प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 17 फरवरी, 2020
- 17 Feb 2020
- 9 min read
मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान
Mukurthi National Park
तमिलनाडु वन विभाग ने मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान (Mukurthi National Park) के एक हिस्से में 20 किलोमीटर लंबी फायर लाइन का निर्माण कार्य शुरू किया।
- गौरतलब है कि पिछले वर्ष गर्मियों में मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान के कई इलाकों में आग लग गई थी।
फायर लाइन (Fire Line):
- फायर लाइन वनों में लगने वाली आग को रोकने के लिये वन क्षेत्र में उपलब्ध वनस्पतियाँ जिनमें आग लगने की संभावना अधिक होती है, की मात्रा को सीमित करके कृत्रिम रूप से निर्मित दीवार है। इसे फायर ब्रेक (Fire Break) भी कहा जाता है।
मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान के बारे में
- यह पश्चिमी घाट में तमिलनाडु के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित एक संरक्षित क्षेत्र है। इस उद्यान को पहले नीलगिरि तहर राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता था। यह राष्ट्रीय उद्यान 78.46 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला है।
- इस उद्यान को की-स्टोन प्रजातियों जैसे- नीलगिरि तहर की रक्षा के लिये बनाया गया था।
- इस उद्यान की मुख्य विशेषताएँ मॉन्टेन (Montane) घास के मैदान और ऊँचाई पर स्थित उच्च वर्षा वाले क्षेत्रों में शोला झाड़ियाँ, ठंडी एवं तेज़ हवाएँ हैं।
- यह रायल बंगाल टाइगर और एशियाई हाथी सहित संकटग्रस्त वन्यजीवों का निवास है किंतु यहाँ मुख्य रुप से स्तनपायी नीलगिरी तहर पाई जाती है।
- यह नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व के साथ-साथ मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान, वायनाड वन्यजीव अभयारण्य एवं साइलेंट वैली का हिस्सा है।
कोरकू जनजाति
Korku Tribe
- कोरकू जनजाति मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के मेलघाट टाइगर रिज़र्व (Melghat Tiger Reserve) के निकटवर्ती क्षेत्रों में पाई जाती है।
- 'कोरकू' नाम की उत्पत्ति दो शब्दों 'कोरो' जिसका अर्थ ‘व्यक्ति’ होता है और 'कू' जिसका अर्थ जीवित होता है, से मिलकर हुई है।
- यह जनजाति कोरकू भाषा बोलती है जिसका संबंध मुंडा भाषायी समूह से है और इसकी लिपि देवनागरी है।
- भारत सरकार द्वारा कोरकू जनजाति को अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- कोरकू जनजाति घास और लकड़ी से बनी झोपड़ियों में रहती है। प्रत्येक घर की संरचना में सामने वाला हिस्सा एलिवेटेड स्टेज की तरह होता है, इस एलिवेटेड स्टेज का उपयोग कृषि उपज के भंडारण हेतु किया जाता है।
- वे स्थानीय रूप से तैयार की गई महुआ के फूलों से बनी शराब का सेवन करते हैं। इनकी अधिकांश आबादी कृषक है।
- इस जनजाति के पारंपरिक त्योहार हरि एवं जिटोरी हैं जिनमें एक महीने तक पौधा रोपण अभियान चलाया जाता है। इस तरह ये लोग कुपोषण एवं पर्यावरण क्षरण का मुकाबला करते हैं।
मेलघाट टाइगर रिज़र्व के बारे में
- यह टाइगर रिज़र्व महाराष्ट्र राज्य के अमरावती ज़िले में स्थित है, इसका क्षेत्रफल 1677 वर्ग किमी. है।
- यह वर्ष 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत घोषित किये गए पहले नौ टाइगर रिज़र्व में से एक है।
- यह टाइगर रिज़र्व ताप्ती नदी और सतपुड़ा रेंज की गवलीगढ़ रिज़ से घिरा हुआ है।
रेड-व्हिस्कर्ड बुलबुल
Red-whiskered Bulbul
