रैपिड फायर
बाल्टिक देशों ने रूसी ग्रिड से संबंध तोड़े
- 19 Feb 2025
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स्रोत: द हिंदू
बाल्टिक देश (एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया) आधिकारिक रूप से रूस के सोवियत काल के इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड से अलग हो गए हैं और फिनलैंड, स्वीडन तथा पोलैंड के साथ कनेक्शन के माध्यम से यूरोपीय संघ के पॉवर नेटवर्क में एकीकृत हो गए हैं।
रूस पर यूरोप की ऊर्जा निर्भरता:
- बाल्टिक देशों को सोवियत काल का पॉवर ग्रिड विरासत में मिला था और वर्ष 1991 में स्वतंत्रता के बाद भी वे रूसी नेटवर्क से जुड़े रहे।
- वर्ष 2025 तक उन्होंने रूस और बेलारूस से पूर्ण विद्युत स्वतंत्रता हासिल कर ली।
- रूस की ऊर्जा पर यूरोप की निर्भरता में काफी कमी आई है। वर्ष 2022 के रूस-यूक्रेन युद्ध से पूर्व, इसने रूस से 40% गैस, 30% तेल और 50% कोयला प्राप्त किया था। हालाँकि वर्ष 2023 तक इनका गैस आयात घटकर 14.8% रह गया।
बाल्टिक देश:
- बाल्टिक देश उत्तरपूर्वी यूरोप में स्थित हैं, जिनकी सीमा बाल्टिक सागर (पश्चिम और उत्तर), रूस (पूर्व), बेलारूस (दक्षिण-पूर्व) और पोलैंड एवं रूस (कैलिनिनग्राद) (दक्षिण-पश्चिम) से लगती है।
- इन देशों ने वर्ष 1991 में सोवियत संघ से स्वतंत्रता प्राप्त की।
- इनके पास प्राकृतिक संसाधनों की कमी है और इनकी आयात पर निर्भरता अधिक है, हालाँकि एस्टोनिया में ऑयल शेल का उत्पादन होता है। यहाँ कृषि अभी भी महत्त्वपूर्ण बनी हुई है, जिसमें अनाज, आलू, चारा फसलें और पशुपालन शामिल हैं।
- सभी तीन देश नाटो (2004 से), यूरोपीय संघ , यूरोजोन और OECD के सदस्य हैं।
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