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9KT सोने की हॉलमार्किंग

  • 03 Sep 2024
  • 8 min read

स्रोत: लाइव मिंट

चर्चा में क्यों

भारत 9-कैरेट (KT) सोने के आभूषणों हेतु अनिवार्य हॉलमार्किंग लागू करने के लिये तैयार है। यह कदम किफायती सोने के लिये उपभोक्ताओं की बढ़ती पसंद को देखते हुए उठाया गया है। इस नए विनियमन का उद्देश्य तेज़ी से बढ़ते सोने के बाज़ार के बीच गुणवत्ता सुनिश्चित करना और उपभोक्ताओं की सुरक्षा करना है।

9KT सोने की हॉलमार्किंग अनिवार्य क्यों की जा रही है?

  • बढ़ती उपभोक्ता प्राथमिकताएँ: अधिक किफायती सोने के आभूषणों के प्रति बढ़ती पसंद के कारण 9KT सोने की मांग में वृद्धि हुई है, जो उच्च शुद्धता वाले सोने की तुलना में कम महंगा है।
    • सोने की शुद्धता कैरेट में मापी जाती है, सबसे शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है, जिसका अर्थ है कि इसमें कोई अन्य धातु नहीं मिलायी गयी है।
    • जैसे-जैसे कैरेट की संख्या घटती है, यह सोने में अन्य धातुओं, सामान्यतः ताँबे और चाँदी की मौजूदगी को दर्शाता है। उदाहरण के लिये, 18 कैरेट सोने में 75% सोना और 25% अन्य धातुएँ होती हैं।
  • चेन-स्नैचिंग की बढ़ती घटनाएँ: चेन-स्नैचिंग के मामलों में वृद्धि ने विनियमित और प्रमाणित सोने के उत्पादों की आवश्यकता को बढ़ा दिया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने वर्ष 2022 में ऐसे अपराधों में 32.54% की वृद्धि दर्ज की है।
    • हॉलमार्क प्रत्येक आभूषण के लिये एक अद्वितीय पहचान प्रदान करते हैं जिससे चोरी की गई वस्तुओं का पता लगाना आसान हो जाता है। इससे चोरों को रोका जा सकता है क्योंकि चोर को पता होता है कि चिह्नित वस्तुओं का पता लगाना आसान है।

नोट: विश्व स्वर्ण परिषद के अनुसार, चीन के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्वर्ण उपभोक्ता है तथा कैलेंडर वर्ष 2024 के दौरान मांग 750 टन तक पहुँचने की उम्मीद है। वर्ष 2022 में भारत ने 9.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सोने के आभूषणों का निर्यात किया, जो विश्व के कुल सोने के आभूषणों के निर्यात का 8.1% है। सोने के आभूषणों के निर्यात के मामले में देश चौथे स्थान पर रहा।

हॉलमार्किंग क्या है?

