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प्रारंभिक परीक्षा

FBR के विकल्प के रूप में HALEU ईंधन चक्र

  • 07 Apr 2025
  • 7 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

भारत के त्रि-स्तरीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों (FBR) की स्थापना में विलंब हो रहा है। इन चुनौतियों के बीच, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के पूर्व प्रमुख ने मौजूदा PHWR का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिये HALEU और थोरियम को ईंधन के रूप में उपयोग करने का सुझाव दिया है।

थोरियम-HALEU ईंधन को भारत के परमाणु कार्यक्रम में कैसे शामिल किया जा सकता है?

  • HALEU के साथ PHWR का उपयोग: भारत मौजूदा 700 मेगावाट दबावयुक्त भारी जल रिएक्टरों (PHWR) में उच्च परख निम्न संवर्द्धित यूरेनियम (HALEU) और थोरियम के मिश्रण का उपयोग करके अपने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को बढ़ा सकता है।
    • HALEU 5% से 20% U-235 के बीच संवर्द्धित यूरेनियम है। यह दृष्टिकोण भारत को थोरियम का उपयोग जल्द शुरू करने में सक्षम बनाता है, जिससे उसका परमाणु ऊर्जा उत्पादन अधिक धारणीय हो जाता है। 
  • प्रयुक्त ईंधन का पुनर्चक्रण: HALEU-थोरियम का उपयोग करके PHWR से प्रयुक्त ईंधन को पुनःप्रसंस्कृत करके मूल्यवान विखंडनीय पदार्थ (ऐसा पदार्थ जिसका नाभिक न्यूट्रॉन द्वारा टकराने पर विखंडित हो सकता है) निष्कर्षित किया जा सकता है।
    • इस पुनर्प्रसंस्कृत सामग्री का उपयोग उन्नत रिएक्टरों जैसे कि मोल्टेन साल्ट रिएक्टर (MSR) में किया जा सकता है, जो भारत के परमाणु कार्यक्रम के त्रि-स्तरीय चरण का हिस्सा हैं। 
    • यह परमाणु ईंधन का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करता है, तथा अपशिष्ट को न्यूनतम करके तथा ईंधन दक्षता को अधिकतम करके भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र की दीर्घकालिक स्थिरता में योगदान देता है।

भारत का त्रिचरणीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम क्या है? 

  • डॉ. होमी भाभा द्वारा तैयार भारत के तीन-चरणीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के सीमित यूरेनियम और प्रचुर थोरियम भंडार का कुशलतापूर्वक उपयोग करके दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करना है। 
    • यह परमाणु ऊर्जा को संधारणीय और आत्मनिर्भर तरीके से विकसित करने की एक चरणबद्ध योजना है।
  • 3 चरण: 

चरण

    उद्देश्य 

ईंधन/शीतलक/मंदक

नाभिकीय रिएक्टर 

वर्तमान स्थिति 

प्रथम चरण

इसका उद्देश्य विद्युत् उत्पन्न करना है तथा उपोत्पाद के रूप में प्लूटोनियम-239 (Pu-239) का उत्पादन करना है।


प्लूटोनियम कार्यक्रम के अगले चरण के लिये महत्त्वपूर्ण है।

ईंधन: यूरेनियम (U-238)


मंदक: भारी जल (ड्यूटेरियम ऑक्साइड)

दाबित भारी जल रिएक्टर (PHWR)

भारत ने पहले ही अपने परमाणु ऊर्जा बुनियादी ढाँचे की नींव के रूप में 18 PHWR का निर्माण कर लिया है।

 

द्वितीय चरण

यह फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों (FBR) पर केंद्रित है, जो पहले चरण से ही Pu-239 का उपयोग करते हैं और अपनी खपत से अधिक विखंडनीय सामग्री उत्पन्न करते हैं।


ये रिएक्टर समृद्ध यूरेनियम-238 को Pu-239 में परिवर्तित करते हैं, जिससे परमाणु ईंधन चक्र की दक्षता बढ़ती है और एक सतत् ईंधन स्रोत उपलब्ध होता है।

प्लूटोनियम-239 और यूरेनियम-238 का मिश्रित ऑक्साइड



फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBR)

 

तमिलनाडु के कलपक्कम में प्रोटोटाइप FBR इस चरण में एक महत्त्वपूर्ण विकास है।

तृतीय चरण

यह थोरियम आधारित रिएक्टर पर केंद्रित है, जो विखंडनीय पदार्थ  यूरेनियम-233 का उत्पादन करने के लिये थोरियम-232 का उपयोग करते हैं।  

थोरियम-232 (यूरेनियम-233 में परिवर्तित) 

 

थोरियम आधारित रिएक्टर (थोरियम चक्र)



थोरियम आधारित रिएक्टरों पर अनुसंधान जारी है, तथा इस चरण के एक भाग के रूप में उन्नत ‘हैवी वाटर रिएक्टर’ (AHWR) और मॉल्टन साल्ट रिएक्टर का विकास किया जा रहा है।

भारत का परमाणु हथियार कार्यक्रम

  • स्माइलिंग बुद्धा (1974): राजस्थान के पोखरण में भारत का पहला सफल परमाणु परीक्षण किया गया, जिससे यह परमाणु क्षमता रखने वाला छठा देश (अमेरिका, सोवियत संघ, यूनाइटेड किंगडम, फ्राँस और चीन के बाद) बना।
  • ऑपरेशन शक्ति (1998): ऑपरेशन शक्ति (पोखरण- II) ऑपरेशन शक्ति के तहत पाँच परमाणु परीक्षणों की एक शृंखला थी, जिसमें एक थर्मोन्यूक्लियर बम भी शामिल था।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में, क्यों कुछ परमाणु रिएक्टर "आई. ए. ई. ए. सुरक्षा उपायों" के अधीन रखे जाते हैं जबकि अन्य इस सुरक्षा के अधीन नहीं रखे जाते? (2020)

(a) कुछ यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य थोरियम का
(b) कुछ आयातित यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य घरेलू आपूर्ति का 
(c) कुछ विदेशी उद्यमों द्वारा संचालित होते हैं और अन्य घरेलू उद्यमों द्वारा
(d) कुछ सरकारी स्वामित्व वाले होते हैं और अन्य निजी स्वामित्व वाले

उत्तर: (b)

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