रेड-व्हिस्कर्ड बुलबुल (Red-whiskered Bulbul) को आमतौर पर उद्यानों में गीत गाने वाले पक्षी के रुप में जाना जाता है।
मुख्य बिंदु:
- इसे क्रेस्टेड बुलबुल (Crested Bulbul) भी कहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम पायक्नोनोटस जोकोसस (Pycnonotus Jocosus) है।
- यह पक्षी विश्व के कई उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में तथा मुख्य रुप से एशिया में पाया जाता है।
- इसकी लंबाई 20 सेमी. होती है। इसके ऊपरी हिस्से का रंग गहरा भूरा, जबकि निचले हिस्से का रंग सफेद होता है। इसके गाल पर एक सफेद पैच और सिर पर एक काली शिखा होती है।
- इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) की लाल सूची में संकटमुक्त (Least Concern) की श्रेणी में रखा गया है।
केव फिश
Cave Fish
भारत में विश्व की सबसे बड़ी केव फिश (Cave Fish) खोजी गई।
मुख्य बिंदु:
- इस केव फिश को पूर्वोत्तर भारत में मेघालय राज्य की जयंतिया पहाड़ी में स्थित उम लाडाव (Um Ladaw) गुफा से खोजा गया है।
- पृथ्वी पर भूमिगत मछली (Subterranean Fish) की लगभग 250 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। कम भोजन की उपलब्धता होने के कारण ये बहुत छोटी (औसतन 8.5 सेमी.) होती हैं।
- जबकि पूर्वोत्तर भारत में पाई गई इस केव फिश की लंबाई लगभग एक फुट तक है और यह अब तक ज्ञात केव फिश से 10 गुना भारी है।
- इस प्रजाति की आँखें नहीं है और यह गोल्डन महसीर (Golden Mahseer) के समान प्रतीत होती है।
- गोल्डन महसीर को भारतीय नदियों के बाघ के रूप में जाना जाता है।
- इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) की लाल सूची में संकटग्रस्त (Endangered) की श्रेणी में रखा गया है।
- गोल्डन महासीर सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाली मीठे पानी की मछली है जो पहाड़ों एवं उप-पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती है।
स्वदेशी मुद्दों पर स्थायी मंच का सचिवालय
Secretariat of the Permanent Forum on Indigenous Issues
असम में एक नवगठित राजनीतिक दल असोम संग्रामी मंच (Asom Songrami Mancha) ने मानव अधिकारों के तहत नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) की वैधता की जाँच करने के लिये संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (United Nations High Commissioner for Refugees- UNHCR) और संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत स्वदेशी मुद्दों पर स्थायी मंच के सचिवालय (Secretariat of the Permanent Forum on Indigenous Issues- SPFII) को पत्र लिखा है।
मुख्य बिंदु:
- स्वदेशी मुद्दों पर स्थायी मंच का सचिवालय (Secretariat of the Permanent Forum on Indigenous Issues- SPFII) या स्वदेशी लोगों और विकास शाखा (Indigenous Peoples and Development Branch-IPDB) की स्थापना वर्ष 2002 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी।
- यह संयुक्त राष्ट्र के तहत आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग (The Department of Economic and Social Affairs- DESA) के अंतर्गत समावेशी सामाजिक विकास (Division for Inclusive Social Development- DISD) हेतु एक प्रभाग है।
- IPDB/SPFII संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में स्वदेशी मुद्दों के लिये मूल इकाई भी है। यह अंतर-सरकारी प्रक्रियाओं एवं स्वदेशी मुद्दों से संबंधित निकायों के लिये सहायता प्रदान करता है।
- यह स्वदेशी लोगों के अधिकारों हेतु संयुक्त राष्ट्र अंतर-एजेंसी सहायता समूह का सह-अध्यक्ष भी है।