विष्णुपद और महाबोधि मंदिर हेतु कॉरिडोर परियोजनाएँ | 18 Sep 2024
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय बजट 2024-25 में बिहार के गया में विष्णुपद मंदिर तथा बोधगया में महाबोधि मंदिर के लिये गलियारा परियोजनाओं को विकसित करने की योजना पर प्रकाश डाला गया।
- काशी विश्वनाथ कॉरिडोर पर आधारित इन परियोजनाओं का उद्देश्य दोनों मंदिरों को प्रमुख तीर्थस्थल और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना है।
- ये मंदिर एक-दूसरे से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर हैं और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।
विष्णुपद मंदिर और महाबोधि मंदिर के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- गया स्थित विष्णुपद मंदिर: यह बिहार के गया ज़िले में फल्गु नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है ।
- किवदंती: स्थानीय पौराणिक कथाओं के अनुसार गयासुर नामक एक राक्षस ने देवताओं से दूसरों को मोक्ष (पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति) प्राप्त करने में मदद करने की शक्ति देने का अनुरोध किया था।
- हालाँकि इस शक्ति का दुरुपयोग करने पर भगवान विष्णु ने उसे वश में कर लिया। इस मंदिर में इस घटना का पदचिह्न माना जाता है।
- वास्तुकला संबंधी विशेषताएँ: यह मंदिर लगभग 100 फीट ऊँचा है और इसमें 44 स्तंभ हैं जो बड़े ग्रे ग्रेनाइट ब्लॉक (मुंगेर काले पत्थर) से बने हैं, जो लोहे की पट्टियों से जुड़े हुए हैं।
- यह अष्टकोणीय मंदिर पूर्व दिशा की ओर उन्मुख है।
- निर्माण: इसका निर्माण 1787 ई. में महारानी अहिल्याबाई होल्कर के आदेश पर किया गया था।
- सांस्कृतिक प्रथाएँ: इस मंदिर की मान्यता के कारण पितृ पक्ष की अवधि के दौरान, अपने पूर्वजों का स्मरण करने के लिये बड़ी संख्या में भक्त यहाँ आते हैं।
- ब्रह्म कल्पित ब्राह्मण (जिन्हें गयावाल ब्राह्मण भी कहा जाता है), प्राचीन काल से इस मंदिर के पारंपरिक पुजारी रहे हैं।
- किवदंती: स्थानीय पौराणिक कथाओं के अनुसार गयासुर नामक एक राक्षस ने देवताओं से दूसरों को मोक्ष (पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति) प्राप्त करने में मदद करने की शक्ति देने का अनुरोध किया था।
- बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर: ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहाँ गौतम बुद्ध को महाबोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
- मंदिर का निर्माण: मूल मंदिर का निर्माण सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में करवाया था जबकि वर्तमान संरचना 5वीं-6वीं शताब्दी की है।
- स्थापत्य विशेषताएँ: इसमें 50 मीटर ऊँचा भव्य मंदिर (वज्रासन), पवित्र बोधि वृक्ष और बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति के अन्य 6 पवित्र स्थल शामिल हैं।
- यह कई प्राचीन स्तूपों से घिरा हुआ है, जिनका रखरखाव अच्छी तरह से किया गया है तथा यह आंतरिक, मध्य और बाहरी गोलाकार सीमाओं द्वारा संरक्षित हैं।
- यह गुप्त काल के सबसे प्रारंभिक ईंट मंदिरों में से एक है जिससे बाद की ईंट वास्तुकला प्रभावित हुई।
- वज्रासन (हीरा सिंहासन) मूलतः सम्राट अशोक द्वारा उस स्थान को चिह्नित करने के लिये स्थापित किया गया था जहाँ बुद्ध ध्यान करते थे।
- पवित्र स्थल:
- बोधि वृक्ष: ऐसा माना जाता है कि यह उस वृक्ष का प्रत्यक्ष वंशज है जिसके नीचे बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
- अनिमेषलोचन चैत्य: जहाँ बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद ध्यान का दूसरा सप्ताह बिताया था।
- रत्नचक्रमा: जहाँ ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध ने तीसरा सप्ताह बिताया था।
- रत्नाघर चैत्य: जहाँ ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध ने चौथा सप्ताह बिताया था।
- अजपाल निग्रोध वृक्ष: ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध के पाँचवें सप्ताह का स्थान।
- लोटस पॉण्ड: बुद्ध द्वारा ज्ञान प्राप्ति के बाद छठे सप्ताह का स्थान।
- राजयतन वृक्ष: बुद्ध द्वारा ज्ञान प्राप्ति के बाद सातवें सप्ताह का स्थान।
- मान्यता: इसे वर्ष 2002 से यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है।
- तीर्थ स्थल: महाबोधि मंदिर में बड़ी संख्या में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय तीर्थयात्री आते हैं, जो इसके आध्यात्मिक महत्त्व को दर्शाता है।
नोट:
- बिहार के अन्य प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में राजगीर का विश्व शांति स्तूप, नालंदा, प्राचीन शहर पाटलिपुत्र, पश्चिम चंपारण का वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व आदि शामिल हैं।
तीर्थयात्री गलियारा परियोजना (PCP) क्या है?
- तीर्थयात्री गलियारा परियोजना (PCP) के तहत धार्मिक स्थलों को आध्यात्मिक और पर्यटन उद्देश्यों के लिये विश्व स्तरीय स्थलों के रूप में उन्नत किया जाना शामिल है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- पर्यटन और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: धार्मिक पर्यटन के विस्तार से विदेशी मुद्रा तथा रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है साथ ही इससे भारत का पर्यटन राजस्व साल-दर-साल 65.7% बढ़ने की उम्मीद है (आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24)।
- संरक्षण और जीर्णोद्धार: काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जैसी परियोजनाएँ मंदिर क्षेत्रों के विस्तार तथा जीर्णोद्धार पर केंद्रित हैं, जिनमें शीतला माता एवं राम मंदिर जैसे छोटे मंदिर भी शामिल हैं।
- आगंतुकों के अनुभवों का बेहतर होना: इसके तहत सुधारों में भीड़भाड़ को कम करना, आभासी पर्यटन की शुरुआत करना और शौचालय, दुकानें जैसी सुविधाएँ प्रदान करना, एस्केलेटर तथा रैंप के साथ बेहतर पहुँच प्रदान करना शामिल हैं।
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