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भारत में ई-फार्मेसी

  • 02 Mar 2023
  • 4 min read

फरवरी 2023 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कम-से-कम 20 कंपनियों को ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री करने के लिये कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notices) जारी किया, जिनमें टाटा-1एमजी (Tata-1mg), फ्लिपकार्ट (Flipkart), अपोलो (Apollo), फार्म-ईज़ी  (PharmEasy), अमेज़न (Amazon) और रिलायंस नेटमेड्स (Reliance Netmeds) शामिल हैं। 

भारत में ई-फार्मेसी की वर्तमान स्थिति क्या है? 

  • परिचय:  
    • भारत में ई-फार्मेसी का विकास हाल के वर्षों में महत्त्वपूर्ण रहा है और 2021-2027 के दौरान 21.28% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर के सुदृढ़ विकास के साथ बढ़ने की संभावना है।  
    • इस वृद्धि के मुख्य कारकों में इंटरनेट एवं स्मार्टफोन की बढ़ती पैठ, स्वास्थ्य देखभाल की बढ़ती लागत तथा सुविधा और पहुँच की बढ़ती मांग शामिल हैं। 
  • ई-फार्मेसी का विकास:
    • कोविड-19 के दौरान दवाओं की डोरस्टेप डिलीवरी की आवश्यकता महसूस की गई थी। लॉकडाउन के दौरान लगभग 8.8 मिलियन परिवारों ने होम डिलीवरी सेवाओं का उपयोग किया। 
      • ई-फार्मेसी खुद को डोरस्टेप डिलीवरी का सूत्रधार बताती है और वेंडिंग दवाओं के लिये खुदरा केमिस्ट्स के साथ ताल-मेल का दावा करती है। 
  • चिंता:
    • दवाओं की गुणवत्ता पर प्रभाव:  
      • लाइसेंस के बिना ऑनलाइन, इंटरनेट या अन्य इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्मों के माध्यम से दवाओं, स्टॉक की बिक्री या वितरण की पेशकश का दवाओं की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ने की संभावना है और यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये जोखिम उत्पन्न कर सकता है। 
      • बिना चिकित्सक के परामर्श के दवाओं के अंधाधुंध उपयोग से दवाओं के दुरुपयोग की स्थिति उत्पन्न होती है। 
    • कोई वैधानिक समर्थन नहीं:  
      • औषधि और सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम, 1940 भारत में औषधियों के आयात, निर्माण और वितरण को नियंत्रित करता है।
      • हालाँकि औषधि और सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम, 1940 अथवा औषधि अधिनियम, 1948 के तहत "ई-फार्मेसी" की कोई वैधानिक परिभाषा नहीं प्रदान की गई है।
  • ई-फार्मेसी का विनियमन: 
    • मसौदा ई-फार्मेसी नियम वर्ष 2018 में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किया गया थे।
      • मुंबई, मद्रास, दिल्ली और पटना उच्च न्यायालय सहित कई न्यायालयी आदेशों में ई-फार्मेसी को विनियमित करने का आह्वान किया गया है।
    • जून 2022 में जारी 172वीं संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट ने ई-फार्मेसी नियमों को अधिसूचित नहीं किये जाने के विषय में चिंता जताई।

निष्कर्ष: 

एक समान अवसर सुनिश्चित करने हेतु ई-फार्मेसी व्यवसायों और ऑफलाइन फार्मासिस्टों के हितों को लेकर संतुलन स्थापित किया जाना चाहिये। हाइब्रिडाइज़्ड इकोसिस्टम में सभी की निगाहें स्वास्थ्य मंत्रालय पर हैं, जिसे ड्रग स्पेस यानी दवा क्षेत्र में ई-कॉमर्स के नए तरीके को प्रभावी ढंग से विनियमित करना होगा।

स्रोत: द हिंदू

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