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लॉस एंड डैमेज फंड

  • 14 Sep 2024
  • 7 min read

स्रोत: TH

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केरल के वायनाड ज़िले में हुए विनाशकारी भूस्खलन के बाद जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के तहत लॉस एंड डैमेज फंड (LDF) के माध्यम से मुआवज़े का दावा करने के लिये उप-राष्ट्रीय संस्थाओं की पात्रता के संबंध में एक महत्त्वपूर्ण चर्चा शुरू हो गई है।

नोट: 

  • केरल के वायनाड ज़िले में भारी वर्षा और संवेदनशील पारिस्थितिक स्थितियों के कारण जुलाई 2024 की शुरुआत में विनाशकारी भूस्खलन की घटना हुई।
  • चूरलमाला और मुंदक्कई गाँवों में भूस्खलन के कारण कम-से-कम 144 लोगों की मृत्यु हो गई और 197 लोग घायल हो गए। ज़िले में 24 घंटे में 140 मिमी. से अधिक बारिश से मृदा गीली होने तथा चट्टानों से उसका जुड़ाव कमज़ोर हो जाने के कारण वहाँ भूस्खलन हुआ।

लॉस एंड डैमेज फंड क्या है?

  • स्थापना और लक्ष्य: लॉस एंड डैमेज फंड (LDF) की स्थापना वर्ष 2022 में मिस्र में आयोजित 27 वें UNFCCC कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (COP27) में की गई थी, जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के कारण आर्थिक और गैर-आर्थिक दोनों तरह के नुकसान से पीड़ित क्षेत्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
    • यह कोष चरम मौसम की घटनाओं और धीमी गति से होने वाली प्रक्रियाओं (जैसे: समुद्र के बढ़ते जल स्तर) से होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति करता है।
  • शासन: LDF का संचालन एक गवर्निंग बोर्ड द्वारा किया जाता है, जो निम्नलिखित के लिये ज़िम्मेदार है:
    • कोष के संसाधनों के आवंटन का निर्धारण करना।
    • विश्व बैंक इसका अंतरिम ट्रस्टी के रूप में कार्य करता है।
    • गवर्निंग बोर्ड द्वारा वर्तमान में फंड के संसाधनों तक पहुँच को सुविधाजनक बनाने के लिये तंत्र विकसित किया जा रहा है, जिसमें प्रत्यक्ष अभिगम, छोटे अनुदान, त्वरित संवितरण विकल्प शामिल हैं।
  • चिंताएँ: 
    • इसके इच्छित उद्देश्य के बावजूद इस बात की चिंता बनी हुई है कि:
      • LDF सहित जलवायु कोष की गति इतनी धीमी है कि आपदा के बाद तत्काल उन तक पहुँचना संभव नहीं है।
      • यह मुद्दा उप-राष्ट्रीय स्तर पर स्थानीय समुदायों के लिये विशेष रूप से गंभीर है।
    • यह अनुमान लगाया जा रहा है कि LDF को अपने संसाधनों तक समय पर पहुँच सुनिश्चित करने में इसी प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

जलवायु वित्त में भारत की भूमिका

  • भारत को वर्ष 2019 और 2023 के दौरान मौसम संबंधी आपदाओं के कारण 56 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है।
  • केंद्रीय बजट 2024 के अनुसार सरकार जलवायु अनुकूलन और शमन के लिये पूंजी की उपलब्धता बढ़ाने हेतु जलवायु वित्त के लिये एक वर्गिकी तैयार करेगी।
    • भारत में अग्रिम पंक्ति के समुदाय अभी भी खतरे में हैं, क्योंकि लॉस एंड डैमेज फंड से मुआवज़ा प्राप्त करने के लिये स्पष्ट दिशा-निर्देशों का अभाव है।
  • जलवायु वित्त के संबंध में भारत की पहलों में शामिल हैं:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स 

प्रश्न. "मोमेंटम फ़ॉर चेंज: क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ" यह पहल किसके द्वारा प्रवर्तित की गई है? (2018) 

(a) जलवायु परिवर्तन पर अन्तर-सरकारी पैनल
(b) UNEP सचिवालय
(c) UNFCCC सचिवालय
(d) विश्व मौसमविज्ञान संगठन

उत्तर: (c) 


प्रश्न. वर्ष, 2015 में पेरिस में UNFCCC बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. इस समझौते पर UN के सभी सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किये और यह वर्ष 2017 से लागू होगा।
  2. यह समझौता ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को सीमित करने का लक्ष्य रखता है, जिससे इस सदी के अंत तक औसत वैश्विक तापमान की वृद्धि उद्योग-पूर्व स्तर (pre-industrial levels) से 2°C या कोशिश करें कि 1.5°C से भी अधिक न होने पाए।
  3. विकसित देशों ने वैश्विक तापन में अपनी ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी को स्वीकारा और जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये विकासशील देशों की सहायता के लिये वर्ष 2020 से प्रतिवर्ष 1000 अरब डॉलर देने की प्रतिबद्धता जताई।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

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