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  • 11 May 2024
  • 2 min read

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

हाल ही में ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद और सेंटर फॉर एनर्जी फाइनेंस (CEEW-CEF) मार्केट हैंडबुक में पाया गया कि भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता में कोयले की हिस्सेदारी वर्ष 2023-24 की अवधि के दौरान इतिहास में पहली बार 50% से कम हो गई।

    • रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में जोड़ी गई 26 गीगावाट (GW) बिजली उत्पादन क्षमता में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का हिस्सा 71% है।
    • भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता बढ़कर 442GW हो गई, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा का योगदान 144GW (33%) और हाइड्रो का योगदान 47 GW (11%) है।
    • नवीकरणीय ऊर्जा में सौर ऊर्जा का हिस्सा 81% है, जिसमें पवन की क्षमता लगभग 3.3 गीगावॉट तक पहुँच गई है और परमाणु क्षमता में 1.4 गीगावॉट की वृद्धि हुई है।
    • वित्तीय वर्ष 2024 में नवीकरणीय ऊर्जा की नीलामी रिकॉर्ड 41 गीगावॉट तक पहुँच गई, जिसमें पवन-सौर हाइब्रिड और RE-प्लस-स्टोरेज जैसे नवीन प्रारूप प्रमुखता प्राप्त कर रहे हैं।
      • RE-प्लस-स्टोरेज नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों को संदर्भित करता है, जैसे कि सौर या पवन ऊर्जा, जो आमतौर पर बैटरी के रूप में ऊर्जा भंडारण समाधानों के साथ संयुक्त होती है।
    • भारत ने वर्ष 2022 में अपनी जलवायु परिवर्तन प्रतिबद्धताओं को अद्यतन किया, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद उत्सर्जन तीव्रता को वर्ष 2005 के स्तर से 45% कम करना और उसी वर्ष तक अपनी बिजली क्षमता का 50% गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त करना है।

    और पढ़ें: पर्सपेक्टिव: भारत का हरित ऊर्जा परिवर्तन

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