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DNA प्रोफाइल और लेविरेट विवाह

  • 04 Dec 2024
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में एक अंग प्रत्यारोपण के लिये DNA प्रोफाइलिंग के दौरान, यह पता चला कि एक पिता अपने बेटे का जैविक माता-पिता नहीं था, जिससे लेविरेट विवाह का मामला सामने आया।

  • इससे संवेदनशील पारिवारिक जानकारी प्रकट हुई, जिससे आनुवांशिक गोपनीयता और DNA विश्लेषण के अनपेक्षित परिणामों के बारे में चिंताएं उत्पन्न हो गईं।
  • DNA प्रोफाइलिंग: DNA प्रोफाइलिंग एक ऐसी तकनीक है जो किसी व्यक्ति को उसके DNA अनुक्रम  में अद्वितीय भिन्नता के आधार पर पहचानने की तकनीक है।
    • यद्यपि मानव DNA का 99.9% भाग एक समान होता है, तथापि 0.1% भिन्नता, विशेष रूप से शॉर्ट टैंडम रिपीट्स (STR) में, DNA प्रोफाइलिंग का आधार बनती है, जिससे सटीक पहचान संभव होती है।
  • लेविरेट: लेविरेट विवाह एक प्रथा है जिसमें मृतक (या शारीरिक रूप से अक्षम) व्यक्ति का भाई अपने भाई की विधवा से विवाह कर सकता है, जिससे वंश की निरंतरता सुनिश्चित होती है।
    • भारत में संथाल और मुंडा सहित कई जनजातियों द्वारा इसका अभ्यास किया जाता रहा है। 
    • वैदिक काल में नियोग प्रथा प्रचलित थी, जिसमें छोटे भाई या संबंधी द्वारा बड़े भाई की विधवा से विवाह किया जाता था, लेकिन बाद में गुप्त काल और उससे पहले के काल  में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया।
  • सोरोरेट एक प्रथा है जिसमें एक पुरुष अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद उसकी बहन से विवाह करता है।

और पढ़ें: न्याय प्रणाली में DNA प्रोफाइलिंग

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