  • हॉलमार्किंग के बारे में: हॉलमार्किंग वस्तुओं में मौजूद बहुमूल्य धातु घटक का आधिकारिक रिकॉर्ड है, जिसका उपयोग शुद्धता की गारंटी के रूप में किया जाता है
    • इसका उद्देश्य जनता के विश्वास की सुरक्षा करना तथा विनिर्माताओं को कानूनी मानकों को बनाए रखने के लिये बाध्य करना है। भारत में सोना और चाँदी वर्तमान हॉलमार्किंग योजना के अंतर्गत आते हैं।
    • एक बार की गई हॉलमार्किंग, आभूषण के संपूर्ण जीवनकाल के लिये वैध होती है।
  • कार्यप्रणाली: BIS हॉलमार्किंग योजना के तहत भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने अनिवार्य किया है कि सभी हॉलमार्क वाले सोने के आभूषणों तथा कलाकृतियों पर 6 अंकीय अल्फान्यूमेरिक हॉलमार्क विशिष्ट पहचान संख्या (HUID) संख्या अंकित होनी चाहिये।
  • इस HUID का उद्देश्य उपभोक्ता विश्वास में सुधार लाना तथा स्वर्ण उत्पादों की बेहतर ट्रेसेबिलिटी सुनिश्चित करना है।
    • इस योजना के तहत, ज्वैलर्स को BIS द्वारा पंजीकरण प्रदान किया जाता है। BIS प्रमाणित ज्वैलर्स अपने आभूषणों को किसी भी BIS मान्यता प्राप्त परख और हॉलमार्किंग केंद्र (Assaying and Hallmarking Centres) से हॉलमार्क करवा सकते हैं।
      • प्रत्येक हॉलमार्क स्वर्ण आभूषण को एक विशिष्ट HUID संख्या दी जाती है।
    • उपभोक्ता BIS केयर ऐप में HUID नंबर दर्ज करके सोने के आभूषणों की प्रामाणिकता को सत्यापित कर सकते हैं, जो ज्वैलर, शुद्धता और हॉलमार्किंग केंद्र के बारे में विवरण प्रदान करता है।
  • महत्त्व: यदि कोई हॉलमार्क वाली वस्तु बताई गई शुद्धता से कम शुद्धता की पाई जाती है, तो खरीदार BIS नियम 2018 के तहत मुआवज़े के हकदार होते हैं
  • हॉलमार्किंग ट्रेसेबिलिटी आसान हो जाती है और यह सुनिश्चित होता है कि उपभोक्ता धोखाधड़ी तथा नकली सामान से सुरक्षित रहें।

नोट: हीरे की शुद्धता को आमतौर पर स्पष्टता (clarity) के रूप में संदर्भित किया जाता है, जो आंतरिक या बाह्य खामियों की उपस्थिति को मापता है, जिन्हें क्रमशः समावेशन और दोष के रूप में जाना जाता है।

  • स्पष्टता (clarity) का निर्धारण करने के लिये, विशेषज्ञ उच्च आवर्द्धन वाले सूक्ष्मदर्शी तथा पॉवर लेंस के साथ नेत्र दृश्यता का उपयोग करके हीरे की जाँच करते हैं और आंतरिक समावेशन व बाह्य दोषों के आधार पर इसे दोषरहित से अपूर्ण तक के पैमाने पर वर्गीकृत करते हैं।
  • कैरेट (carat) वज़न की एक इकाई है जिसका उपयोग हीरे जैसे रत्न के वज़न को मापने के लिये किया जाता है। जबकि कैरट सोने के 24 भागों के संबंध में सोने के मिश्र धातु की शुद्धता को मापता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. सरकार की 'संप्रभु स्वर्ण बॉण्ड योजना (Sovereign Gold Bond Scheme)' और 'स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (Old Monetization Scheme)' का/के उद्देश्य क्या है/हैं? (2016) 

  1. भारतीय गृहस्थों के पास निष्क्रिय पड़े स्वर्ण को अर्थव्यवस्था में लाना
  2. स्वर्ण एवं आभूषण के क्षेत्र में FDI को प्रोत्साहित करना
  3. स्वर्ण के आयात पर भारत की निर्भरता में कमी लाना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

व्याख्या: 

  • सरकार ने वर्ष 2015 में संप्रभु स्वर्ण बॉण्ड योजना (Sovereign Gold Bond Scheme) और स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (Old Monetization Scheme) की शुरुआत की थी। इन योजनाओं के मुख्य उद्देश्य भारत के गृहस्थों और संस्थानों के पास रखे स्वर्ण को अर्थव्यवस्था में लाना है। अत: कथन 1 सही है
  • बैंकों से ऋण पर कच्चे माल के रूप में सोना उपलब्ध कराकर देश में रत्न और आभूषण क्षेत्र को बढ़ावा देना। घरेलू मांग को पूरा करने के लिये समय के साथ सोने के आयात पर निर्भरता कम करने में सक्षम होना। अतः कथन 3 सही है।
  • सोने और आभूषण क्षेत्र में FDI को बढ़ावा देना इन योजनाओं का उद्देश्य नहीं है। अतः कथन 2 सही नहीं है।

अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।

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