड लॉन्च करने की घोषणा की है।
- ESG वैश्विक तौर पर निवेश का लोकप्रिय ज़रिया है ताकि इन तीनों क्षेत्रों में कंपनी का प्रदर्शन सुधरे, लेकिन अभी तक भारत में इस पर केंद्रित कोई फंड नहीं है।
- इस फंड का निवेश उन भारतीय कंपनियों में किया जाएगा जो पर्यावरण, समाज और कॉर्पोरेट प्रशासन को सर्वाधिक महत्त्व देते हैं।
- प्रस्तावित संयुक्त उद्यम (Joint Venture-JV) के अंतर्गत लंबी अवधि के विदेशी निवेशकों जैसे पेंशन फंड, सॉवरेन वेल्थ फंड और उच्च नेटवर्थ व्यक्तियों (HNIs), जो ESG को महत्त्व देते हैं से धन एकत्रित किया जाएगा।
- इस संयुक्त उद्यम की अगुआई मुकुंद राजन करेंगे, जो टाटा ब्रांड के अभिरक्षक (Custodian) के अलावा साइरस मिस्त्री के चेयरमैन वाले दौर में समूह की कार्यकारी परिषद के सदस्य रह चुके हैं। इनके साथ टाटा कैपिटल के पूर्व मुख्य परिचालन अधिकारी गोविंद शंकरनारायणन और टाटा संस के पूर्व निदेशक एलन रोसलिंग (Allen Rosling) भी शामिल हैं।