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ब्लैक टाइगर

  • 04 May 2023
  • 7 min read

हाल ही में ओडिशा के सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व में एक दुर्लभ ब्लैक टाइगर की मौत की सूचना मिली है।

  • सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व में विश्व में ब्लैक टाइगर देखे जाने की दर सबसे ज़्यादा है।

नोट:

  • इस प्रकार की मौत का बाघों की आबादी पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। ब्लैक टाइगर की आबादी काफी सीमित है और नर बाघ की मौत से क्षेत्र में बाघों के प्रजनन पर असर पड़ेगा।

ब्लैक टाइगर:

  • परिचय:
    • ब्लैक टाइगर, बंगाल टाइगर की ही दुर्लभ रंग-रूप की प्रजाति है और यह कोई विशिष्ट प्रजाति या भौगोलिक उप-प्रजाति नहीं है।
    • ट्रांसमेम्ब्रेन एमिनोपेप्टिडेज़ क्यू (टैकपेप) जीन में एकल उत्परिवर्तन ऊपरी खाल के रंग और स्वरूप हेतु होता है जो जंगली बिल्लियों को उनका काला रंग प्रदान करता है।
  • स्यूडो मेलानिस्टिक:
    • ऐसे बाघों के असामान्य रूप से गहरे या काले रंग को स्यूडो मेलानिस्टिक या छद्म रंग कहा जाता है।
      • मेलानिस्टिक से तात्पर्य वर्णक के सामान्य स्तर से अधिक होने के कारण त्वचा/बालों का बहुत गहरा होना है (पदार्थ जो त्वचा/बालों को रंजकता देता है उसे मेलेनिन कहा जाता है)।
    • इस बात की बहुत अधिक संभावना (लगभग 60%) है कि सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व से यादृच्छिक रूप से चुने गए बाघ में उत्परिवर्तित जीन होगा।

  • काले रंग का कारण:
    • सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व के बाघ पूर्वी भारत में एक अलग आबादी है और उनके एवं अन्य बाघ आबादी के बीच जीन प्रवाह बहुत प्रतिबंधित है।
    • भौगोलिक अलगाव के कारण आनुवंशिक रूप से संबंधित प्रजातियाँ कई पीढ़ियों से एक दूसरे के साथ मिलन करते आ रहे हैं, जिससे अंतर्प्रजनन होता है।
      • बाघ संरक्षण में इसका महत्त्वपूर्ण प्रभाव है क्योंकि इस तरह की अलग-थलग और जन्मजात आबादी के कम समय में ही विलुप्त होने का खतरा है।

सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व के प्रमुख बिंदु:

भारत में बाघ संरक्षण के प्रयास:

  • प्रोजेक्ट टाइगर (1973): प्रोजेक्ट टाइगर वर्ष 1973 में शुरू की गई पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की एक केंद्र प्रायोजित योजना है। यह देश के राष्ट्रीय उद्यानों में बाघों को आश्रय प्रदान करती है।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA): यह MoEFCC के तहत एक वैधानिक निकाय है और वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद स्थापित किया गया था। NTCA का गठन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38 L (1) के तहत किया गया है।
  • संरक्षण का आश्वासन/बाघ मानक: CA/TS मापदंड का एक समूह है जो बाघ स्थलों को यह जाँचने की अनुमति देता है कि क्या उनके प्रबंधन से बाघ संरक्षण सफल होगा।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. दो महत्त्वपूर्ण नदियाँ- जिनमें से एक का स्रोत झारखंड है ( जो ओडिशा में दूसरे नाम से जानी जाती है) तथा दूसरी जिसका स्रोत ओडिशा में है- समुद्र में प्रवाह करने से पूर्व एक ऐसे स्थान पर संगम करती हैं जो बंगाल की खाड़ी से कुछ ही दूर है। यह वन्य जीवन तथा जैवविविधता का प्रमुख स्थल और सुरक्षित क्षेत्र है। निम्नलिखित में वह स्थल कौन-सा है?

(a) भितरकनिका
(b) चांदीपुर-ऑन-सी
(c) गोपालपुर-ऑन-सी
(d) सिमलीपाल

उत्तर: (a)


प्रश्न. निम्नलिखित बाघ आरक्षित क्षेत्रों में से "क्रांतिक बाघ आवास (Critical Tiger Habitat)" के अंतर्गत सबसे बड़ा क्षेत्र किसके पास है? (2020)

(a) कॉर्बेट
(b) रणथंभौर
(c) नागार्जुनसागर-श्रीशैलम
(d) सुंदरबन

उत्तर: (c)


प्रश्न. निम्नलिखित संरक्षित क्षेत्रों पर विचार कीजिये: (2012)

  1. बांदीपुर
  2. भितरकनिका
  3. मानस
  4. सुंदरबन

उपर्युक्त में से किसे बाघ आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (b)

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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