प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 09- 09- 2019
- 09 Sep 2019
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टाइफून फैक्सई
Typhoon Faxai
तेज हवाओं और बारिश के साथ टाइफून फैक्सई ने टोक्यो को काफी क्षति पहुँचाई।
- टायफून फैक्सई की तीव्रता 216 किलोमीटर (134 मील) प्रति घंटे की थी।
- टोकियो की खाड़ी से गुजरने के बाद यह टाइफून राजधानी चिबा में जमीन से टकराया।
टाइफून
- टाइफून एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात है जो उत्तरी गोलार्ध्द में 100° से 180° पूर्वी देशांतर के बीच विकसित होता है।
- इस क्षेत्र को पश्चिमोत्तर प्रशांत बेसिन के नाम से जाना जाता है और यह पृथ्वी पर सबसे सक्रिय उष्णकटिबंधीय चक्रवात बेसिन है।
- पश्चिमोत्तर प्रशांत बेसिन में टाइफून का कोई निश्चित समय नही होता है। अधिकांश टाइफून जून से नवंबर के बीच आते हैं एवं दिसंबर से मई के बीच भी सीमित टाइफून आते हैं।
- अन्य उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के समान ही टाइफून के बनने और विकास की मुख्य दशाएँ
- समुद्री सतह का पर्याप्त तापमान
- वायुमंडलीय अस्थिरता
- क्षोभमंडल में उच्च आर्द्रता
- निम्न वायु दाब केंद्र
- कोरिओलिस बल (Coriolis Force) की उपस्थिति
- कम ऊर्ध्वाधर पवन कर्तन (Wind Shear )
नीलगिरी तहर
Nilgiri Tahr
तमिलनाडु के मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान (Mukurthi National Park) में नीलगिरी तहर (Nilgiri Tahr) की संख्या में पिछले 3 वर्ष में 27% की वृद्धि हुई है।
- मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान में नीलगिरी तहर की संख्या वर्ष 2018-19 में 8% (568 से बढ़ कर 612) की वृद्धि हुई है।
- नीलगिरी तहर को नीलगिरी आईबेक्स या सिर्फ आईबेक्स के नाम से भी जाना जाता है।
- इसका वैज्ञानिक नाम नीलगिरिट्रेगस हिलोक्रिअस (Nilgiritragus hylocrius) है।
- वर्ष 2016 से इनकी संख्या में 132 की वृद्धि हुई थी।
- नीलगिरी तहर की संख्या में वृद्धि का कारण पर्यटकों की आवाजाही पर रोक, शिकार पर नियंत्रण ,आक्रामक प्रजातियों स्कोच ब्रूम और वाटल ट्री (Scotch broom & wattel tree) के प्रसार पर नियंत्रण एवं पर्याप्त भोजन की उपलब्धता है।
- नीलगिरी तहर को IUCN में लुप्तप्राय स्थिति में रखा गया है।
- वन्यजीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 के तहत इसे सुरक्षा प्राप्त है तथा इसे मारने या शिकार करने पर अपराध के तहत कठोरतम ज़ुर्माने का प्रावधान है।
- हाल में किये गए एक अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2030, 2050 और 2080 के लिये क्रमशः 61.2%, 61.4% और 63% की अधिकतम आवास हानि की संभावना व्यक्त की गई है।
- इसकी आबादी में गिरावट के प्रमुख कारणों में इनका शिकार किया जाना, पशुधन चराई और वर्षों से आवास नुकसान तथा पशु-मानव संघर्ष आदि रहे हैं।
मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान
- पश्चिमी घाट पर स्थिति मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान 78.46 वर्ग किमी में फैला है।
- इस उद्यान को की-स्टोन प्रजाति नीलगिरी तहर को संरक्षित करने के लिये बनाया गया था।
- उद्यान नीलगिरी बायोस्फियर रिज़र्व का एक भाग है।
- उद्यान में पर्वतीय घास के मैदान व झाड़ियाँ पाई जाती है।
नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व
- नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व भारत का पहला बायोस्फीयर रिज़र्व था, जिसे वर्ष 1986 में स्थापित किया गया था।
- नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के कुछ हिस्सों को शामिल करता है। यहाँ प्रत्येक वर्ष 50 सेमी. से 700 सेमी. तक वर्षा होती है।
- नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व मालाबार वर्षा वन के भौगोलिक क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
- मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य, वायनाड वन्यजीव अभयारण्य, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान, मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान और साइलेंट वैली इस आरक्षित क्षेत्र में मौजूद संरक्षित क्षेत्र हैं।