गिलोय | 04 Mar 2025

स्रोत: पी.आई.बी.

गत एक दशक में गिलोय (Tinospora cordifolia) से संबंधित शोध प्रकाशनों में 376.5% की वृद्धि हुई है (वर्ष 2014 में 243 से वर्ष 2024 में 913), जो इस पौधे की चिकित्सीय क्षमता में बढ़ती वैश्विक रुचि को उजागर करता है। 

  • परिचय: यह मेनिस्पर्मेसी कुल से संबंधित एक आरोही क्षुप (Shrub) है।
    • यह  मूलतः भारत में पाया जाता है, लेकिन चीन, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भी पाया जाता है। 
    • इसकी सर्वोत्तम वृद्धि कोष्ण जलवायु और मध्यम काली या लाल मृदा में होती है।
    • इसका प्रयोग पारंपरिक रूप से बुखार, मधुमेह, संक्रमण, गठिया, पीलिया, अस्थमा, अतिसार और त्वचा रोगों के उपचार के लिये किया जाता है।
    • कोविड-19 महामारी से प्रतिरक्षा बढ़ाने वाली प्राकृतिक औषधियों में वैज्ञानिकों की रुचि बढ़ी, जिससे अधिक शोध किया गया।

Giloy

  • नैदानिक अध्ययनों के अनुसार गिलोय निम्नलिखित मामलों में प्रभावी है:
    • कैंसर चिकित्सा (जैसे, HPV-पॉज़िटिव गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर उपचार)।
    • स्वप्रतिरक्षी रोग प्रबंधन (जैसे, इडियोपैथिक ग्रैनुलोमैटस मैस्टाइटिस)।
    • चिरकालिक रोगों में सूजनरोधी अनुप्रयोग।
    • गिलोय (गुडुची या अमृता) का उपयोग आयुष प्रणालियों में सदियों से इसके प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले और अनुकूली गुणों के कारण किया जाता रहा है।

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