इंडोनेशिया में पर्यावरण आंदोलन | 20 Apr 2024
स्रोत: न्यूयार्क टाइम्स
इंडोनेशियाई धार्मिक नेता प्रतिकूल मौसम तथा समुद्र के स्तर में वृद्धि से उत्पन्न खतरों के जवाब में पर्यावरण आंदोलन को सक्रिय रूप से प्रभावित कर रहे हैं।
- इंडोनेशिया कोयला एवं पाम तेल के सबसे बड़े निर्यातक देश के रूप में वैश्विक जलवायु संकट पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव प्रदर्शित करता है।
- द्वीप समूह राष्ट्र बढ़ते समुद्र के स्तर एवं चरम मौसम की घटनाओं के प्रति संवेदनशील हैं, जबकि ग्रामीण समुदाय जलवायु परिवर्तन से प्रेरित सूखे से प्रभावित हैं।
- वर्ष 2007 में बाली में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान विभिन्न धर्मों के इंडोनेशियाई धार्मिक नेताओं ने एक अंतर-धार्मिक वक्तव्य प्रस्तुत किया, जिसमें ज़मीनी स्तर की कार्रवाई को प्रेरित करने में धार्मिक शिक्षाओं के साथ ही स्थानीय ज्ञान की भूमिका पर ज़ोर दिया गया।
- इंडोनेशिया में यह बढ़ती प्रवृत्ति ही "ग्रीन मस्जिदों" एवं "ग्रीन चर्च" के उद्भव का कारण है।
- साथ ही पारिस्थितिक पदचिह्न को कम करने के लिये कई अन्य कदम भी उठाए गए हैं जैसे:
- सोलर पैनलों की स्थापना
- जल पुनर्चक्रण प्रणाली का कार्यान्वयन
- ऊर्जा दक्ष नल का उपयोग करना
- इंडोनेशिया अत्यधिक भीड़भाड़, प्रदूषण एवं तेज़ी से जलमग्न होने की आशंका के कारण अपनी राजधानी को जकार्ता द्वीप से बोर्नियो में स्थानांतरित करने की योजना बना रहा है, जिससे वर्ष 2050 तक शहर के एक महत्त्वपूर्ण भाग के जलमग्न होने का अनुमान है।
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